अयोध्या: अगले महीने जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी तो हज़ारों लोगों के यहां पहुंचने की उम्मीद है और अयोध्या में अधिकारी कुछ भी हल्के में नहीं ले रहे हैं.
टूरिस्टों की मदद के लिए थाने की स्थापना से लेकर, उनके द्वारा देखे जाने वाले अधिकार क्षेत्र के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए थानों के विभाजन तक, मंदिर परिसर के पास में सुरक्षा बढ़ाने और आने वाले भक्तों को हमेशा सुनिश्चित करने के लिए की मदद उनके पास में है, कई कदम उठाए जा रहे हैं.
इसी उद्देश्य के लिए पूरे अयोध्या में प्रमुख बिंदुओं पर एक दर्जन टूरिस्ट हेल्प सेंटर बनाने के साथ-साथ विभिन्न भारतीय भाषाओं को इसमें समाहित करने की कोशिश की जा रही है.
पुलिस अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि टूरिस्ट थाने को अयोध्या अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बनाया जाएगा. अब तक, मुख्य कोतवाली नगर थाना अपने अधिकार क्षेत्र को तीन क्षेत्रों में विभाजित करेगा, जबकि कोतवाली अयोध्या थाने को विभाजित किया जाएगा और भी थाने लाइन में है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राज नैय्यर ने कहा, “इरादा टूरिस्टों के लिए निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करना है. अगर किसी पर्यटक को कोई जगह नहीं मिल पा रही है या वह फंस गया है, तो वे अपने नज़दीकी पर्यटक सहायता डेस्क पर जा सकते हैं, जहां उन्हें रास्ता दिखाया जाएगा.”
उन्होंने कहा, “पर्यटक सहायता डेस्क में कांस्टेबल और उप-निरीक्षक रैंक का एक पर्यवेक्षक होगा. कांस्टेबलों और उप-निरीक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है कि भक्तों की भारी आमद को कैसे पूरा किया जाए.”
राम लला 24 जनवरी 2024 को एक बड़े समारोह में अयोध्या राम मंदिर में प्रतिष्ठित होने के लिए तैयार हैं, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य लोग शामिल होंगे.
व्यवसाय से लेकर सिनेमा और खेल तक विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तियों को भी निमंत्रण भेजा गया है.
इसके अलावा, आने वाले भक्तों को समायोजित करने के लिए कई कैंप (तंबू) बनाए गए हैं.
यह मंदिर राम जन्मभूमि पर बनाया जा रहा है, जिसे हिंदू देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है. 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद पहले इस स्थान पर थी और ठीक 31 साल पहले इसे ध्वस्त कर दिया गया था.
2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादित स्थल हिंदुओं को देने के फैसले के साथ दशकों लंबी कानूनी लड़ाई खत्म होने के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ.
एलईडी, फ्लेक्स बोर्ड और थानों का विभाजन
अयोध्या में अधिकारी यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कार्यक्रम के दौरान कोई भी टूरिस्ट भ्रमित न हो.
वे महत्वपूर्ण स्थानों पर साइने बोर्ड, मोबाइल फ्लेक्स बोर्ड लगा रहे हैं. पूरे अयोध्या में 12 एलईडी स्क्रीन हैं जो रियल टाइम अपडेट देंगी कि उन्हें कौन सा मार्ग लेना चाहिए, खाली पार्किंग स्थल, निकटतम सहायता केंद्र और होटल की उपलब्धता आदि.
एसएसपी ने कहा, “एलईडी को अयोध्या धाम क्षेत्र के सभी प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर लगाया जाएगा, जिसमें गोरखपुर और बस्ती (पूर्व में पड़ोसी जिला) से आने वाले पर्यटक भी शामिल हैं. लखनऊ से आने वाले लोगों के लिए सहादतगंज में एक एलईडी स्क्रीन लगाई जाएगी. सरयू पुल के पास भी, गोंडा की ओर (अयोध्या के उत्तर-पूर्व में पड़ोसी जिला) से आने वाले आगंतुकों के लिए एक स्क्रीन लगाई जाएगी.”
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि लगाए जाने वाले संकेत हिंदी, अंग्रेज़ी तेलुगु, तमिल और गुजराती में तैयार किए जा रहे हैं.
पुलिस लोगों को ‘बाशिनी एप्लिकेशन’ का उपयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी, जिसे आठ महीने पहले केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा नागरिकों को अपनी भाषा में शासन और पुलिस से संबंधित जानकारी तक पहुंचने में मदद करने के लिए बनाया गया था.
इसके अलावा, मंदिर के पास 200 नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और एक कंट्रोल रूम बनाया गया है.
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “रेडियो कम्युनिकेशन रहेगा, अयोध्या जिले में 9,000 कैमरे भी हैं. हमारे पास 700 कैमरे हैं जो हमारे कंट्रोल रूम और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली से जुड़े हुए हैं ताकि हम जानकारी ले सकें.”
सुरक्षा में यूपी विशेष सुरक्षा बल के 900 जवान
70 एकड़ के मंदिर परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ) की लगभग नौ कंपनियों – या 900 कर्मियों की तैनाती शामिल होगी, जिसे राज्य में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए 2020 में स्थापित किया गया था.
अभिषेक के दिन, यूपी के अन्य जिलों के कर्मी स्थानीय पुलिस की सहायता करेंगे, साथ ही अर्धसैनिक बल और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की टीमें भी मदद करेंगी.
अभिषेक के बाद दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन की व्यवस्था के बारे में बात करते हुए, एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “त्योहार के दौरान, हम डायवर्जन योजनाएं बनाकर, मंदिर की ओर जाने वाली मुख्य सड़क तक पहुंच को सीमित करके भीड़ प्रबंधन की योजना बना रहे हैं और ऐसी जगहें बना रहे हैं, जहां भीड़ रह सके.”
उन्होंने कहा, “हम एक परिवहन मॉडल की भी योजना बना रहे हैं जहां टूरिस्ट और स्थानीय निवासी निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन पर अधिक भरोसा करते हैं.”
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