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Friday, 22 November, 2024
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दिल्ली HC ने BBC डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग पर पीएचडी छात्र पर लगे रोक के DU के आदेश को किया रद्द

न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि डीयू के प्रशासनिक प्राधिकार ने पीएचडी रिसर्चर और कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग को पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित ‘बीबीसी’ के विवादित डॉक्यूमेंट्री को विश्वविद्यालय परिसर में दिखाए जाने के मामले में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के नेता लोकेश चुग को एक साल के लिए निष्कासित किए जाने के दिल्ली विश्वविद्यालय के आदेश को गुरुवार को रद्द कर दिया गया.

हाई कोर्ट ने कहा कि यह विश्वविद्यालय द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है.

न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि डीयू के प्रशासनिक प्राधिकार ने पीएचडी रिसर्चर और कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग को पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया.

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अदालत 10 मार्च 2023 के आदेश को बनाए रखने में असमर्थ है. आदेश रद्द किया जाता है. याचिकाकर्ता का दाखिला बहाल किया जाता है.’’

विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने याचिका का विरोध किया.

यह भी नोट किया गया कि आदेश निर्णय के लिए कोई कारण बताए बिना था.

अदालत ने स्पष्ट किया कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन न करने के कारण निष्कासित करने के आदेश को खारिज किया जा रहा है. उसने कहा कि विश्वविद्यालय कानून के अनुसार याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.

याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने रखा.

लोकेश की तरफ से प्रस्तुत वकील ने बताया कि न तो याचिकाकर्ता विरोध प्रदर्शन में था, न ही उसे पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया था और न ही एफआईआर में उनका नाम था.

वेंकटरमणी ने दावा किया कि चुग ने अदालत में ‘पूरी तरह झूठा’ बयान दिया था कि स्क्रीनिंग के समय वह मौजूद नहीं थे.

उन्होंने कहा कि घटना की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया था, याचिकाकर्ता को कारण-बताओ नोटिस दिया गया था और उनके आचरण पर स्पष्टीकरण का अवसर दिया गया था.

अदालत ने कहा कि समिति की रिपोर्ट में उसके निष्कर्ष हैं लेकिन यदि याचिकाकर्ता ने कोई स्पष्टीकरण दिया है तो उसकी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि बैठक के विवरण से साफ संकेत मिलता है कि याचिकाकर्ता उपस्थित थे लेकिन उनके द्वारा दी गयी सफाई का उल्लेख नहीं है.

उसने कहा कि प्रवेश पर रोक के आदेश में याचिकाकर्ता की दलीलों पर विचार नहीं किया गया और उनसे आरोपों पर सफाई देने के लिए विशेष रूप से नहीं कहा गया.

गौरतलब है कि गुजरात में वर्ष 2002 के दौरान हुए दंगों पर बीबीसी के वृत्तचित्र ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन- रिलेटेड टू द गोधरा राइट्स’ को प्रदर्शित करने में कथित तौर पर संलिप्त होने पर एक साल के लिए निष्कासित किए जाने के विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती देते हुए चुग ने इस महीने की शुरुआत में हाई कोर्ट का रुख किया था.


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