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Monday, 23 December, 2024
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किसानों के विरोध-प्रदर्शन में खूब बज रहे गाने, कलाकार अपने-अपने तरीके से दे रहे आंदोलन को समर्थन

गायक कंवर ग्रेवाल ने ‘ऐलान’ और ‘पेचा’ गीतों को अपनी आवाज दी है. इन गानों में किसानों के प्रदर्शन को समर्थन दिया गया है.

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चंडीगढ़/नयी दिल्ली: सड़कों पर संगीत की धुनें तैर रही हैं लेकिन ये धुनें न तो शादी के गीतों की है और न ही तसल्ली से बैठकर सुनने वाला संगीत है. यह किसानों के विरोध प्रदर्शन के गीत हैं.

नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पंजाब से दिल्ली आए हैं और उनके साथ ही ये गीत भी पंजाब से दिल्ली तक उनके विरोध प्रदर्शन के साथी बने हुए हैं.

नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं. इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं, जो पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोलों का सामना करने के बाद यहां पहुंचे हैं. उनके इस विरोध प्रदर्शन में अपनी माटी पर गर्व, एकता में बल और अधिकारों के लिए सत्ता को चुनौती देने वाले नारे और गीत सुने जा सकते हैं. इसी बीच किसानों के प्रतिनिधि सरकार के साथ बातचीत भी कर रहे हैं.

इस पूरी कवायद के बीच विरोध प्रदर्शनों के गीतों को यूट्यूब, वाट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक श्रोता मिले हैं. कई गायकों का कहना है कि यह उनकी पंजाबी पहचान को भी जाहिर कर रहे हैं जिसकी जड़ें काफी गहरी हैं और यह जाति और पंथ से ऊपर है.

गायक कंवर ग्रेवाल ने कहा, ‘यह हमारे लिए बड़ा मुद्दा है. हम सभी अपनी मिट्टी से जुड़े हैं.’

ग्रेवाल ने ‘ऐलान’ और ‘पेचा’ गीतों को अपनी आवाज दी है. इन गानों में किसानों के प्रदर्शन को समर्थन दिया गया है. ग्रेवाल ने कहा कि वह एक तीसरे गीत ‘जवानी जिंदाबाद’ की योजना बना रहे हैं, जिसमें प्रदर्शन में युवाओं की हिस्सेदारी को उजागर किया जाएगा.

‘पेचा’ गाने को हर्फ चीमा ने लिखा है और इसे चीमा तथा ग्रेवाल दोनों ने मिलकर गाया है. इसे यूट्यूब पर अब तक 30 लाख से ज्यादा बार देखा चुका है. इस गाने में पंजाब और दिल्ली के बीच गहमागहमी, किसानों की आत्महत्या और केंद्र सरकार की ‘कलिया नीति करदे लागू (खराब नीतियों)’ का जिक्र है.

इस गाने के वीडियो में ट्रक और ट्रैक्टर में प्रदर्शन के लिए रवाना हो रहे किसानों के काफिले, पुरुषों, महिलाओं और युवाओं के नारे लगाते हुए लंबे शॉट हैं. चीमा ने कहा, ‘यह गाना सरकार के साथ आम लोगों की लड़ाई के बारे में है. यह एक लोकतांत्रिक देश है. सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है. किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और वह इसमें संगीत को शामिल कर रहे हैं.’

ग्रेवाल ने कहा कि पंजाब से कृषि को निकाल दें तो वहां कुछ बचेगा नहीं. उन्होंने कहा कि राज्य की 75 फीसदी आबादी किसी न किसी तरह से कृषि से जुड़ी है.

पंजाब के विख्यात गायक और अभिनेता हरभजन मान पिछले कई महीनों से किसानों के विरोध प्रदर्शन को समर्थन दे रहे हैं. वह बुधवार को ‘मरदे नी लाये बिना हक, दिलिये’ गाना लेकर आए हैं. यह किसानों के बारे में है. उन्होंने किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए शुक्रवार को घोषणा की कि वह राज्य सरकार के ‘शिरोमणि पंजाबी गायक’ पुरस्कार को स्वीकार नहीं करेंगे.

मान ने ट्विटर पर कहा, ‘हालांकि मैं चुने जाने के लिए आभारी हूं. मैं विनम्रतापूर्वक भाषा विभाग का शिरोमणि गायक पुरस्कार स्वीकार नहीं कर सकता. लोगों का प्यार मेरे करियर का सबसे बड़ा पुरस्कार है, और अभी से हम सभी का ध्यान तथा प्रयास किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए समर्पित होना चाहिए.’

वहीं प्रसिद्ध गायक जसबीर जस्सी ने कहा कि यह अच्छा है कि पंजाबी कलाकार किसानों का समर्थन कर रहे हैं. जस्सी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘पंजाबी लोग भावनात्मक होते हैं. काफी लंबे समय बाद पंजाब, पंजाब की तरह दिखा है. कोई हिंदू, मुस्लिम या सिख या गरीब नहीं है. सभी साथ आए हैं. इसमें युवा भी शामिल हैं, जिन पर पहले नशे के सेवन के आरोप लगे थे. और सबसे जरूरी बात यह है कि यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन है.’

पंजाबी संगीतकार सिधू मोसेवाला, बब्बू मान, जस बाजवा, हिम्मत संधू, आर नइत और अनमोल गगन जैसे कलाकार पंजाबी लोगों में अधिकारों की रक्षा की लड़ाई की भावना की तारीफ करते हुए अपने गाने ले कर आए हैं.

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