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Sunday, 3 November, 2024
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HC के यूट्यूब चैनल हिट देखकर SC की कमेटी अदालती कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग के लिए खास प्लेटफॉर्म तैयार करने में जुटी

सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने यह जरूरत ऐसे समय पर महसूस की है जब छह हाई कोर्टों की तरफ से अपने खुद के यूट्यूब चैनल लॉन्च किए जा चुके हैं. हालांकि, अदालती कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग करना या न करना अदालतों की इच्छा पर निर्भर करेगा.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग के लिए एक विशेष प्लेटफॉर्म शुरू करने के प्रस्ताव पर काम कर रही है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

यह कवायद ई-कोर्ट प्रोजेक्ट यानी भारतीय न्यायपालिका में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की एक महत्वाकांक्षी पहल, के तीसरे चरण के तौर पर चल रही है.

मौजूदा समय में देश की छह हाई कोर्टों—गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, पटना और मध्य प्रदेश—के पास अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लिए यूट्यूब पर अपने चैनल हैं. इन पर कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी की तरफ से निर्धारित दिशानिर्देशों के आधार पर होती है. दिशानिर्देशों के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि भारत में अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान क्या करना है और क्या नहीं.

जून 2021 में इन दिशानिर्देशों को फीडबैक के लिए सभी संबंधित पक्षों के पास भेजा गया था, जिसमें हाई कोर्ट और सार्वजनिक नीतियों पर देश का शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग शामिल हैं.

ताजा घटनाक्रम सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पहली बार—26 सितंबर, 2018 को—अपनी सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की सिफारिश किए जाने के करीब तीन साल बाद सामने आया है, जब भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस (सीजेआई) के नेतृत्व वाली एक बेंच ने अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत न्याय तक पहुंच का अधिकार घोषित किया था.
ई-कोर्ट प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि विभिन्न हाईकोर्ट के यूट्यूब चैनलों को जिस तरह सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है, उसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी अपना खुद का एक प्लेटफॉर्म स्थापित करने के बारे में सोच रही है.

अधिकारी ने कहा कि एक बार यह प्लेटफॉर्म शुरू हो जाए तो, जिन हाई कोर्ट के पहले से ही अपने चैनल हैं, वे भी इस पर स्विच कर जाएंगे. अधिकारी ने कहा, ‘ई-कमेटी न्यायिक प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता के प्रति समर्पित है और अदालती सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने वाला एक खास प्लेटफॉर्म इसी उद्देश्य की प्राप्ति की दिशा में एक प्रयास है.’

सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ करते हैं.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ऐसा प्लेटफॉर्म होने से गोपनीयता संबंधी चिंताओं और डेटा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का भी समाधान हो पाएगा जो किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर अदालती कार्यवाही की स्ट्रीमिंग के साथ उत्पन्न होते हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘अभी इस्तेमाल होने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पब्लिक हैं और इस पर लाइव स्ट्रीमिंग से कार्यवाही की गोपनीयता के साथ ही ऑनलाइन साझा किए जाने वाले डेटा को लेकर भी चिंताएं जाहिर की गई हैं. इसलिए, महसूस किया गया कि एक विशेष चैनल बनाना बेहतर होगा जो अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लिए एक वैकल्पिक प्लेटफॉर्म बन सके.’
अधिकारी ने आगे कहा कि हाई कोर्टों के लिए अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग अनिवार्य नहीं की जाएगी. इस बीच, ई-कोर्ट समिति मॉडल लाइव-स्ट्रीमिंग दिशानिर्देशों को अभी अंतिम रूप देने में जुटी है.

पहले अधिकारी ने कहा, ‘हमारी तरफ से तैयार दिशा-निर्देशों के मसौदे को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है और अब समिति उन्हें अंतिम रूप दे रही है ताकि उन्हें वे हाई कोर्ट अपना सकें जो अपनी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग करना चाहती हैं.’

इन दिशानिर्देशों के आधार पर प्रत्येक हाई कोर्ट अपने नियम बना सकती है. अधिकारी ने कहा कि जिन छह हाई कोर्ट के पास पहले से ही अपने लाइव स्ट्रीम चैनल हैं, उन्हें दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए अपने नियमों में बदलाव करना चाहिए.

यह घटनाक्रम खासकर यह देखते हुए भी काफी महत्वपूर्ण है कि कोविड महामारी के दौरान अदालतों को वर्चुअल सुनवाई की व्यवस्था करने पर बाध्य होना पड़ा था.


