पटना, 09 जून (भाषा) आठवीं सदी की चुराई गई पत्थर की बौद्ध मूर्ति अवलोकितेश्वर पद्मपाणि को इटली के मिलान से जल्द ही भारत वापस लाया जाएगा। इसे तीन महीने पहले भारतीय वाणिज्य दूतावास को सौंप दिया गया था।
बोधिसत्व की उक्त मूर्ति 2000 में गया से लगभग 27 किलोमीटर दूर कुर्किहार के एक मंदिर से चुराई गई थी और मिलान में एक निजी कलेक्टर से बरामद की गई थी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि मूर्ति को इस साल फरवरी में वहां भारतीय वाणिज्य दूतावास को सौंप दिया गया था।
अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘खूबसूरत तरीके से तैयार की गई 1200 साल पुरानी उक्त मूर्ति को मिलान से भारत लाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसे एक महीने के भीतर भारत वापस लाया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ राजनयिक औपचारिकताएं हैं, जिन्हें मूर्ति की प्रत्यावर्तन प्रक्रिया शुरू करने के लिए पूरा करने की आवश्यकता है। इन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है।’’
अधिकारी ने कहा कि एएसआई विदेशों से पुरावशेषों की पुनर्प्राप्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि एक बार जब तस्करी या चोरी की गई कलाकृतियां किसी दूसरे देश में जब्त कर ली जाती हैं तो पहचान और मूल देश को लौटाने की प्रक्रिया में कुछ समय लगता है। उन्होंने कहा कि एएसआई इन वस्तुओं के भारत लौटने के बाद उनकी संरक्षक होती है।
कुर्किहार में 226 से अधिक कांस्य की मूर्तियां थीं जिन्हें कुर्किहार होर्ड कहा जाता था और अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की मूर्ति लगभग 1200 वर्षों तक देवीस्थान कुंडुलपुर मंदिर में थी। वर्ष 2000 की शुरुआत में इसे चोरी करके भारत से बाहर तस्करी की गई थी।
मिलान में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अनुसार यह पता चला है कि मूर्ति, मिलान पहुंचने से पहले फ्रांस के कला बाजार में थोड़ी देर के लिए देखी गयी थी। इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट सिंगापुर एंड आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल, लंदन ने चोरी की मूर्ति की पहचान करने और उसे वापस करने में बिना देर किए मदद की थी।
इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट एंड आर्ट रिकवरी चुराई गई विरासत को ट्रैक करने का एक वैश्विक प्रयास है।
मिलान में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कहा था कि अवलोकितेश्वर बोधिसत्व हैं। उनके पास 108 अवतार हैं, जिनमें से एक उल्लेखनीय है पद्मपाणि।
मूर्ति में उन्हें अपने बाएं हाथ में एक खिलते हुए कमल के तने को पकड़े हुए खड़ा दिखाया गया है। उनके चरणों में दो महिलाएं राजलीलासन मुद्रा या शाही आराम मुद्रा में बैठी हैं।
एएसआई, पटना सर्कल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने इस खबर का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘मूर्ति को जल्द से जल्द भारत वापस आना चाहिए।’’
भाषा अनवर सुरेश
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