प्रयागराज: माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या के बाद पकड़े गए तीन आरोपियों में से एक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी का पूर्व सहयोगी रह चुका है और कथित तौर पर वह मृत गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला से प्रभावित था. दिप्रिंट ने अपने अध्ययन में यह पाया है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हमीरपुर के मोहित उर्फ सन्नी सिंह, ‘सबसे शातिर अपराधी’, का तीन आरोपियों में सबसे अधिक आपराधिक रिकॉर्ड है. सूत्रों के मुताबिक इस 23 वर्षीय अपराधी के पास ‘हाई-एंड’ तुर्की जिगाना और गिरसन पिस्तौलें मिलीं, जो कथित तौर पर उसे मेरठ के एक अपराधी ‘सोढ़ी’ ने दी थीं.
जबकि कई रिपोर्टों में कहा गया है कि सोढ़ी दिल्ली में एक मुठभेड़ में मारा गया था. लेकिन इसको लेकर काफी कम स्पष्टता है.
पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि वे मोहित और जेल में बंद भाटी सहित पश्चिमी यूपी और दिल्ली-पंजाब क्षेत्र में सक्रिय माफिया गिरोहों के बीच संभावित संबंधों की भी जांच कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अतीक और अशरफ की हत्याओं में इस्तेमाल की गई’ मेड-इन-टर्की’ पिस्तौल भारत में बहुत कम उपलब्ध हैं और ऐसे हथियारों का इस्तेमाल पहले केवल पश्चिमी यूपी के कुछ गिरोह के सरगनाओं और कुछ दिल्ली और पंजाब में किया जाता था.’
पुलिस ने बताया कि तीनों आरोपियों ने अतीक और अशरफ की हत्या में दो ‘मेड-इन-टर्की’ पिस्तौल- जिगाना एफ (स्वचालित), और एक गिरसन 9 एमएम पैराबेलम (रिगार्ड एमसी) पिस्तौल के साथ एक देसी ’30 बोर पिस्तौल’ का इस्तेमाल किया था.
पुलिस की गिरफ्त में आए दो अन्य आरोपी कासगंज के अरुण मौर्य और बांदा के लवलेश तिवारी हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए, राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिन्होंने वर्षों तक पश्चिमी यूपी में अपनी सेवा दी है, ने पुष्टि की कि पंजाबी गायक और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या के आरोपी भाटी और लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह लंबे समय से ‘मेड-इन-टर्की’ हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
भाटी अब सोनभद्र जिला जेल में बंद है. उसकी पहुंच इस तरह के दुर्लभ हथियार तक रही है. साथ ही हमीरपुर के एक आरोपी के साथ भाटी के जुड़ाव को लेकर पुलिस इस हत्याकांड में उसकी भूमिका का पता लगा रही है. नाम न बताने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘इस तरह के हथियार का इस्तेमाल आमतौर पर लॉरेंस बिश्नोई गैंग द्वारा किया जाता है. सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में भी इसी तरह का हथियार इस्तेमाल किया गया था.’
यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ.पी. सिंह ने भी कहा कि छोटे-मोटे अपराधियों के लिए ज़िगाना पिस्तौल जैसे महंगे हथियारों तक पहुंच पाना मुश्किल है. उन्होंने कहा, ‘ये भारत में काफी दुर्लभ माने जाते हैं और यह केवल खूंखार गैंगस्टरों के पास उपलब्ध हैं जो उन्हें तस्करी के माध्यम से प्राप्त करते हैं. यह संभव है कि किसी गैंगस्टर ने हथियार दिलाने में आरोपी की मदद की हो.’
हालांकि, किसी भी पुलिस अधिकारी ने सीधे तौर इस कांड में भाटी की संलिप्तता की पुष्टि नहीं की है. धूमनगंज थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) राजेश मौर्य ने दिप्रिंट को बताया कि मोहित ने ‘हमीरपुर जेल में भाटी के साथ कुछ समय बिताया था’.
एसएचओ की शिकायत पर शाहगंज थाने में अतीक-अशरफ हत्याकांड के सिलसिले में हत्या का मामला दर्ज किया गया था.
दिप्रिंट ने फोन के माध्यम से मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व करने वाले अतिरिक्त डीसीपी (अपराध) सतीश चंद्रा से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कहा कि वह कोई जानकारी नहीं दे पाएंगे. साथ ही प्रयागराज के पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने भी मामले को लेकर फोन करने पर कोई जवाब नहीं दिया.
दिप्रिंट ने उनसे टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.
प्रयागराज पुलिस द्वारा अतीक-अशरफ की हत्याओं के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी में, पुलिस ने उल्लेख किया है कि तीनों आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे ‘इन दोनों की हत्या करअपना नाम बनाना चाहते थे’.
