नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) को उत्तर प्रदेश में ताजमहल को प्रभावित करने वाले आसपास के कांच उद्योगों का आकलन करने का मंगलवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने नीरी को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमें मूल्यांकन पूरा करने की समयसीमा का उल्लेख हो।
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित सभी सरकारी एजेंसियों को इस कार्य में नीरी की सहायता करनी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि इन उद्योगों से कितना प्रदूषण हो रहा है। अगर हमें पता चलता है कि ये उद्योग प्रदूषण फैला रहे हैं तो हम इन इकाइयों को स्थानांतरित करने का आदेश देने में संकोच नहीं करेंगे। प्रदूषण की सीमा के बारे में कुछ जांच की जानी चाहिए।’’
इसके बाद पीठ ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक टीम गठित करने का निर्देश दिया, जो राज्य द्वारा दायर हलफनामे में उल्लिखित उद्योगों का दौरा करेगी और इन उद्योगों से होने वाले प्रदूषण के पहलू की जांच करेगी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘पांच उद्योगों का अध्ययन पूरा करने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, ताकि उचित निर्देश जारी किए जा सकें।’’
शीर्ष अदालत ने इससे पहले ताजमहल और उसके आसपास पर्यावरण संरक्षण के लिए ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (टीटीजेड) प्राधिकरण की निंदा करते हुए पूछा था कि क्या इस प्रतिष्ठित स्मारक का संरक्षण कोई ‘‘तमाशा’’ है या ‘‘मज़ाक’’।
टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।
न्यायालय आगरा स्थित ताजमहल की सुरक्षा के लिए क्षेत्र में विकास कार्यों की निगरानी कर रहा है।
भाषा नेत्रपाल सुरेश
सुरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.