विजयवाड़ा: हैदराबाद के गांधी अस्पताल में जून की एक दोपहर, भारी बारिश के बीच, पीपीई किट्स पहने हुए दो हेल्थकेयर वर्कर्स, एक 40 वर्षीय महिला को इमर्जेंसी वॉर्ड से कोविड वॉर्ड ले जाते देखे जा सकते थे जो दूसरी बिल्डिंग में था. मरीज़ बारिश में पूरी तरह भीग गई, क्योंकि उसे बारिश से बचाने के लिए, छाता वगैरह कुछ नहीं था.
करीब 300 किलोमीटर दूर, विजयवाड़ा के सरकारी जनरल अस्पताल में एंबुलेंस को कोविड संदिग्धों को उस बिल्डिंग के बिल्कुल दरवाज़े तक लाते हुए देखा जा सकता था जिसके अंदर कोविड वॉर्ड था. हर बार मरीज़ को 1000 बेड वाली सुविधा के पास छोड़ते ही, एंबुलेंस को तुरंत सैनिटाइज़ किया जाता है. ये शहर के राज्य स्तर के चार कोविड अस्पतालों में से एक है, जबकि इसके उलट हैदराबाद का गांधी अस्पताल, कोविड मरीज़ों का इलाज कर रहा शहर का अकेला सरकारी अस्पताल है.
दो सिस्टर-स्टेट्स में, कोरोनावायरस के मामलों के लिए इन दोनों केंद्रीय अस्पतालों की ये तुल्नात्मक तस्वीरें, महामारी को लेकर दोनों राज्यों के रेस्पॉन्स की भी प्रतीक हैं.
लेकिन, हेल्थकेयर के इस बड़े संकट के कुछ महीने बाद, अब लगता है कि तेलंगाना की चंद्रशेखर राव सरकार ने आखिरकार, वाईएसआर जगन मोहन रेड्डी के प्रशासन से कोविड-19 से निपटने में कुछ सीख हासिल की है.
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14 जून को केसीआर सरकार ने इन्फेक्शन को फैलने से रोकने के लिए, दूसरे बहुत से उपायों के साथ-साथ, निजी लैब्स और अस्पताल को भी, कोविड की टेस्टिंग की इजाज़त दे दी. ये क़दम तब उठाया गया, जब कोविड संकट के अभी तक के प्रबंधन के लिए, तेलंगाना सरकार की व्यापक आलोचना हो रही थी. 21 जून तक यहां टेस्टिंग की दर बहुत ही कम- प्रति 10 लाख पर केवल 1,533 थी. इसकी मृत्यु दर 2.69 प्रतिशत है.
लेकिन पड़ोसी आंध्र प्रदेश में, पिछले 3 महीने में स्थिति बहुत ही अलग रही है.
आक्रामक टेस्टिंग व ट्रेसिंग, और समय पर इलाज, आंध्र की लड़ाई का केंद्र रही है, और कोविड से लड़ने की वैश्विक रणनीति भी यही है.
राज्य सरकार ने अपने हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाकर, उसे विकेंद्रित किया है और साथ ही गंभीर मामलों के लिए, निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल बना दिया है, और दूसरे अस्पतालों को हल्के लक्षण वाले मरीज़ों के लिए, कोविड केयर सेंटर्स बना दिया है.
राज्य अपने मौजूदा ग्रामीण वॉलंटियर नेटवर्क का भी इस्तेमाल कर रहा है जो सामुदायिक निगरानी करते हैं और कल्याण कार्यक्रमों को लागू कराते हैं.
इसके परिणामस्वरूप, आंध्र में टेस्टिंग दर 12,961 प्रति 10 लाख है- जो 5,107 की राष्ट्रीय दर से ऊंची है- और इसकी 1.19 प्रतिशत मृत्यु दर, राष्ट्रीय औसत 3.22 से नीचे है.
अभी तक, आंध्र में कुल 8,929 मामले और कुल 106 मौतें दर्ज हुई हैं. इसके मुकाबले तेलंगाना में, 210 मौतें हुई हैं, जबकि वहां मामले कम- 7,802 हैं.
लेकिन एपी एक मामले में तेलंगाना के मुकाबले फायदे में है- यहां हैदराबाद जैसा कोई क्लस्टर ज़ोन नहीं है जो अकेला, सूबे के 71 प्रतिशत मामलों के लिए ज़िम्मेवार है.
