कोलकाता, 18 अक्टूबर (भाषा) छुट्टी से ड्यूटी पर लौट रहे भारतीय सेना के एक एम्बुलेंस सहायक ने ट्रेन में आठ महीने के शिशु को सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देकर उसकी जान बचाई। एक रक्षा अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सीपीआर एक आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रिया होती है जिसका उपयोग हृदय गति या सांस रुकने पर किया जाता है।
अधिकारी ने बताया कि पूर्वोत्तर में सेना के एक फील्ड अस्पताल में तैनात सिपाही सुनील ने नयी दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान शिशु को सीपीआर दिया और उसे स्थिर किया।
रक्षा अधिकारी ने एक बयान में कहा, ‘‘उनकी समय पर और पेशेवर कार्रवाई ने ऐसी स्थिति में शिशु की जान बचाई जब तत्काल कोई चिकित्सा सहायता उपलब्ध नहीं थी।’’
उन्होंने बताया कि ट्रेन में इस सप्ताह की शुरुआत में यात्रा कर रहे आठ महीने के शिशु को सांस लेने में अचानक तकलीफ होने लगी और उसके शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया।
रक्षा अधिकारी ने बताया कि बच्चे की मां यह सोचकर बेहोश हो गई कि उसकी मौत हो गई है तथा परिवार के अन्य सदस्य घबरा गए।
उन्होंने बताया कि ‘456 फील्ड अस्पताल’ में तैनात सिपाही (एम्बुलेंस सहायक) सुनील छुट्टी से लौट रहे थे और उसी डिब्बे में थे।
अधिकारी ने बताया कि वह उनकी सहायता के लिए तुरंत दौड़े और शिशु की जांच करने पर पाया कि उसकी न तो नब्ज मिल रही थी और न ही सांस चल रही थी।
उन्होंने बताया कि सुनील ने शिशु को तुरंत सीपीआर देने की प्रक्रिया शुरू की जिसके बाद उसके शरीर के अंगों ने प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया।
रक्षा अधिकारी ने बताया कि इसके बाद सुनील ने शिशु के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए ट्रेन कर्मचारियों और रेलवे पुलिस के साथ समन्वय सुनिश्चित किया।
उन्होंने कहा कि सिपाही की सूझ-बूझ ने शिशु की जान बचा ली।
भाषा सिम्मी शोभना
शोभना
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