scorecardresearch
Tuesday, 19 November, 2024
होमदेशअर्थजगतकौन हैं मिथिला के 'एंजेल्स' जो स्टार्ट-अप कल्चर को बढ़ा रहे हैं, सबके प्रयास से आर्थिक विकास है मकसद

कौन हैं मिथिला के ‘एंजेल्स’ जो स्टार्ट-अप कल्चर को बढ़ा रहे हैं, सबके प्रयास से आर्थिक विकास है मकसद

मिथिला एंजेल नेटवर्क के संस्थापक अरविंद झा ने बताया कि यह 700 पेशेवर लोगों का नेटवर्क है, जो मिथिला क्षेत्र में स्टार्ट-अप और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

Text Size:

नई दिल्ली: बिहार के मिथिला क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए हाल ही में एक नई उम्मीद जगी है. पहली बार ऐसा हुआ है कि मिथिला क्षेत्र के किसी स्टार्ट-अप ने ग्लोबल एंजेल्स के जरिए क्राउड-फंडिंग कर पैसे जुटाए हो. और यह सब मिथिला एंजेल नेटवर्क (एमएएन) की कोशिशों के कारण हुआ है जो बीते 2-3 सालों से ग्लोबल इनवेस्टर्स को बिहार में निवेश करने के लिए तैयार कर रहा है.

मिथिला एंजेल नेटवर्क 700 से ज्यादा लोगों का एक नेटवर्क है जिसके संस्थापक 55 वर्षीय अरविंद झा हैं. यह नेटवर्क देश से बाहर रहे रहे मिथिला क्षेत्र के लोगों के जरिए इस इलाके की इकोनॉमी को बढ़ाने में लगा है.

इस नेटवर्क की शुरुआत 2021 में हुई थी. नेटवर्क के संस्थापक अरविंद झा ने दिप्रिंट से कहा, “मिथिला क्षेत्र में काफी स्टार्ट-अप्स काम कर रहे हैं. सपोर्ट सिस्टम के लिए वे भूखे थे और हमारे आने से उनमें एक सुगबुगाहट शुरू हो गई. लेकिन फंडिंग स्टेज तक पहुंचने से पहले बिजनेस स्ट्रैटेजी, पोजिशनिंग, गो टू मार्केट प्लान क्लीन होना चाहिए. ताकि जो पैसा लगाए उसे दिखना चाहिए कि इससे कुछ रिटर्न आएगा.”

उन्होंने कहा, “2008 के बाद से भारतीय स्टार्ट-अप्स में 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश हो चुका है लेकिन मिथिला को न तो कोई सपोर्ट मिला न ही फंडिंग मिली. इससे न केवल प्रोफेशनल मैथिली लोगों को एक साथ आने का मौका मिला बल्कि निवेश के लिए एक माहौल भी बना.”

रोडबेज़ (टैक्सी-एग्रीगेटर) एक ऐसी ही कंपनी है, जिसने हाल ही में 25 मार्च को क्राउड-फंडिंग के जरिए 46 लाख रुपए जुटाए हैं.

रोडबेज के संस्थापक दिलखुश कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “मिथिला एंजल नेटवर्क ने हमारे स्टार्ट-अप के लिए संजीवनी का काम किया है. इसके बिना इतने कम समय में तेजी से ग्रोथ करना मुश्किल होता क्योंकि बिहार में कोई इनवेस्टर नहीं आना चाहता है. अगर रोडबेज़ आने वाले समय में अच्छा परफोर्म करेगा तो इनवेस्टर्स का भरोसा बढ़ेगा.”


यह भी पढ़ें: भारत लेबर में निवेश करता है, उसे अमेरिका-जापान की तरह R&D पर भारी खर्च करने के दबाव की दरकार नहीं


सहायता और मेंटरशिप

मिथिला देश के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है जिसकी जीडीपी 500 डॉलर से कम है. अरविंद झा ने बताया, “मिथिला एंजेल नेटवर्क इस स्थिति को बदलने के लिए बनाया गया है.”