दिप्रिंट ने एपी और तेलंगाना के अधिकारियों से बात की जिन्होंने कोविड संकट में अपने सूबे के रेस्पॉन्स पर बात की.
टेस्टिंग में अंतर
अभी तक, आंध्र प्रदेश हर रोज़ कोविड के लिए कम से कम 12 हज़ार से 14,000 के बीच टेस्ट कर रहा है- यानी कुल 6,76,828 टेस्ट. इस बीच तेलंगाना ने 57,000 से कुछ अधिक टेस्ट किए हैं.
स्पेशल मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, जवाहर रेड्डी ने बताया कि शुरू में ही टेस्टिंग करने से, आंध्र प्रदेश में मृत्यु दर कम रखने में मदद मिली है.
फिर भी, 13 जून को एक दिन की सबसे बड़ी उछाल- 294 मामले- सामने आने के बाद, एपी सरकार ने टेस्टिंग और अस्पताल सुविधाओं को पहले ही बढ़ा दिया है.
रेड्डी ने कहा, ‘टेक्निकल एक्सपर्ट्स की हमारी आंतरिक समिति के मुताबिक, अगले 2 महीने में हमें 40,000 मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है. इसलिए हमारे पास जो 30,000 बेड्स पहले से हैं, उनमें हम 40,000 अतिरिक्त हॉस्पिटल बेड्स जोड़ रहे हैं.’
सरकारी और निजी सुविधाएं किस तरह करीबी तालमेल के साथ काम कर रही हैं, ये समझाते हुए उन्होंने कहा, ‘जिन निजी लैब्स को टेस्ट करने की अनुमति नहीं थी, उन्हें मैंने सरकारी केंद्रों में जगह दी है, जहां उन्होंने अपने उपकरण शिफ्ट कर लिए और उनके स्टाफ ने हमारी सहायता की.’
जब महामारी फैली, तो राज्य में केवल एक टेस्टिंग लैब थी. अब यहां 13 ऐसी लैब हैं जो ट्रूनैट और आरटी-पीसीआर- दोनों टेस्ट कर रही हैं. स्वैच्छिक टेस्टिंग के लिए राज्यभर में चार और केंद्र खोले गए हैं.
दोनों सूबों के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पुष्टि की कि आंध्र प्रदेश में 336 ट्रूनैट मशीनें और इनके लिए 42 लैब्स हैं, जबकि तेलंगाना के पास 21 मशीनें और एक लैब है.
विजयवाड़ा के कलेक्टर ए मोहम्मद इम्तियाज़ ने कहा, ‘प्रकोप के चरम पर पहुंचने का इंतज़ार करने की बजाय, हम लोगों की हौंसला अफज़ाई करते हैं कि वो अपने टेस्ट कराएं जिससे कि हम उनके सम्पर्कों को ट्रेस कर सकें.’
आंध्र सीएम के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीवी रमेश ने कहा, ‘ढील दिए जाने के बाद संख्या में लाज़िमी तौर पर उछाल आएगा लेकिन हम चाहते हैं कि समय रहते पहचान कर ली जाए, ताकि हम मरीज़ों का इलाज करके उन्हें डिस्चार्ज कर सकें.’
राज्य के अच्छे प्रदर्शन पर आराम से बैठने की बजाय, रमेश ने आगे कहा कि उच्च जोखिम वाले वर्ग की सामुदायिक निगरानी और टेस्टिंग के अलावा, ‘सेंटिनल सर्विलांस फॉर कोरोना’ के तहत सरकार हर रोज़, बेतरतीब ढंग से 330 लोगों का टेस्ट कराएगी.
14 जून तक, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए, तेलंगाना सरकार कह रही थी कि बिना लक्षण के मरीज़ों का टेस्ट कराने की कोई ज़रूरत नहीं है.
डॉक्टरों ने पुष्टि की कि तेलंगाना के उलट आंध्र, आईसीएमआर की गाइलाइन्स के मुताबिक, संदिग्ध शवों की भी कोविड जांच करा रहा है. तेलंगाना हाईकोर्ट ने इसे लेकर अपनी सरकार की खिंचाई भी की थी.
राज्य की ख़राब टेस्टिंग दर पर बात करते हुए तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री ईताला राजेंदर ने पहले दिप्रिंट से कहा था कि उनकी सरकार आईसीएमआर गाइडलाइन्स का पालन कर रही है. शवों की जांच ना करने पर उन्होंने कहा कि अगर वो तमाम शवों की कोविड के लिए जांच करते रहेंगे तो फिर इतने फैले हुए संकट से कौन निपटेगा.