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कैसे हुई शुरुआत

सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग का सुझाव तब दिया था, जब वह लॉ स्टूडेंट स्वप्निल त्रिपाठी की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. स्वप्निल त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट के एक नोटिस के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसके तहत कानून के छात्रों और इंटर्न को सोमवार और शुक्रवार को अदालतों में प्रवेश से रोक दिया गया था, जब यहां पर नए मामलों पर विचार होता है. त्रिपाठी ने अपनी याचिका में अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण की भी मांग की थी.

अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण के अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल के सुझाव को स्वीकारते हुए तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था, ‘यदि अदालत की प्रशासनिक शाखा ही अपने फैसलों पर अमल नहीं करेगी तो इससे कोर्ट की छवि बहुत खराब होती है.’

हालांकि, फैसले में अदालती कार्यवाही के सीधे-प्रसारण पर कोई न्यायिक निर्देश नहीं दिया गया था, इसके बजाये इसमें कहा गया था कि फैसले के प्रशासनिक पहलू को देखते हुए इसे सीजेआई के सामने रखा जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने तबसे तीन सीजेआई बन चुके हैं—जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए. बोबडे, और मौजूदा चीफ जस्टिस एन.वी. रमना. यद्यपि जस्टिस गोगोई और जस्टिस बोबडे के कार्यकाल के दौरान इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया, वहीं, इस साल अगस्त में रिटायर होने वाले जस्टिस रमना भी अदालती फैसले को लागू कराने में असमर्थ रहे हैं. हालांकि उन्होंने उन्होंने शुरू में कहा था कि वह लाइव स्ट्रीमिंग करने को लेकर कोई औपचारिक निर्णय लेने के पक्ष में हैं.

सीजेआई का पद संभालने के तुरंत बाद जस्टिस रमना ने घोषणा की कि वह सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने के इच्छुक हैं और पूर्ण-न्यायालय की सहमति पर काम कर रहे हैं—यानी अदालत के सभी न्यायाधीशों को इसके लिए राजी करने की कोशिश.

17 जुलाई, 2021 को सीजेआई का बयान गुजरात हाई कोर्ट की तरफ से अपना यूट्यूब चैनल लॉन्च किए जाने के बाद आया था. हाई कोर्ट की तरफ से औपचारिक तौर पर अपना चैनल लॉन्च किए जाने से पहले, वहां के तत्कालीन चीफ जस्टिस विक्रम नाथ (अब सुप्रीम कोर्ट के जज) ने पहली बार लाइव स्ट्रीमिंग के साथ प्रयोग किया और अक्टूबर 2020 में अपनी अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया.

आज, गुजरात हाई कोर्ट के यूट्यूब चैनल के 98,000 सब्सक्राइबर हैं, जिसमें 1,500 से अधिक लोग प्रतिदिन चैनल में लॉग इन करते हैं.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जून 2021 में अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की, जब कुछ पत्रकारों ने अदालत में एक याचिका दायर कर महामारी के दौरान वर्चुअल सुनवाई तक पहुंच की मांग की. कोर्ट के यूट्यूब चैनल के अब 26,000 से अधिक सब्सक्राइबर हो चुके हैं.

इसके बाद अन्य हाई कोर्ट ने भी इस दिशा में कदम आगे बढ़ाया. ओडिशा की हाई कोर्ट अगस्त 2021 में लाइव हुई और अब इसके 12,000 से अधिक सब्सक्राइबर हैं; झारखंड ने अपना चैनल दिसंबर 2021 में शुरू किया और अब तक इसके सब्सक्राइबर की संख्या करीब 2,360 है; और पटना ने दिसंबर 2021 में अपनी लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की और आज इसके सब्सक्राइबर 10,700 से अधिक हैं.

इस साल जनवरी में , कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपना यूट्यूब चैनल लॉन्च किया. इसके एक महीने से भी कम समय बाद कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर राज्य सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. आज चैनल के एक लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी की अदालत को इस साल फरवरी और मार्च में 80,000 से अधिक लाइव व्यू मिले जब कोर्ट मामले में दलीलें सुन रही थी.

सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘इन यूट्यूब चैनलों की जरिये हाई कोर्ट की पहुंच भी बढ़ी है क्योंकि उन पर आधिकारिक कार्यक्रमों और सम्मेलनों का भी प्रसारण होता है, जिसमें आम जनता की ऑनलाइन भागीदारी की अनुमति भी होती है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )


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