नेटवर्क की वेबसाइट के अनुसार, “यह मिथिला क्षेत्र को समर्पित पहला बूटस्ट्रैप्ड इनक्यूबेटर-कम-एंजेल इन्वेस्टमेंट ग्रुप है.”

अरविंद के मुताबिक इस नेटवर्क से जुड़े ज्यादातर लोग आईटी और फाइनेंस क्षेत्र से जुड़े हैं. मिथिला एंजेल नेटवर्क के अन्य संस्थापकों में बिजनेस कंसल्टेंट शैलेंद्र मोहन ठाकुर, आईआईएम से पढ़े प्रभात, आईआईटी से पढ़े डॉ. ऋतुराज सिंह, सॉफ्टवेयर इंजीनियर अर्पित झा, टेक्निकल आर्किटेक्ट मनोज कर्न, आईटी प्रोफेशनल उज्ज्वल कुमार शामिल हैं.

रोडबेज़ अकेला स्टार्ट-अप नहीं है जिसे मिथिला एंजेल नेटवर्क मदद कर रहा है. इसके अलावा 10 और भी स्टार्ट-अप्स हैं जिनमें ग्रोसरी स्टार्ट-अप ‘दरभंगा हाट’, मेडिकल ट्रांसपोर्ट प्रोवाइडर ‘हनुमान एंबुलेंस’, अंग्रेज़ी सीखने का प्लेटफॉर्म ‘इंग्लिश यारी’ और ‘बिगओहेल्थ’ शामिल है.

RodBez CEO Dilkhush Kumar with Mithila Angel Network's co-founder Arvind Jha | Special Arrangement
रोडबेज़ के सीईओ दिलखुश कुमार के साथ मिथिला एंजेल नेटवर्क के संस्थापक अरविंद झा | फोटो: विशेष प्रबंध

इन कंपनियों को न केवल फंडिंग दी जा रही है बल्कि मेंटरशिंप और नेटवर्किंग के जरिए भी मदद की जा रही है.

झा ने बताया कि अभी नेटवर्क से आठ मेंटर्स जुड़े हैं जो दुनिया भर में अलग-अलग कंपनियों के शीर्ष पदों पर काम करते हैं. मेंटर्स में यूके के बकिंघमशायर के काउंसलर शरद कुमार झा समेत अमेरिका के कोलोरेडो में रहने वाले अजय झा शामिल हैं.

नेटवर्क अक्सर फाउंडर्स टॉक भी आयोजित करता है जिसमें स्टार्ट-अप्स के सीईओ या बिजनेस की दुनिया से जुड़े लोगों को बुलाया जाता है. 8 अप्रैल को फाउंडर्स टॉक सीरीज का छठी बार आयोजन होगा जिसमें रोडबेज़ के संस्थापक दिलखुश कुमार को स्पीकर के तौर पर बुलाया गया है.

फिलहाल, ज्यादातर निवेशक मिथिला के ही हैं जो विदेश में रहते हैं. झा ने कहा, “बाहरी लोग अभी भी निवेश करने के इच्छुक नहीं हैं.”

लेकिन ऐसी भी नहीं है कि हर आइडिया को निवेशक मिल जाए. इसके लिए स्टार्ट-अप में बेहतर क्षमता होना बहुत जरूरी है.

झा ने बताया, “जो कोई भी निवेश करेगा वो यही देखेगा कि रिटर्न पैसे आने की कितनी संभावना है.” उन्होंने कहा, “कुछ स्टार्ट-अप्स हमें ऐसे मिले जो मिथिला एंजेल नेटवर्क के लक्ष्य में फिट बैठ रहे थे. मिथिला ऐंजल नेटवर्क का लक्ष्य था कि स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जाए, लोगों को नौकरियां मिले और इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बढ़े.”


