कोलकाता, 28 नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में जुटे एक और बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उनके परिवार ने आरोप लगाया कि अत्यधिक कार्य दबाव के कारण उनकी जान गई।
चार नवंबर को कवायद शुरू होने के बाद राज्य में यह चौथी ऐसी मौत है, जिसने राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को हवा दे दी है।
अधिकारियों ने मृतक की पहचान जाकिर हुसैन के रूप में की, जो एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। परिजनों ने बताया कि बृहस्पतिवार दोपहर उन्हें सीने में तेज दर्द उठा, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां रात में उनकी मृत्यु हो गई।
परिजनों का दावा है कि हुसैन पर एसआईआर ड्यूटी और नियमित शिक्षण कार्य का ‘जबरदस्त दबाव’ था।
उनका आरोप है कि प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों से बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्हें एसआईआर ड्यूटी से मुक्त करने से इनकार कर दिया गया, जिससे दबाव बढ़ा।
इससे पहले पूर्ब बर्धमान जिले में दिल का दौरा पड़ने से एब बीएलओ की मौत हो गई थी, जबकि नदिया और जलपाईगुड़ी में एक-एक बूथ स्तरीय अधिकारी ने काम के कथित दबाव के चलते आत्महत्या कर ली।
इन मौतों पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने निर्वाचन आयोग (ईसी) पर बूथ स्तरीय अधिकारियों पर ‘अमानवीय’ और ‘अनियोजित’ कार्यभार लादने का आरोप लगाया है।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि बीएलओ द्वारा महसूस किया गया तनाव निर्वाचन आयोग के निर्देशों से नहीं, बल्कि राज्य में सत्तारूढ़ दल द्वारा डाले गए राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव से उपजा है।
भाषा सुमित अविनाश
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