17 जून को सुप्रीम कोर्ट ने भी, शवों की जांच करने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश पर ये कहते हुए रोक लगा दी कि ये समय से पहले है.
लेकिन तेलंगाना के सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक, डॉ. जी श्रीनिवास राव ने दिप्रिंट से कहा, ‘दोनों सूबों की तुलना करना जायज़ नहीं है, क्योंकि आंध्र के पास ज़्यादा क्लस्टर्स नहीं हैं और ‘आधा आंध्र अक्सर हैदराबाद का सफर करता है’.
बिना लक्षण वाले मरीज़ों का अस्पतालों में इलाज ना करने का ज़िक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘2 मार्च के बाद से जब भी ज़रूरत पड़ी, हमने अपनी रणनीतियां बदली हैं. हम उन लोगों के इलाज में यक़ीन रखते हैं जिन्हें हमारी सेवाओं की ज़रूरत होती है.’
उन्होंने ये भी कहा कि अगर आंध्र हर रोज़, 10,000 से 25,000 तक टेस्ट कर रहा है, तो अब तक उनके यहां एक भी केस नहीं होना चाहिए, ‘अगर वो इस तरह अपना सामुदायिक फैलाव क़ाबू कर रहे हैं’.
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इलाज कैसे चल रहा है
स्वास्थ्य अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि आंध्र में वाईएसआर रेड्डी सरकार के पास कुल 83 अस्पताल हैं जहां कोविड मरीज़ों का इलाज हो रहा है और इनमें से चार राज्य-स्तर के सरकारी अस्पताल हैं.
इसके अलावा, राज्य के 11 ज़िलों में फैले 19 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और बाक़ी दो ज़िलों में निजी मेडिकल कॉलेजों को भी आंध्र प्रदेश सरकार ने कोविड-19 मरीज़ों के इलाज में शामिल कर लिया है.
आंध्र प्रदेश में इलाज की रणनीति के बारे में बात करते हुए, राज्य के स्वास्थ्य सचिव ने कहा, ‘हमने एपी में कोविड केयर सेंटर्स शुरू किए हैं जो क्वारेंटीइन केंद्रों का विस्तार हैं लेकिन इनमें मेडिकल सुविधाएं और डॉक्टर्स मौजूद रहते हैं जो बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीज़ों का इलाज करते हैं.’
दि प्रिंट ने विजयवाड़ा में नारायण जूनियर कॉलेज के कोविड केयर सेंटर का दौरा किया और देखा कि पंजीकृत मरीज़ों की देखभाल के लिए, वहां ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर्स, नर्सें और अन्य हेल्थ स्टाफ, शिफ्टों में काम कर रहे थे.
सेंटर के इंचार्ज डॉ वीएस मोहन ने बताया, ‘हम उन्हें भोजन देते हैं, हमारे पास मनो-चिकित्सक भी हैं जो यहां हर दूसरे दिन लोगों से मिलते हैं.’
उन्होंने आगे कहा कि सात दिन के बाद मरीज़ों का टेस्ट किया जाता है. अगर वो निगेटिव हों तो उन्हें छुट्टी दे दी जाती है, नहीं तो तीन दिन के बाद उनका फिर से टेस्ट होता है.
इस बीच, तेलंगाना में ऐसे मरीज़ों को होम आइसोलेशन की सलाह दी जा रही है जो बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले होते हैं.
वैसे तो दोनों राज्यों ने विदेशों से लौटने वालों के लिए क्वारेंटाइन सुविधाएं मुहैया कराई है लेकिन आंध्र क्वारेंटाइन सेंटर की सुविधा फ्री देता है, सिवाय उन लोगों के जो अपने ख़र्च पर होटल में ठहरना चाहते हैं.
तेलंगाना में, खाड़ी से लौटने वाले बहुत से लोगों ने दिप्रिंट को बताया कि या तो उनसे होटल क्वारेंटाइन के पैसे वसूले जा रहे थे, या फिर घर पर ही 28 दिन के क्वारेंटाइन के लिए कहा जा रहा था.
