नई दिल्ली: अशोका विश्वविद्यालय के कुलपति पद से हटने के करीब दो साल बाद जाने-माने विद्वान और राजनीतिक जानकार प्रताप भानु मेहता ने मंगलवार को विश्वविद्यालय से प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के कारणों का पता नहीं चल सका है.
वर्ष 2019 में कुलपति का पद छोड़ते वक्त उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे ‘एकेडमिक कारणों’ का हवाला दिया था. संकाय सदस्यों और छात्रों को उस समय लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा था कि वह ‘एक फुल-टाइम एकेडमिक जीवन में लौटना चाहता था.’
हालांकि, उन्होंने अभी प्रोफेसर के तौर पर विश्वविद्यालय से इस्तीफे के संबंध में कुछ नहीं कहा है.
जब दिप्रिंट ने उनसे टिप्पणी के लिए संपर्क किया तो मेहता ने अपने फैसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. इस बीच विश्वविद्यालय ने इस्तीफे की पुष्टि कर दी है लेकिन कारणों के बारे में कुछ नहीं बताया है.
एक प्रवक्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘हां, प्रोफेसर प्रताप भानु मेहता ने अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया है. कुलपति और फैकल्टी मेंबर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विश्वविद्यालय में काफी योगदान दिया है. अशोका विश्वविद्यालय उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता है.’
मेहता, जो इंडियन एक्सप्रेस में कॉन्ट्रिब्यूटिंग एडिटर भी हैं, अपने कॉलम में नियमित रूप से मौजूदा सरकार की आलोचना करते रहे हैं. वे नरेंद्र मोदी सरकार की कुछ नीतियों पर भी सवाल उठाते रहे हैं.
उन्होंने फाइनेंशियल टाइम्स और कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के लिए भी लिखा है. वह अमेरिकन पोलिटिकल साइंस रिव्यू और जर्नल ऑफ डिमोक्रेसी के संपादकीय बोर्ड में भी हैं.
मेहता ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट हैं और प्रिंसटन से राजनीति में पीएचडी हैं. 2019 में कुलपति के रूप में अशोका यूनिवर्सिटी को ज्वॉइन करने से पूर्व वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, एनवाईयू लॉ स्कूल में ग्लोबल फैकल्टी प्रोग्राम में प्रोफेसर रह चुके हैं. वह सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
अशोका विश्वविद्यालय हरियाणा के सोनीपत में स्थित एक निजी लिबरल आर्ट्स यूनिवर्सिटी है. यह खुद को ‘दुनिया में सबसे अच्छी उदार शिक्षा उपलब्ध कराने में अग्रणी’ मानती है.
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