प्रयागराज, 23 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर के बिकरू नरसंहार मामले में आरोपी शिवम दूबे उर्फ दलाल की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि शिवम ने अपना आपराधिक इतिहास छिपाते हुए एक झूठा हलफनामा दाखिल कर अदालत को गुमराह किया।
उन्होंने कहा कि शिवम ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला लंबित नहीं है, जबकि उसके खिलाफ गैंगस्टर कानून के तहत एक मामला लंबित है और उसे इस मामले में पांच सितंबर, 2023 को सजा हो चुकी है।
जमानत याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के वकील ने कहा कि इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी याचिकाकर्ता को इस मामले की कोई जानकारी नहीं थी।
इस पर न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने 21 अगस्त को दिए अपने निर्णय में आरोपी शिवम की जमानत याचिका खारिज कर दी।
दो जुलाई, 2020 को हुए बिकरू नरसंहार में गैंगस्टर विकास दूबे ने घात लगाकर पुलिस टीम पर हमला किया था जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्र समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।
यह हमला उस समय किया गया था जब पुलिस टीम विकास दूबे को गिरफ्तार करने के लिए कानपुर के बिकरू गांव में उसके मकान पर दबिश देने गई थी।
इसके बाद, 10 जुलाई 2020 को विकास दूबे को उज्जैन में गिरफ्तार कर कानपुर लाते समय पुलिस का वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद पुलिस हिरासत से भागते समय मुठभेड़ में गोली लगाने से उसकी मृत्यु हो गई थी।
बाद में गैंगस्टर विकास दूबे के साथी शिवम दूबे को गिरफ्तार किया गया और इस समय वह जेल में है। आरोप है कि याचिकाकर्ता शिवम दूबे भी विकास दूबे के साथ इस घटना में संलिप्त था।
भाषा राजेंद्र शफीक
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