कोविड बेड्स
आंध्र प्रदेश में फिलहाल 20,000 सामान्य बेड्स हैं, 10,000 ऑक्सीजन बेड्स और कोविड-19 मरीज़ों के लिए 1000 वेंटिलेटर्स हैं. 40,000 अतिरिक्त बेड्स का इंतज़ाम करने के लिए, स्वास्थ्य विभाग ने (5,000 आईसीयू बेड्स समेत) 15,000 ऑक्सीजन बेड्स भी नोटिफाई किए हैं.
इनमें कुछ बेड्स 23 सरकारी अस्पतालों में हैं, जबकि बाकी बेड्स 60 निजी अस्पतालों में हैं. इनमें से 20 अस्पताल सक्रिय रूप से इस्तेमाल हो रहे हैं, जबकि बाक़ी 63, मामलों में उछाल के लिए सुविधाओं से लैस हैं.
मामलों में हाल ही में आई उछाल पर, रेड्डी ने कहा, ‘विदेशों और पड़ोस के जोखिम वाले राज्यों से लौटने वाले लोगों और अनलॉकिंग की वजह से भी, यहां पर संख्या बढ़ी है. हमने इसकी अपेक्षा की थी.’
उन्होंने ये भी कहा कि इस समय की जा रही, ज़्यादा आक्रामक टेस्टिंग से भी संख्या बढ़ी है.
इस बीच, प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, तेलंगाना में 17,081 हॉस्पिटल बेड्स हैं जिनमें 11,928 बिना ऑक्सीजन के हैं और 3,537 ऑक्सीजन के साथ हैं. इस टोटल में 1,616 आईसीयू बेड्स भी हैं जिनमें 471 के साथ वेंटिलेटर हैं.
पिछले हफ्ते, तेलंगाना में कोविड मरीज़ों के इलाज के नोडल अस्पताल, हैदराबाद के गांधी जनरल हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन के ज़रिए राज्य के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दबाव के मुद्दे को उठाया था.
घाटे में हैदराबाद
एक चीज़ जिसे लेकर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की अपेक्षा घाटे में है, वो है हैदराबाद का क्लस्टर ज़ोन. राज्य के कुल मामलों में से 5,512 अकेले हैदराबाद ज़िले में हैं.
पब्लिक हेल्थ फाउण्डेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, के श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि आंध्र प्रदेश में शहरी स्लम्स कम हैं. उन्होंने कहा, ‘यहां पर हैदराबाद की तरह कोई बड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा नहीं है. वाइज़ॉग एयरपोर्ट है लेकिन वहां विदेशों से लौटने वालों की संख्या काफी कम होगी.’
लेकिन, फिज़ीशियन और महामारी विशेषज्ञ गिरिधर बाबू का कहना है कि ये इतना आसान नहीं है. बाबू ने दिप्रिंट को बताया, ‘ऐसा नहीं है कि आंध्र प्रदेश में क्लस्टर्स नहीं हैं. वाइज़ॉग जैसी जगहों में भी उतनी ही घनी आबादी है.’
उन्होंने कहा, ‘वॉलंटियर सिस्टम के नतीजे में, आईएलआईज (इनफ्लुएंज़ा जैसी बीमारियां) और ट्रेवल कॉन्टेक्ट्स की हिस्ट्री वग़ैरह का पता लगाने में मदद मिली है. एपी ने पिछले कुछ समय में अपनी टेस्टिंग दर को काफी बढ़ा लिया है. इसके अलावा राज्य ने मामलों में संभावित उछाल को लेकर अपने हेल्थ सिस्टम की तैयारियां बढ़ाकर भी एक अच्छा काम किया है.’
बाबू ने आगे कहा, ‘एपी ने समय रहते एक एक्सपर्ट ग्रुप बना लिया था और समय से पहले ही कोविड-19 से निपटने में विशेषज्ञ सलाह लेनी शुरू कर दी थी. उदाहरण के तौर पर, स्वास्थ्य सचिव ने वैज्ञानिक विश्लेषण-आरओ पर आधारित लॉजिस्टिक्स के साथ तैयारी कर ली थी, और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी मार्गदर्शन से बहुत पहले ही उन्होंने कई एक्सपर्ट्स से सिंड्रोम पर आधारित उपायों के बारे में जांच-पड़ताल की थी’.
एपी में ग्रामीण वॉलंटियर्स
पिछले साल, सीएम वाईएसआर जगन मोहन रेड्डी ने ग्रामीण वॉलंटियर सिस्टम शुरू किया था. ये सिस्टम अब राज्य में वायरस क्लस्टर्स का पता लगाने में मददगार साबित हो रहा है.
