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Saturday, 16 November, 2024
होमदेश'अशीष मोरे पहुंच से बाहर, फोन स्विच ऑफ है', दिल्ली सरकार ने वरिष्ठ नौकरशाह को भेजा कारण बताओ नोटिस

‘अशीष मोरे पहुंच से बाहर, फोन स्विच ऑफ है’, दिल्ली सरकार ने वरिष्ठ नौकरशाह को भेजा कारण बताओ नोटिस

दिल्ली सरकार ने कहा कि उनका आचरण सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करने वाला है और पद पर बने रहने के उनके गलत इरादे को दिखाता है.

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नई दिल्ली : अपने फोन को बंद करने और ‘पहुंच से बाहर’ होने का आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सोमवार को आशीष मोरे को कारण बताओ नोटिस भेजा है, जिन्हें पिछले सप्ताह सेवा विभाग के सचिव के पद से हटा दिया गया था.

दिल्ली सरकार ने मोरे को 24 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है कि अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) (अनुशासन और अपील) नियम 1969 के तहत एआईएस (आचरण) नियम 1968 के उल्लंघन को लेकर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न शुरू की जाय?

यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब दिल्ली सरकार ने मोरे से अपनी जगह दूसरे के लिए खाली करने को कहा है. मोरे को सेवा विभाग के सचिव के पद पर एक नए अधिकारी को ट्रांसफर करने के लिए एक फाइल पेश करने को कहा गया था.

दिल्ली सरकार का यह फैसला एक दिन बाद तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के पक्ष में यह फैसला सुनाया कि राज्य के अधिकारी जीएनसीटीडी को रिपोर्ट करेंगे न कि उपराज्यपाल को.

दिल्ली सेवाओं के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को कहा था कि, जब मोरे को फाइल पेश करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने मंत्री के कार्यालय को सूचित किए बिना अप्रत्याशित रूप से सचिवालय से चले गए, वह पहुंच से बाहर हैं और उनका फोन स्विच ऑफ है.

दिल्ली सरकार ने आज नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है, ‘आशीष माधवराव मोरे का उक्त आचरण साफ बताता है कि वह एनसीटीडी सरकार द्वारा उन्हें सेवा सचिव के पद से ट्रांसफर किए जाने की जानकारी के बाद, कुछ छिपे उद्देश्यों को पाने को लेकर उक्त पद पर बने रहने के लिए अवैध तरीके अपना रहे हैं. उनका उक्त आचरण सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के फैसले को लागू करने में बाधा डालने और देरी करने का भी इरादा दिखाता है. यह एक निर्वाचित सरकार द्वारा वैध शक्तियों के प्रयोग में बाधा डालने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास भी नजर आता है.’

दिल्ली सरकार ने इससे पहले कहा था कि सेवा सचिव द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करने में नाकाम रहने पर न्यायालय की अवमानना ​​​​माना जाएगा.


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