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Thursday, 19 December, 2024
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सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच 10 जनवरी को करेगी अयोध्या विवाद पर सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय कृष्ण कौल की पीठ ने कहा कि 10 जनवरी को गठित होने वाली बेंच अगले आदेश जारी करेगी.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले पर 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई नई बेंच करेगी. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय कृष्ण कौल की पीठ ने कहा कि अगले आदेश 10 जनवरी को गठित होने वाली बेंच जारी करेगी.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में विवादित अयोध्या जमीन को राम लला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड तीनों पक्षों में बराबर बांटने का फैसला सुनाया था.

इसके पहले अक्टूबर में सर्वोच्च न्यायालय अयोध्या में राम मंदिर की यह सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी थी और कहा था कि अब मामले की अगली सुनवाई जनवरी में एक उचित पीठ के समक्ष होगी. हालांकि, तब अदालत ने सुनवाई के लिए कोई विशेष तारीख निर्धारित करने से इनकार कर दिया था.


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तब तक इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय कृष्ण कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने की थी. इसके पहले सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ ने आदेश दिया था कि विवादित भूमि के मालिकाना हक वाले दीवानी मामले की सुनवाई तीन जजों की पीठ 29 अक्टूबर से करेगी.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 के दिए अपने फैसले में विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांट दिया था. लेकिन तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में से किसी भी पक्ष ने फैसले को नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी.


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इससे पहले अयोध्या मामले से ही जुड़े एक दूसरे मामले की 27 सितंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के अपने फैसले पर पुनर्विचार से इनकार करते हुए मस्जिद को इस्लाम का आंतरिक हिस्सा मानने से इनकार कर दिया था. मामले की सुनवाई मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1 के मुकाबले 2 जजों के बहुमत फैसले में कहा था कि मामले की सुनवाई सबूतों के आधार पर होगी.

(समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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