यह भी पढ़ें: दूध की कीमतें पिछले साल की तुलना में 10.5% बढ़ीं, वजह है- उच्च लागत और सप्लाई से जुड़े मुद्दे


पहली बार मिथिला के स्टार्ट-अप के लिए हुई क्राउड-फंडिंग

रोडबेज़ के लिए करीब दो महीने तक फंड-रेज प्रोग्राम चलाया गया जिसमें तकरीबन 46 लाख रुपए जुटाए गए हैं. भले ही आज के समय में यह छोटी रकम हो लेकिन 4-5 करोड़ की आबादी वाले मिथिला इलाके के लिए यह काफी बड़ी बात है.

झा का कहना है कि शुरुआती तौर पर हमने सिर्फ मिथिला के अप्रवासी लोगों को टार्गेट किया क्योंकि उनका इस क्षेत्र के प्रति इमोशनल कनेक्ट है और बाहर के लोग अभी यहां इनवेस्ट करने को तैयार नहीं है.

अरविंद के मुताबिक 30 निवेशकों ने रोडबेज़ में निवेश किया है. जिसमें 29 मिथिला से ही जुड़े हैं. उन्होंने कहा, “एक निवेशक आंध्र प्रदेश के हैं जिन्होंने इस स्टार्ट-अप में संभावनाएं देखी.”

निवेशक दुनिया के विभिन्न हिस्सों- अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से थे.

दिलखुश कुमार स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में कोई नए व्यक्ति नहीं है. बीते सात सालों में रोडबेज़ उनका दूसरा स्टार्ट-अप है.

रोडबेज़ ने जो 46 लाख रुपए जुटाए हैं उसका इस्तेमाल दरभंगा, सीतामढ़ी, मोतिहारी, सहरसा में बिजनेस का विस्तार समेत डेटा आधारित टैक्सी प्लानिंग, विज्ञापन, ह्यूमन रिसोर्स और ऑप्टिमाइजेशन एप को मजबूत करने में किया जाएगा.

उन्होंने कहा, “यदि सफल लोग बिहार में युवा स्टार्ट-अप्स का समर्थन करना शुरू करते हैं, तो बिहार के युवाओं के पास बड़े व्यवसायों का निर्माण करने के लिए पर्याप्त बौद्धिक क्षमता, कड़ी मेहनत और विजन है जो रोजगार और आर्थिक विकास पैदा करेगा.”

मिथिला में स्टार्ट-अप्स का ग्रोथ उस वक्त हो रहा है जब बिहार अपने ड्राई स्टेट वाले इमेज से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है. पिछले साल राज्य बिहार स्टार्ट-अप नीति लेकर आया है जिसका उद्देश्य स्वतंत्र और पारदर्शी माहौल बनाना है.


यह भी पढ़ें: हलवाई से लेकर हाई-एंड कैटरर्स—कैसा रहा है दिल्ली के रामा टेंट हाउस के ग्रैंड वेडिंग प्लानर बनने का सफर


कैसे शुरू हुआ मिथिला एंजेल नेटवर्क

अरविंद झा जब 2019 में 25 सालों बाद मधुबनी स्थित अपने पुश्तैनी गांव रहिका लौटे तो उन्हें इस क्षेत्र के सांस्कृतिक महत्व के बारे में तो मालूम था लेकिन उनके मन में यहां की आर्थिक संभावनाओं का ख्याल आया.

झा ने बताया, “2014 में आए भूकंप के कारण मेरे पुश्तैनी घर का हिस्सा गिर गया था. तब लगा कि मेरे घर की यादें ही खत्म हो गई और उस बीच जब मैं वहां रहा तो मुझे महसूस हो गया कि यहां आर्थिक गतिविधियां ही नहीं है. और फिर दिल्ली आकर कुछ मैथिल ग्रुप्स से संपर्क किया लेकिन यहां पता चला कि जो भी काम होता है वो सांस्कृतिक काम है.”