रमेश ने कहा कि कोविड के लिए गांव और वॉर्ड वॉलंटियर्स काम पर रखे गए, जिनका काम था 10,500 से अधिक गांवों में, समन्वय रखना और सरकार की कल्याण योजनाओं को लागू कराना. उन्होंने कहा, ‘स्कीम के तहत, 50 घरों पर एक वॉलंटियर होता है, ये सुनिश्चित करने के लिए कि सरकारी फायदे सभी नागरिकों तक पहुंच जाएं’.
दिप्रिंट को मिले सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 400,000 ग्रामीण और वॉर्ड वॉलंटियर्स ने महामारी के दौरान राज्य के कुल 1.43 करोड़ घरों में से, 1.41 करोड़ घरों का सर्वे करने में मदद की.
कई सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इस स्कीम ने आम लोगों और राज्य के बीच पुल का काम किया है.
आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक गौरव सवांग ने बताया, ‘लोगों में कोविड के लक्षणों की पहचान कराने के लिए ग्रामीण वॉलंटियर्स ने घर-घर जाकर सर्वे किया. ये अभ्यास अब तक चार बार किया जा चुका है’. उन्होंने आगे कहा कि इससे मामलों से जल्दी निपटने और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में भी मदद मिली है.
दोनों सूबों में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
अगर कोई एक पहलू है जहां दोनों सूबे एक तरह से काम कर रहे हैं, तो वो है कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल.
राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मास्क के नियम तोड़ने और पॉज़िटिव मरीज़ों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में जहां तेलंगाना ने चेहरे की पहचान, यहां तक कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल किया, वहीं आंध्र पुलिस ने टावर लोकेशंस और मोबाइल अप्स की मदद ली.
हैदराबाद पुलिस कमिश्नर अंजनी कुमार ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि जो लोग लॉकडाउन का आदेश नहीं मान रहे थे, उनका पता लगाने के लिए जियो-मैपिंग का इस्तेमाल किया जा रहा था.
लेकिन एपी पुलिस विभाग के अनुसार, पुलिस ने ये काम जनवरी में ही शुरू कर दिया था, जब छात्र दुनिया में कोविड के पहले एपिसेंटर, चीन के वुहान से लौटकर गुंटूर आए थे. इसके बाद फरवरी के मध्य में, विदेशों से लौटने वाले 22,266 लोग ट्रेस किए गए जिनमें सिर्फ 11 कोविड के पॉज़िटिव पाए गए.
आंध्र का ये भी दावा है कि वो पहला राज्य था जिसने सबसे पहले गुटूंर ज़िले में लौटने वाले तबलीग़ी जमात के सदस्य की पहचान की थी. डीजीपी सवांग ने बताया, ‘हमने तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को भी अलर्ट कर दिया था’.
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आंध्र में विपक्ष क्या कहता है
आंध्र प्रदेश में सरकार ने कोविड के समय क्या किया इस पर विपक्षी टीडीपी की प्रवक्ता स्वाती केसिनेनी ने कहा कि सरकार अपने लोगों की सहायता करने में नाकाम रही है और उसे चुनावों की चिंता ज़्यादा है.
केसिनेनी ने दिप्रिंट से कहा, ‘उन लोगों की मदद करने की बजाय, जो लॉकडाउन में पहले ही मुसीबत झेल रहे हैं, सरकार मुख्य चुनाव अधिकारी को हटाने में व्यस्त है’. उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार समय रहते क़दम उठाने में नाकाम रही है’.
कुछ कथित ख़ामियों पर प्रकाश डालते हुए, सीनियर टीडीपी लीडर गन्नी कृष्णा ने भी कहा कि मार्च में, वायरस के इलाज के लिए पैरासिटामॉल लेने के, सीएम जगन रेड्डी के ‘लापरवाही भरे बयान’ के नतीजे में भी, लोगों ने आदेशों की अवहेलना की.
कृष्णा ने आगे कहा, ‘जब सीएम इस तरह की बात कहते हैं, और उनके सरकारी अधिकारी ख़ुद मास्क नहीं पहनते तो आंध्र के लोग उनका कैसे पालन करेंगे’. उन्होंने आगे कहा कि यही रुख़ मामलों में आए हालिया उछाल में नज़र आता है.
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