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हमीरपुर लिंक
2020 में, यूपी डीजीपी के कार्यालय ने 33 गैंगस्टरों की सूची जारी की थी, जिनमें पश्चिमी यूपी के छह शामिल थे. पुलिस को उन पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था. सूची में नोएडा से छह नाम थे, जिसमें सुंदर भाटी, उनके भतीजे अनिल भाटी, सिंहराज भाटी, अंकित गुर्जर, अंकित के रिश्तेदार अमित कसाना और अनिल दुजाना के नाम शामिल थे.
गौतम बुद्ध नगर जिले में एक हिस्ट्रीशीटर, भाटी के खिलाफ कम से कम 55 मामले दर्ज हैं और वह एक वक्त पश्चिमी यूपी को आतंकित करने के लिए जाना जाता था. हालांकि, उसे 2015 में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता हरेंद्र नागर और उनके गनर भूदेव शर्मा की हत्या के मामले में उसके 11 साथियों के साथ 2021 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भाटी (शुरुआत में) हमीरपुर जिला जेल में कैद था ‘जहां उसकी मुलाकात मोहित से हुई और दोनों के बीच दोस्ती हुई’.
सूत्रों ने कहा कि हमीरपुर के कुरारा थाने का हिस्ट्रीशीटर मोहित 2016 से 2020 के बीच कुल 520 दिनों के लिए हमीरपुर की उसी जेल में बंद था.
एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘2019 में, सुंदर भाटी भी हमीरपुर जेल में बंद था. उसी दौरान मोहित उर्फ सन्नी भी उसके संपर्क में आया. हालांकि, दोनों को 2020 में अलग-अलग जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया.’
जबकि मोहित को 21 जनवरी, 2020 को कानपुर जेल में स्थानांतरित किया गया था, भाटी को कुछ दिनों बाद सोनभद्र जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था.
मोहित को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था लेकिन वह पुलिस के रडार से ‘लापता’ हो गया था.
कुरारा पुलिस स्टेशन में, हिस्ट्रीशीटरों के नाम वाले एक बोर्ड पर 9 अप्रैल को मोहित को ‘लापता’ दिखाया गया था. दिप्रिंट के पास बोर्ड का एक वीडियो है.
प्रयागराज पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या मोहित ने अतीक और अशरफ को मारने के लिए पहले ज़िगाना और गिरसन पिस्तौल का इस्तेमाल करने वाले गिरोहों में से किसी के साथ हाथ मिलाया था, और क्या भाटी ने ही मोहित को हत्या करने के लिए हथियार उपलब्ध कराए थे.
खबरों के मुताबिक, अतीक के सिर, छाती, गर्दन और कमर में कुल नौ गोलियां लगी थी, जबकि अशरफ को पांच गोलियां लगी थी.
भाइयों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बारे में पूछताछ के लिए दिप्रिंट प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशु पांडे से संपर्क साधा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
‘राजनीतिक साजिश’
हालांकि पुलिस हत्याओं के पीछे एक बड़ी साजिश की जांच कर रही है. अतीक के वकीलों में से एक विजय मिश्रा ने सोमवार को एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा था कि उनके मुवक्किल के परिवार के सदस्यों को संदेह है कि हत्याओं के पीछे एक राजनीतिक साजिश थी.
उन्होंने कहा, ‘उन्हें लगता है कि यह एक राजनीतिक साजिश है क्योंकि गोलीबारी में शामिल लोगों की आर्थिक स्थिति नहीं मजबूत नहीं थी कि वे 20 लाख रुपये की पिस्तौल खरीद सकें.’
प्रयागराज पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए, मिश्रा ने बताया कि ‘पहले अतीक और अशरफ के लिए एक बड़ा सुरक्षा घेरा हुआ करता था, लेकिन शनिवार को जब गोलीबारी हुई वे केवल कुछ कांस्टेबलों, दो इंस्पेक्टरों और एक सब-इंस्पेक्टर से घिरे थे’.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘यह एक राजनीतिक साजिश है, जिसकी वजह से सुरक्षा कम की गई.’
दिप्रिंट से बात करते हुए, अतीक के दूसरे वकील दया शंकर मिश्रा ने कहा कि दोनों भाइयों ने पिछले हफ्ते अदालत के सामने अपनी हत्या होने की आशंका व्यक्त की थी.
मिश्रा ने कहा, ‘जब उन्हें पिछले हफ्ते मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, तो अतीक और अशरफ ने खुले तौर पर अदालत से कहा था कि उन्हें अपनी जान का डर है और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उनसे कहा था कि 15 दिनों में तुम्हारा काम तमाम हो जाएगा.’
अशरफ ने 28 मार्च को मीडिया के सामने यही आशंका दोहराई थी, जिसमें उसने कहा था कि ‘उन्हें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया था कि दोनों भाइयों को दो सप्ताह में जेल से बाहर लाया जाएगा और मार दिया जाएगा’.
(संपादन: ऋषभ राज)
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