(सुष्मिता गोस्वामी)
गुवाहाटी, 24 जुलाई (भाषा) असम के दिलकश चाय बागान सुबह-सुबह ताजगी का एहसास कराने वाली चाय का उत्पादन करने के साथ ही आपको जल्द पर्यटन के नए अनुभव से रूबरू कराएंगे।
आगंतुकों को हरी-भरी ढलानों के बीच अपने पसंदीदा पेय का तुल्फ उठाते हुए कुशल कामगारों को चाय की पत्तियां और कलियां तोड़ते देखने का मौका मिलेगा। वे फैक्टरियों में चायपत्ती के उत्पादन की प्रक्रिया को भी देख सकेंगे।
असम सरकार निजी उद्यमियों के साथ मिलकर राज्य में चाय पर्यटन की संभावनाओं का पता लगा रही है। इस दिशा में किए गए शुरुआती उपायों पर अब तक अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
पर्यटन विभाग के शीर्ष अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “पर्यटन उद्योग राज्य सरकार के केंद्रबिंदू में है और चाय पर्यटन एक ऐसा माध्यम है, जिसके जरिये हम अधिक राजस्व पैदा कर सकते हैं और रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं।”
इस वित्तीय वर्ष के लिए राज्य के बजट में चुनिंदा चाय बागानों के अंदर अतिथि गृह और अन्य पर्यटक सुविधाओं के निर्माण के लिए पूंजीगत बुनियादी ढांचा समर्थन के रूप में 50 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
अधिकारी ने कहा, “योजना के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं और अगले सप्ताह तक इन्हें कैबिनेट के समक्ष रखे जाने की संभावना है।”
डिब्रूगढ़ स्थित मनोहरी टी एस्टेट के प्रबंध निदेशक राजन लोहिया ने कहा, “हमने लगभग दो साल पहले अपनी संपत्ति के अंदर एक रिसॉर्ट का उद्घाटन किया था। आगंतुकों की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है।”
लोहिया के मुताबिक, “सर्दियों का मौसम, जब राज्य में पर्यटन संबंधी गतिविधियां चरम पर होती हैं, तब यहां अच्छी संख्या में लोग आते हैं। वहीं, साल की बाकी अवधि में ज्यादातर ऐसी कंपनियां हमारे रिसॉर्ट में कमरे बुक कराती हैं, जिनके अधिकारी आधिकारिक कामकाज के सिलसिले में असम आते हैं और शहरों की भीड़भाड़ से दूर हरियाली के बीच रहने का विशिष्ट अनुभव चाहते हैं।”
लोहिया की बात से सहमति जताते हुए गोलाघाट स्थित पाभोजन टी एस्टेट की राखी दत्ता सैकिया ने कहा, “किसी भी चाय बागान की खासियत उसका दिलकश और शांत माहौल होता है। पाभोजन के एक जैविक उद्यान होने के मद्देनजर हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि जहां तक संभव हो, यहां रहने की व्यवस्था पारंपरिक जीवनशैली पर आधारित हो।”
उन्होंने बताया कि पाभोजन में गैर-एसी कॉटेज वातानुकूलित (एसी) कॉटेज के मुकाबले लोगों को ज्यादा आकर्षित करते हैं।
सैकिया ने कहा, “पर्यटन के माध्यम से हम राजस्व पैदा करने में भी सक्षम हो रहे हैं, जो चाय बागानों के लिए राहत की बात है, क्योंकि यह उद्योग वर्तमान में उत्पादन की लागत के मुकाबले कम प्राप्ति के दौर से गुजर रहा है।”
उन्होंने रेखांकित किया कि रिसॉर्ट स्थानीय समुदाय के लिए अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करेंगे।
सैकिया ने कहा, “आगंतुक घूमने के लिए वाहन किराए पर लेते हैं। वे स्थानीय उत्पादों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाते हैं। इससे स्थानीय समुदाय के कमाई का जरिया तैयार होता है।”
उन्होंने कहा कि चाय बागानों में रहने की व्यवस्था के साथ कई मनोरंजक और रोमांचक गतिविधियां शुरू की जा सकती हैं, जिससे ज्यादा संख्या में लोग आकर्षित होंगे और सरकार इस दिशा में काम भी कर रही है।
पर्यटन विभाग के अधिकारी ने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए मनोरंजक गतिविधियों की योजना बुद्धिमानी से बनाई जानी चाहिए कि इससे चाय बागान में रहने के अनुभव में चार चांद लगें। हमारे पास विभिन्न चाय बागानों में लगभग 22 गोल्फ कोर्स हैं और हम उनका इस्तेमाल करने के तरीके तलाश रहे हैं।”
मनोहरी रिसॉर्ट स्पा और जिम जैसी सुविधाएं प्रदान करता है, जबकि पाभोजन ऑर्गेनिक टी एस्टेट अपने आगंतुकों के लिए एक बुनियादी ‘चाय पाठ्यक्रम’ लेकर आ रहा है।
सैकिया कहती हैं, “हम आगंतुकों को इस तरह की बुनियादी चीजें समझना चाहते हैं कि चाय कैसे बनाई जाती है, यह कैसे चखी जाती है। हम दो से तीन दिन के लघु ‘चाय पाठ्यक्रम’ पर काम कर रहे हैं, ताकि चाय बागान में रहने के आगंतुकों के तजुर्बे को और समृद्ध बनाया जा सके।”
भारत के कुल वार्षिक चाय उत्पादन में असम का योगदान लगभग 50 प्रतिशत है। राज्यभर में लगभग 800 बड़े और हजारों छोटे चाय बागान मौजूद हैं।
भाषा पारुल अर्पणा
अर्पणा
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