अलीगढ़, एक मई (भाषा) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अधिकारी अलीगढ़ नगर निगम द्वारा विश्वविद्यालय के राइडिंग क्लब के अधीन 41 बीघा भूमि पर कब्जा करने के बाद कानूनी कार्रवाई करने पर विचार कर रहे हैं। नगर निगम ने दावा किया था कि यह भूमि उसकी है।
सूत्रों ने बताया कि विवादित भूमि का अनुमानित बाजार मूल्य 126 करोड़ रुपये से अधिक है।
नगर निगम के अधिकारियों ने बुधवार को एक त्वरित कार्रवाई में भूमि पर स्वामित्व का दावा किया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) पर संपत्ति पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया।
मुख्य नगरपालिका अधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि, ‘‘ एएमयू ने अवैध रूप से सरकारी जमीन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है। हम ऐसे भूखंडों की पहचान कर रहे हैं और उचित कार्रवाई कर रहे हैं। बुधवार को की गई कार्रवाई से पहले सभी आवश्यक प्रक्रियागत कदम उठाए गए थे।’’
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, एएमयू से भूमि के स्वामित्व के दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया था, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहा। विश्वविद्यालय ने इस दावे का पुरजोर खंडन किया है।
एएमयू प्रॉपर्टीज के प्रभारी सदस्य शकील अहमद खान ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें इस मुद्दे के बारे में एक भी औपचारिक नोटिस नहीं मिला। हमें अनौपचारिक रूप से पता चला था कि कुछ योजना बनाई जा रही है, इसलिए हमने मौखिक रूप से नगर निगम के अधिकारियों को सूचित किया कि हम लिखित नोटिस प्राप्त करने पर अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, हमारे प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया गया।’
एएमयू की मुख्य प्रवक्ता विभा शर्मा ने कहा कि बुधवार की कार्रवाई के बाद विश्वविद्यालय ने तुरंत एक आधिकारिक बयान जारी किया था।
उन्होंने कहा, ‘यह जमीन एएमयू ने 80 साल पहले एक सरकारी आदेश के जरिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 के तहत अधिग्रहित की थी। विश्वविद्यालय ने पिछले आठ दशकों से लगातार कब्जा बनाए रखा है।’
शर्मा ने कहा कि अधिग्रहण से पहले विश्वविद्यालय को कभी भी औपचारिक नोटिस नहीं दिया गया। शर्मा ने पुष्टि की कि विश्वविद्यालय संपत्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए कानूनी कार्यवाही शुरू करने की प्रक्रिया में है।
उन्होंने कहा, ‘हम एएमयू के भूमि के सही स्वामित्व को फिर से स्थापित करने के लिए सभी आवश्यक कानूनी कदम उठा रहे हैं।’
नगर निगम की इस कार्रवाई से एएमयू समुदाय में आक्रोश फैल गया है।
एएमयू के सेवानिवृत्त कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जमीरुद्दीन शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘यह समझना मुश्किल है कि उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना इतनी कठोर कार्रवाई कैसे की जा सकती है। सभी प्रासंगिक दस्तावेज मौजूद हैं, और मुझे विश्वास है कि वे कानून की अदालत में जांच के दायरे में आएंगे।’
भाषा
सं, जफर, रवि कांत रवि कांत
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.