उन्होंने कहा, “मैंने पाया कि 25-40 के उम्र के लोग चाहते हैं कि वो आर्थिक तौर पर इस क्षेत्र को समृद्ध करें. और जो 40 से ज्यादा उम्र के लोग हैं, वो काफी उदासीन है. इकोनॉमिक इंटरवेंशन करने का ब्लूप्रिंट बनाया. लेकिन तभी कोरोना शुरू हो गया जिससे काम नहीं हो पाया.”

लेकिन दिसंबर 2021 में दरभंगा में हुए मधुबनी लिट्रेचर फेस्टिवल ने इस अभियान को तेज कर दिया. इस फेस्टिवल के दौरान ‘मेघडंबर’ नाम से एक सत्र आयोजित किया गया जिसमें झा ने पहली बार मिथिला एंजेल नेटवर्क की घोषणा की. गौरतलब है कि इसी सत्र में झा की रोडबेज के संस्थापक दिलखुश कुमार से पहली बार मुलाकात हुई जो उस समय किसी और स्टार्ट-अप पर काम कर रहे थे.

झा ने बताया कि मिथिला एंजेल नेटवर्क के 8 को-फाउंडर हैं जिनके जरिए शुरुआत में 150 लोग हमारे नेटवर्क के साथ जुड़ गए. उसके अलावा लिंक्डइन, फेसबुक, ई-मेल के जरिए भी देश से बाहर रह रहे मिथिला डायसपोरा को टार्गेट किया गया.

झा ने कहा, “शुरुआत में हमने अपने जानकार लोगों से संपर्क किया और उनके कहा कि हमारे साथ जुड़ जाइए. और एक इन्वेस्टर और मैंटर का पैनल बनाया और फिर स्टार्ट-अप्स के साथ काम शुरू कर दिया. आज हमसे 700 से ज्यादा लोग जुड़ गए हैं.”

मिथिला एंजेल नेटवर्क बिहार के युवाओं में सरकारी नौकरियों के रुझान के नैरेटिव को बदलना चाहता है. इस नेटवर्क से जुड़े ज्यादातर लोग आईटी और फाइनेंस बैकग्राउंड से हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, ई-कॉमर्स, एसएमई, डेयरी, एग्रीटेक स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं.

अरविंद झा ने बताया कि 2023-24 में पांच और स्टार्ट-अप के लिए पैसा जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

पिछले साल मई में नेटवर्क ने दिल्ली में हुए एग्जीबीशन में मधुबनी ऑर्ट को प्रमोट किया था. वहीं जनवरी 2022 में मिथिला बिजनेस समिट का आयोजन कराया और मिथिला इकोनॉमी- स्टेटस एंड पोसीबिलिटीज़ पर इस साल रहिका में विद्यापति फेस्टिवल में एक पैनल डिस्कशन कराया था.

मिथिला एंजेल नेटवर्क का लोगो भी कम दिलचस्प नहीं है. इसे कुंदन राय ने बनाया है जो प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग कलाकार हैं. नेटवर्क का लोगो सामुदायिक प्रयास को दिखाता है कि कैसे साथ मिलकर किसी कार्य को बढ़ाया जा सकता है.

Mithila Angel Network's logo which depicts the idea of crowd-funding from the community | Special Arrangement
मिथिला एंजेल नेटवर्क का लोग जो समुदाय आधारित फंडिंग के विचार को दर्शाता है | फोटो: विशेष प्रबंध

झा ने कहा, “मिथिला एंजेल नेटवर्क का लोगो दिखाता है कि समुदाय एक-दूसरे के साथ मिलकर फंड (कलश) में योगदान दे रहा है.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: अंतिम शादी, पोस्ट ऑफिस और रामलीला- ‘घोस्ट टाउन’ में कैसे बदल गई वसंत विहार की एयर इंडिया कॉलोनी


 

share & View comments