बेंगलुरु, 15 मई (भाषा) बेंगलुरु स्थित एक दवा कंपनी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो दवा निर्माण में कार्बनिक विलायक (सॉल्वेंट) को जोड़ने की आवश्यकता को समाप्त कर देगी, जिससे दवा खपत और पर्यावरण के लिए सुरक्षित हो जाएगी।
‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए, स्टीयर वर्ल्ड के जीवन विज्ञान प्रभाग,‘स्टीयरलाइफ’ के मुख्य कार्यकारी निदेशक (सीईओ) और निदेशक, इंदु भूषण ने दावा किया कि यह पहल एक ऐसे क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है, जिसे लंबे समय से औषधि विज्ञान के भीतर सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक माना जाता रहा है।
प्रक्रिया को समझाते हुए भूषण ने कहा कि अब तक प्रयुक्त पारंपरिक बैच प्रसंस्करण विधि में एक चरण में दवा विकसित करने के लिए कार्बनिक विलायक को मिलाया जाता है।
उन्होंने कहा, “इस मिलाए गए विलायक को आमतौर पर अंतिम औषधि उत्पाद की विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान हटा दिया जाता है। समस्या यह है कि अंतिम उत्पाद में विलायक की मात्रा नगण्य हो सकती है, जो लोगों के लिए हानिकारक है यदि इसे सावधानीपूर्वक नियंत्रित नहीं किया जाए।”
‘स्टीयरलाइफ’ ने कहा कि उसकी नयी प्रौद्योगिकी दवा बनाने की प्रक्रिया में विलायकों को जोड़ने के कदम को अनावश्यक बना देगी।
उनके अनुसार, “निरंतर प्रक्रिया विधि” कहीं अधिक मजबूत है।
भूषण ने कहा कि स्टीयरलाइफ विलायक मुक्त पद्धति से औषधियों का उत्पादन करने के लिए अनुबंध अनुसंधान विकास एवं विनिर्माण संगठन (सीआरडीएमओ) के रूप में कार्य करेगी।
भाषा प्रशांत सुरभि
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