नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अटल टनल का उद्घाटन किया. पीएम ने उद्घाटन के बाद कहा, आज सिर्फ अटल जी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है. आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है. आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है. ये पुल आज पूर्वोत्तर और अरुणाचल प्रदेश से कनेक्टिविटी का बहुत बड़ा माध्यम है. इस टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी. पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है.
उन्होंने आगे कहा, हमेशा से यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है. लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए.
विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं. देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं. लेकिन देश ने लंबे समय तक वो दौर भी देखा है जब देश के रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया.
पीएम ने कहा, अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया. लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही.क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था?
पीएम मोदी ने आगे कहा, साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था.अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया. हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था.जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था. अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती. आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता. जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है. अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई. बीआरओ के सामने आने वाली हर अड़चन को दूर किया गया.
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ऐसी है अटल टनल
टनल में हर रोज 3 हजार कार और डेढ़ हजार ट्रक गुजर सकेंगे. टनल के भीतर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार तय की गई है. टनल के भीतर सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम होगा. यहां किसी भी आपात स्थिति से निपटने की व्यवस्था भी की गई है.
टनल के भीतर सुरक्षा का विशेष इंतजाम किया गया है. दोनों ओर एंट्री बैरियर रहेंगे. हर 150 मीटर पर आपात स्थिति में संपर्क करने की व्यवस्था होगी. 60 मीटर पर आग बुझाने का संयंत्र होगा. हर 250 मीटर पर दुर्घटना का स्वयं पता लगाने के लिए सीसीटीवी का इंतजाम किया गया हैं. हर एक किलोमीटर पर हवा की क्वालिटी जांचने का भी इंतजाम है.
अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है. 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग मनाली को वर्ष भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी. पहले घाटी करीब छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी.
हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर इस सुरंग को बनाया गया है.
इस सुरंग के निर्माण का निर्णय वर्ष 2000 में लिया गया था जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)