लखनऊ : अयोध्या के कई संत अब राम जन्मभूमि न्यास के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग उठा रहे हैं. उनमें तीन संत वो हैं, जो श्री राम जन्मभूमि ज़मीन विवाद मामले में पक्षकार थे- निर्वाणी अखाड़ा प्रमुख महंत धरम दास, दिगंबर अखाड़ा प्रमुख महंत सुरेश दास और निर्मोही अखाड़े के महंत सीता राम दास.
शुक्रवार को अयोध्या में मीडिया से बात करते हुए, महंत धरम दास ने आरोप लगाया कि ट्रस्ट चंदे में मिले पैसे का दुरुपयोग कर रहा है.
उन्होंने दावा किया, ‘ये न्यास भ्रष्ट है. जिन लोगों ने ये न्यास बनाया है, उनके अपने निजी स्वार्थ हैं और इसीलिए इतना बड़ा घोटाला हो रहा है’.
‘लोगों ने पैसा राम मंदिर संतों की सेवा और गौ माता के लिए दान किया है. ये पैसा ज़मीन ख़रीदने, होटल बनाने और व्यवसाय करने के लिए नहीं है. जो लोग ऐसा काम कर रहे हैं, उन्हें भगवान राम में आस्था नहीं है’.
विवाद पिछले सप्ताह के आखिर में सामने आया, जब 14 जून को आप के यूपी प्रभारी संजय सिंह ने आरोप लगाया कि अयोध्या में ज़मीन का एक टुकड़ा, सुलतान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने, 2 करोड़ रुपए में एक दंपत्ति- कुसुम पाठक और हरीश पाठक- से ख़रीदा था.
उन्होंने दावा किया कि इस सौदे के गवाहों में, राम जन्मभूमि ट्रस्ट के एक सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय शामिल थे. उन्होंने ये भी कहा कि फिर उसी ज़मीन को राम जन्मभूमि ट्रस्ट और वीएचपी नेता तथा ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने, ‘अगले पांच मिनट में’ 18.5 करोड़ रुपए में ख़रीद लिया.
लेकिन ट्रस्ट ने सौदे का बचाव किया, और सोमवार को राय ने एक बयान जारी किया कि ज़मीन की जो अंतिम क़ीमत अदा की गई, वो बाज़ार मूल्य से काफी कम थी.
लेकिन बृहस्पतिवार को नए दस्तावेज़ों से पता चला कि उसी दंपत्ति, हरीश और कुसुम पाठक ने, 1.037 हेक्टेयर का एक प्लॉट मंदिर ट्रस्ट को, 8 करोड़ रुपए में बेचा था.
विवाद उठ खड़ा होने के बाद पाठक दंपत्ति का कोई पता नहीं है, जिससे ये रहस्य और गहरा गया है.
दिप्रिंट ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनके फोन से संपर्क नहीं हो सका. लिखित संदेश भी उन्हें नहीं पहुंचा.
लेकिन ट्रस्ट के सदस्यों के एक क़रीबी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि आरोपों को ख़ारिज करने के लिए ट्रस्ट एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकता है.
सूत्र ने कहा कि ‘जांच के लिए दवाब बढ़ रहा है, ख़ासकर संतों की ओर से, जिन्हें ट्रस्ट में शामिल नहीं किया गया था. सभी आरोपों का बिंदुवार जवाब देने के लिए ट्रस्ट जल्द ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर सकता है’.
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जांच के लिए दबाव बढ़ा
आरोपों के बढ़ने के साथ ही अयोध्या में मांग ज़ोर पकड़ती जा रही है कि इन सभी आरोपों की जांच कराई जाए.
निर्मोही अखाड़ा प्रवक्ता महंत सीता राम दास उन लोगों में शामिल हैं जो मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग उठा रहे हैं.
दास ने दिप्रिंट से कहा, ‘मुझे शुरू से ही इन लोगों (ट्रस्ट मेंबर्स) पर शक था. अब वो घाटाला कर रहे हैं. मुझे चंपत राय पर बहुत संदेह है; मुझे नहीं मालूम कि उन्हें महासचिव क्यों नियुक्त किया गया. राम मंदिर दरअसल वीएचपी का नहीं, बल्कि निर्मोही अखाड़े का मिशन था. हमारे संतों ने इसके लिए बलिदान दिए हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘इन सदस्यों ने मंदिर के लिए क्या किया है? वो अब अपना और प्रॉपर्टी डीलरों का बचाव कर रहे हैं, ताकि सच खुलकर सामने न आ पाए. इसलिए मैं मांग करता हूं कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए’.
इस बीच, महंत सुरेश दास ने कहा है कि यदि ट्रस्ट ने कुछ ग़लत नहीं किया है, तो उसे किसी भी जांच के लिए तैयार रहना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘उन्हें स्वयं आगे आकर इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करनी चाहिए. मैं उनके खिलाफ नहीं हूं, लेकिन राम मंदिर अयोध्या के संतों का मिशन था. ये नेताओं और नौकरशाहों के लिए नहीं था’.
महंत कमल नयन दास ने भी, जो ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के प्रतिनिधि हैं, मीडिया से कहा कि अगर विपक्ष ज़मीन के सौदों पर सवाल खड़े कर रहा है, तो फिर उनकी जांच कराई जानी चाहिए.
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