गुवाहाटी, सात अगस्त (भाषा) असम सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के लागू होने के बाद सभी जिलों को निर्देश दिया है कि वे 2015 से पहले राज्य में प्रवेश करने वाले संदिग्ध गैर-मुस्लिम अवैध विदेशियों के मामलों को विदेशी न्यायाधिकरणों (एफटी) से वापस ले लें। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
हालांकि, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार ने इस संदर्भ में कोई ‘‘विशेष’’ निर्देश जारी नहीं किया है क्योंकि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम उन्हें किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से बचाता है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं राजनीतिक) अजय तिवारी द्वारा 22 जुलाई को हस्ताक्षरित निर्देश के अनुसार, सभी जिला आयुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को पाकिस्तानियों, बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं जैसे विदेशियों की स्थिति की समीक्षा करने के लिए कहा गया है।
सूत्रों ने बताया कि शीर्ष अधिकारियों ने 17 जुलाई को ऑनलाइन बैठक की थी जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इनमें ‘‘नागरिकता संशोधन अधिनियम के संदर्भ में विदेशी न्यायाधिकरण से संबंधित’’ मुद्दे भी शामिल थे और तदनुसार निर्देश जारी किए गए। हालांकि, इसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
सूत्रों के अनुसार जिलों को भेजे गए बैठक के विवरण के मुताबिक, ‘‘नागरिकता अधिनियम में किए गए संशोधनों के अनुसार, एफटी को छह निर्दिष्ट समुदायों (हिंदू, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी और जैन समुदाय) से संबंधित विदेशियों के मामलों को आगे नहीं बढ़ाना है, जो 31.12.2014 को या उससे पहले असम में प्रवेश कर चुके थे।’’
इसमें कहा गया, ‘‘ऐसे सभी मामलों को समाप्त करने का सुझाव दिया गया। इस संबंध में, जिला आयुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को तत्काल अपने-अपने एफटी सदस्यों के साथ बैठक करनी चाहिए, तथा समय-समय पर घटनाक्रम की समीक्षा करनी चाहिए और कार्रवाई रिपोर्ट इस विभाग को प्रस्तुत करनी चाहिए।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘असम सरकार ने गोरखा और कूच राजबोंगशी समुदायों के लोगों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने के स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। इसका तत्काल पालन किया जाना चाहिए।’’
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, केवल एफटी ही असम में किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित कर सकता है, और यदि फैसला अनुकूल नहीं होता है तो बाद में उच्च न्यायालयों का रुख किया जा सकता है।
इस बीच शर्मा ने यहां मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘राज्य सरकार ने सीएए में पहले से मौजूद निर्देशों के अलावा कोई निर्देश जारी नहीं किया है। अगर मंत्रिमंडल का कोई फैसला होता है, तो मैं हमेशा आपके साथ साझा करता हूं। कोई विशेष फैसला नहीं लिया गया है।’’
उन्होंने हालांकि कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले लोगों को निर्वासन से सुरक्षा प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यही कानून है। मामला उच्चतम न्यायालय में है। जब तक शीर्ष अदालत इसे रद्द नहीं करती, यही देश का कानून है। इसके लिए किसी विशेष फैसले की आवश्यकता नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने एफटी से मामले वापस लेने के संबंध में दो फैसले लिए हैं – एक कूच-राजबोंगशी समुदाय के लिए और दूसरा गोरखा लोगों से संबंधित।
भाषा धीरज देवेंद्र
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