नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध के कारण शेयर बाजार में आ रहे अत्यधिक उतार-चढ़ाव को देखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार देश के सबसे बड़े आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) को अगले वित्तीय वर्ष में ले जाने पर विचार कर रही है और बाजार से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इसे स्थगित किया जाना एक अच्छा विचार है.
एलआईसी के इस मेगा आईपीओ, जिसके द्वारा सरकार के खाते में लगभग 65,000 करोड़ रुपये आने की संभावना है, की सफलता सुनिश्चित करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) ने अपना सारा जोर लगा रखा है.
इससे सरकार को 2021-22 के लिए निर्धारित 78,000 करोड़ रुपये के अपने संशोधित विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलने की भी उम्मीद थी. इस तरह की अप्रत्याशित अस्थिरता को कम करने के लिए सरकार ने अगले साल के लिए 65,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘सरकार को इस आईपीओ को जारी करने के कदम के साथ आगे बढ़ना चाहिए या नहीं, यह तय करने के लिए मंत्रियों के एक समूह की 4-5 मार्च को बैठक होने की संभावना है.’
इस मंत्री समूह, जिसे अल्टरनेट मैकेनिज्म (वैकल्पिक तंत्र) के रूप में भी जाना जाता है, में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शामिल हैं. मंत्रियों का यह समूह एलआईसी के शेयरों के मूल्यांकन, इशू साइज और मूल्य निर्धारण को तय करने के लिए अपनी बैठक करेगा.
टीसीजी एसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक चकरी लोकप्रिया ने कहा, ‘मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए और आकार एवं चीजों की समग्र योजना में इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए, इस आईपीओ को स्थगित करना ही सबसे अच्छा विकल्प है.‘
लोकप्रिया ने कहा, ‘उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें काफी अधिक हैं और इससे मुद्रास्फीति (महंगाई की दर) बढ़ रही है, जो बाजार के नज़रिये से कभी भी अच्छी बात नहीं होती है.’
हालांकि, उनका मानना है कि बाजार में इस आईपीओ को समाहित करने की क्षमता है क्योंकि सिस्टम में पर्याप्त तरलता (नकदी की उपलब्धता) है और एलआईसी का मूल्यांकन, इसकी अपनी मेथोडोलोजि के अनुसार, अब बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है.
भारत के शेयर बाजार का वोलैटिलिटी इंडेक्स (अस्थिरता सूचकांक), जो अगले 30 दिनों में बाजार में अपेक्षित उतार-चढ़ाव का संकेत देता है, वर्तमान में 28-28.50 के बीच मंडरा रहा है. जब यह 15 के आसपास होता है तो बाजार अपने स्थिर दौर में होता है.
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एलआईसी आईपीओ के लिए तय की गयी है मार्च के मध्य की समय सीमा
केंद्र सरकार ने इस आईपीओ के लिए मार्च के मध्य की समय सीमा तय की थी और इसका ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस 13 फरवरी को दायर किया गया था, जिसमें 30 सितंबर 2021 तक इस कंपनी के एम्बेडेड वैल्यू (अंतर्निहित मूल्य) के 5.4 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था.
मसौदा दस्तावेज के अनुसार, 31.6 करोड़ इक्विटी शेयर बिक्री के प्रस्ताव के माध्यम से बाजार में लाये जायेंगे, जो इस बीमा कंपनी की संपूर्ण इक्विटी का 5 प्रतिशत है. शेयरों का कोई नया निर्गम (इशू) नहीं किया जायेगा.
हालांकि, इस आईपीओ के लिए निर्धारित समय-सीमा का कड़ाई से पालन किया जा रहा था, मगर वैश्विक अर्थव्यवस्था रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से हिल सी गई है, जिससे भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता पैदा हो गई है.
एड्रोइट फाइनेंशियल के पोर्टफोलियो मैनेजर अमित कुमार ने कहा, ‘इस आईपीओ के साथ कोई मौलिक समस्या नहीं है जो इसे बाधित कर सकती हो, लेकिन हां यदि आप विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) की भागीदारी चाहते हैं- जो इस मामले में इस वजह से आवश्यक होगा क्योंकि आईपीओ का आकार बहुत बड़ा है- तो आदर्श स्थिति यह होगी कि सरकार रूस-यूक्रेन से संबंधित संकट से उड़े गुबार के स्थिर हो जाने तक इंतजार करे. वे एक महीने के बाद कभी भी वापस आ सकते हैं.’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ‘द हिंदू बिजनेसलाइन’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि सरकार रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के मद्देनजर इस आईपीओ के लाये जाने के समय की समीक्षा कर रही है.
इस बीच सरकार अपने रोड शो, जो कि संभावित निवेशकों के साथ बातचीत और जुड़ाव के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, भी जारी रखे हुए है और अगर विदेशी निवेशकों से पर्याप्त भागीदारी की गारंटी मिलती है, जो इस आईपीओ को सफल बना सकती है, तो वह इसके लिए तैयार रहना चाहती है.
दिप्रिंट के साथ एक साक्षात्कार में, दीपम सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा था कि सरकार अगले पांच वर्षों में एलआईसी की 25 प्रतिशत इक्विटी को बेचने की उम्मीद करती है.
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