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Wednesday, 1 May, 2024
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स्नैपड्रैगन जीन्स, कैंसर-रोधी गुण वाला सुपरफ्रूट हैं बैंगनी टमाटर, विकसित करने में लगे 16 साल

आनुवंशिक रूप से संशोधित ये टमाटर जल्द ही अमेरिका में बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएंगे, और कथित रूप से ये अन्य रोगों के अलावा, कुछ प्रकार के कैंसर, और दिल की बीमारियों से बचाव करते हैं.

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नई दिल्ली: यूरोपीय वैज्ञानियों ने जब 2008 में स्नैपड्रैगन फूल के डीएनए से एक टमाटर को अनुवांशिक रूप से संशोधित किया, तो उसका परिणाम था पूरी तरह से बैंगनी रंग का टमाटर, जिसमें कैंसर-रोधी गुण मौजूद थे. चौदह साल बाद शाही रंग के इस जीएमओ (आनुवंशिक रूप से परिवर्तित जीव) को, आख़िरकार अमेरिकी नियामकों की मंज़ूरी मिल गई है.

इसी महीने अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की पशु और पादप स्वास्थ्य निरीक्षण सेवा (एपीएचआईएस) ने मान लिया, कि पौधे को अमेरिका में सुरक्षित तरीक़े से उगाया और ब्रीड किया जा सकता है. यूएसडीए ने एक बयान में कहा, ‘हमने पाया कि उगाए गए दूसरे टमाटरों की तुलना में, इस पौधे में कीड़ा लगने के जोखिम की ज़्यादा संभावना नहीं होती’.

ग्राहक इसे खाएंगे कि नहीं ये देखा जाना अभी बाक़ी है. लेकिन पूरी संभावना है कि अगले साल से, लोग इसके बीज ख़रीदकर जीएमओ टमाटर उगा सकेंगे. इसपर काम करने वाले शोधकर्त्ता बहुत उत्साहित हैं, कि उनकी ‘स्वस्थ’ रचना आख़िरकार अमेरिका की मेज़ों तक का सफर पूरा कर पाएगी.

‘ये तो ज़बर्दस्त है, मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं ये दिन देख पाउंगी. अब हम इस बैंगनी टमाटर को बहुत से उत्साहित लोगों तक पहुंचाने के मेरे सपने के एक क़दम और क़रीब हैं, जो इन्हें खाना चाहते हैं,’ ये कहना था यूके में जॉन इन्स सेंटर की प्रोफेसर कैथी मार्टिन का, जो इसकी रिसर्च में लगे वैज्ञानिकों में से एक हैं.

एक नज़र डालते हैं कि बैंगनी टमाटर नियमित टमाटरों से भी ज़्यादा पोषक कैसे हो सकते हैं, और इनके पीछे क्या विज्ञान है.

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बैंगनी टमाटर इतने ‘स्वस्थ’ कैसे हैं?

‘बैंगनी टमाटर’ सिर्फ इसकी दिखावटी अपील नहीं, बल्कि इसके बढ़े हुए पोषक गुणों के लिए तैयार किया गया.

14 साल पहले इटली, यूके, जर्मनी, और नीदरलैण्ड्स के वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने, इसे पहली बार लैब में विकसित किया था.

एंथोसायनिन से भरपूर बैंगनी टमाटर उगाने के लिए, टीम ने इसमें एंटीरीनम के जीन्स शामिल किए- जो एक प्रकार का पौधा होता है जिसे आमतौर से स्नैपड्रैगन, ड्रैगन फ्लावर, और डॉग फ्लावर के नाम से जाना जाता है.

एंथोसायनिन प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रंग होते हैं, जो ख़ासतौर पर ब्लैकबरी, क्रेनबरी, और चोकबरी जैसी बेरियों में काफी मात्रा में होते हैं. इनका अपना कोई स्वाद या गंध नहीं होती, हालांकि इनकी मौजूदगी से एक हल्का सा ‘कसैला’ या ‘खट्टा’ स्वाद आ जाता है.

ज़्यादा महत्वपूर्ण ये है कि इस बात के कुछ सबूत हैं, कि अपने एंटी-ऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुणों के कारण, एंथोसायनिन्स कुछ प्रकार के कैंसर, दिल के रोग और बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं. स्टडीज़ से ये भी पता चलता है कि इन गुणों की वजह से, ये मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों को संभालने में उपयोगी साबित होते हैं.

2008 में मार्टिन ने एक बयान में कहा था, ‘ज़्यादातर लोग दिनभर में फलों और सब्ज़ियों का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं करते, लेकिन जो कुछ वो खाते हैं, उनसे उन्हें ज़्यादा फायदा मिल सकता है अगर ऐसे आम फल और सब्ज़ियां विकसित कर ली जाएं, जिनमें जैविक रूप से सक्रिय कंपाउण्ड्स ज़्यादा मौजूद हों.


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बैंगनी टमाटर के पीछे विज्ञान

2008 में नेचर बायोटेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में, टीम ने बयान किया था कि कैसे उन्होंने स्नैपड्रैगन से दो जीन्स को कैसे व्यक्त किया था, जिनसे स्नैपड्रैगन फूलों में एंथोसायनिन्स बनने शुरू होते हैं.

जीन्स को टमाटर के फल में चालू किया गया, जिसके नतीजे में ऐसे टमाटर मिले जिनमें एंथोसायनिन्स की मात्रा इतनी अधिक थी, जो उससे पहले फल के छिलके या गूदे में कभी देखने में नहीं आई थी.

परिणाम में मिलने वाला फल गहरे बैंगनी रंग का था.

स्टडी के लिए शोधकर्त्ताओं ने कैंसर के प्रति अति-संवेदनशील चूहों पर आगे कुछ और परीक्षण किए. उन्हें पता चला कि ऐसे चूहों के जीवनकाल में काफी इज़ाफा हो गया, जब उनकी ख़ुराक में सामान्य लाल टमाटरों की बजाय बैंगनी टमाटर शामिल किए गए.

मार्टिन ने आगे चलकर सैंसबरी लैबोरेट्री के जोनाथन जोन्स के साथ मिलकर, 2009 में नॉफोक प्लांट साइंसेज़ नाम से एक स्पिन-ऑफ कंपनी स्थापित की, जो यूके की पहली जीएम फसल कंपनी थी. पिछले साल अगस्त में उन्होंने नियामक की मंज़ूरी के लिए एक आवेदन दिया.

पहले हवाला दिए गए 2022 के बयान में मार्टिन ने कहा, ‘खट्टी-मीठी बात ये है कि बैंगनी टमाटर अमेरिका में बिक्री के लिए होंगे, यूके में नहीं. लेकिन अच्छी बात ये है कि घरेलू उत्पादकों पर फोकस करके हम उपभोक्ता-केंद्रित होंगे, और हमें उनका फीडबैक और रूचि मिलेगी, जिसकी दूसरे उत्पाद विकसित करने के लिए ज़रूरत होगी’.


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