नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) अमृतसर में एक शिविर में हाल ही में अपने चार साथियों की कथित तौर पर हत्या के बाद खुदकुशी करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक जवान ने कुछ दिनों पहले ही कर्ज लिया था। जवान कथित तौर पर इसके (कर्ज के) भुगतान व अपने परिवार को लेकर चिंतित था। इस घटना की आंतरिक जांच कर रहे अधिकारियों की पड़ताल में यह बात सामने आई।
अधिकारियों ने बताया कि इस वारदात के घटनाक्रम की जांच के सिलसिले में बीएसएफ के अधिकारियों का एक दल कर्नाटक के रहने वाले कांस्टेबल सत्तेप्पा एस के (35) के परिजनों से मिलने गया है।
जवान के परिवार में उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं।
भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे अमृतसर के खासा इलाके में रविवार को हुई गोलीबारी के सिलसिले में चल रही ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि सत्तेप्पा ने कर्ज लिया था और वह ईएमआई (मासिक किस्त) का भुगतान कर रहा था।
उन्होंने कहा कि वह संभवत: इस मुद्दे को लेकर चिंतित था।
बीएसएफ उनके परिवार के सदस्यों द्वारा दिए गए बयानों को भी देख रहा है, जहां उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि सत्तेप्पा मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से भी पीड़ित था। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या जवान या उसके परिवार के सदस्यों ने उसे छुट्टी देने या किसी अन्य मदद के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों से कोई अनुरोध किया था।
बीएसएफ के महानिरीक्षक (पंजाब) आसिफ जलाल ने रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए इस बात से इनकार किया था कि सत्तेप्पा की किसी से दुश्मनी थी या ड्यूटी से जुड़ा कोई मामला था।
सत्तेप्पा ने शनिवार को कहा था कि वह अस्वस्थ हैं जिसके बाद उसे उसी रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने (सत्तेप्पा ने) शस्त्रागार से अपना सरकारी हथियार जारी कराया और 144 वीं बटालियन के शिविर के अंदर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें चार की मौत हो गई। संभवत: उसके द्वारा चलाई गई कोई गोली किसी सतह से टकराकर उसे लगी और इससे उसकी भी मौत हो गई।
अधिकारियों ने बताया कि उसने एक वरिष्ठ अधिकारी की सरकारी एसयूवी पर भी कुछ गोलियां चलाईं जो शिविर में खड़ी थी। घटना में गोली लगने से घायल छठा जवान गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है।
भाषा प्रशांत पवनेश
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