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Monday, 23 December, 2024
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दिग्विजय बोले- देश में हिंसा, नफरत पैदा की जा रही, लोकतंत्र को बचाने के लिए निष्पक्ष पत्रकारिता जरूरी

राज्यसभा सदस्य ने यहां ‘पत्रकारिता और ज्वलंत मुद्दे’ विषय पर चर्चा में यह बात कही. उन्होंने यह भी दावा किया कि लोकतंत्र में राजनेताओं को सहिष्णु तथा मोटी खाल वाला होना चाहिए.

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भोपाल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को दावा किया कि समाज के एक वर्ग को निशाना बनाने के लिए देश में हिंसा और नफरत का माहौल पैदा किया जा रहा है.

राज्यसभा सदस्य ने यहां ‘पत्रकारिता और ज्वलंत मुद्दे’ विषय पर चर्चा में यह बात कही. उन्होंने यह भी दावा किया कि लोकतंत्र में राजनेताओं को सहिष्णु तथा मोटी खाल वाला होना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में मदद मिलती है.

उन्होंने कहा, ‘कई बार एक उदाहरण दिया जाता है कि जब विभाजन हो रहा था, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू लोगों के बीच में गए और एक वृद्ध महिला ने उन्हें उनके कॉलर से पकड़ लिया और पूछा कि उन्हें आजादी से क्या मिला है. नेहरूजी ने उत्तर दिया कि आपको जो मिला है वह यह है कि आपने प्रधानमंत्री को उनके कॉलर से पकड़ रखा था. यह लोकतंत्र आजकल गायब है.’

मौजूदा समय में सत्तारुढ़ सरकार पर कटाक्ष करते हुए सिंह ने बिना नाम लिए कहा, ‘कॉलर को तो एक तरफ छोड़ दो यदि आप दूर से कुछ कहो तो भी लोग परेशान हो जाते हैं, देशद्रोह के मामले दर्ज किए जा सकते हैं, क्योंकि आप देश के लिए खतरा बन गए हैं.’

उन्होंने कहा कि ‘स्टैंड अप कॉमेडियन’ को अब राष्ट्र के लिए खतरे के तौर पर देखा जा रहा है. उन्होंने सवाल किया कि अगर राजनेताओं में आलोचना का सामना करने की ताकत नहीं होगी तो लोकतंत्र का पोषण कैसे होगा.

सिंह ने कहा, ‘किसी खास समूह को निशाना बनाकर हिंसा और नफरत का माहौल बनाना फासीवाद है. एक दुश्मन की पहचान करें और एक बार दुश्मन की पहचान हो जाए तो उसे देशद्रोही घोषित कर दें.’ उन्होंने कहा कि एक वर्ग को राष्ट्र विरोधी करार देना और फिर उनके खिलाफ लड़ाई को राष्ट्रवाद का प्रतीक बनाना लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाही और फासीवाद के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रवाद, राष्ट्र विरोध और धर्म क्या ज्वलंत मुद्दे हैं. क्या राजनीति में धर्म का इस्तेमाल होना चाहिए? क्या धर्म का हथियार के रूप में इस्मेलाल करना गैरकानूनी नहीं है? ये ज्वलंत मुद्दे हैं. क्या हम आलोचना नहीं कर सकते? आलोचक देशद्रोही नहीं हो सकते. स्टैंड अप कॉमेडियन देशद्रोही नहीं हो सकते.’

सिंह ने कहा कि सहिष्णुता और स्वीकृति भारतीय समाज, संस्कृति के सिद्धांत हैं और सनातन धर्म सभी धर्मों के लिए सम्मान का उपदेश देता है और इस पहलू को कभी नहीं भूलना चाहिए कि संविधान ने सभी को अपने विचार रखने की अनुमति दी है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए), जिसका इस्तेमाल अंग्रेजों द्वारा कांग्रेस के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता संग्राम को दबाने के लिए किया गया था, अब छोटी-छोटी बातों के लिए भी लागू किया जा रहा है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के बाद भी एनएसए और देशद्रोह जैसे कानून को वापस नहीं लिया जा सका है.

सिंह ने दावा किया कि देश की संवैधानिक संस्थाएं प्रभावित हो रही हैं. उन्होंने कहा कि यदि लोकतंत्र को बरकरार रखना है तो निष्पक्ष पत्रकारिता की प्रमुख भूमिका है. उन्होंने कहा, ‘हमें निष्पक्ष पत्रकारिता के साथ साहसपूर्वक खड़ा होना होगा.’

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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