आगरा: दिप्रिंट की एक रिपोर्ट में इस मुद्दे को उठाने के कुछ दिनों बाद शनिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के कर्मचारियों की टीमों को ताजमहल में देखा गया, जो यहां इसकी बाहरी सतह पर लगे कीड़ों के मल को साफ कर रहे थे.
17वीं शताब्दी के स्मारक की बाहरी संगमरमर की सतह को साफ करने का काम करने वालों में एएसआई की विज्ञान शाखा के विशेषज्ञ शामिल थे, जिन्होंने नुकसन का मूल्यांकन किया और पानी और कपास के साथ इसका इलाज करने की सिफारिश की.
पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में, दिप्रिंट ने इस मुद्दे को उठाया था कि कैसे ताजमहल की बाहरी सतह एक कीट प्रजाति – गोएलडिचिरोनोमस के मल के जमा होने के कारण हरी हो रही थी. विशेषज्ञों ने कहा कि यह कीट प्रजाति यमुना के सीवेज से भरे पानी में प्रजनन करती है.
ताजमहल में एएसआई के मुख्य सहायक संरक्षक, प्रिंस वाजपेयी ने दिप्रिंट को बताया कि विज्ञान शाखा के सदस्यों ने कपास का उपयोग करके हरे धब्बों को दूर करने से पहले स्मारक के प्रभावित हिस्सों को साफ पानी से धोया. पूरी तरह से सफाई के बाद, सतह को सुखाया गया और उसकी चमक बहाल करने के लिए रुई से पॉलिश की गई.
इस बात की पुष्टि करते हुए कि स्मारक की संगमरमर की सतह पर अब कोई हरे धब्बे नहीं हैं, वाजपेयी ने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं हो सकती है कि हरे धब्बे फिर से दिखाई नहीं देंगे क्योंकि तापमान में वृद्धि जारी है और यह कीट प्रजातियों के प्रजनन के लिए आदर्श समय है.
उन्होंने कहा कि यदि धब्बों को साफ न किया जाए तो ये भूरे-काले रंग के हो जाते हैं.
वाजपेयी ने आगे बताया, “जब तक यमुना को साफ नहीं किया जाता है और नदी में साफ पानी के नियमित प्रवाह से इन कीड़ों को खत्म नहीं किया जाता है, तब तक ये धब्बे ताजमहल पर फिर से दिखाई देते रहेंगे और अब एएसआई संगमरमर की सतह का नियमित निरक्षण करेगा और जैसे ही ये धब्बे दिखाई देने शुरू होंगे इन्हें हटाया जाएगा ताकि स्मारक भद्दा न दिखे.”
उन्होंने कहा, “ताजमहल के कुछ हिस्से हैं जो इन कीड़ों के हमले के लिए विशेष रूप से संवेदनशील हैं, जैसे कि उत्तर-पूर्वी मीनार, और इन हिस्सों को नियमित आधार पर साफ किया जाएगा.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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