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Friday, 22 November, 2024
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सभी बैंक अकाउंट फ्रीज किए जाने के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने भारत में अपना काम काज बंद किया

एमनेस्टी ने आज बयान जारी कर आरोप लगाया है कि 10 सितंबर 2020 को भारत सरकार ने संस्था के सभी अकाउंट को फ्रीज कर दिया है. इसके बाद उसे अपने अधिकतर स्टाफ को निकालना पड़ा है और भारत में चल रहे सभी प्रोजेक्ट और शोध कार्यों पर भी रोक लगा दी है.

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नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने भारत में अपना कामकाज बंद करने की घोषणा कर दी है.

एमनेस्टी ने आज बयान जारी कर आरोप लगाया है कि 10 सितंबर 2020 को भारत सरकार ने संस्था के सभी अकाउंट को फ्रीज कर दिया है. इसके बाद उसे अपने अधिकतर स्टाफ को निकालना पड़ा है और भारत में चल रहे सभी प्रोजेक्ट और शोध कार्यों पर भी रोक लगा दी है. यही नहीं संस्था ने भारत सरकार की कार्यवाई को निराधार और प्रेरित बताया है.

एमनेस्टी का आरोप

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने कहा, ‘पिछले दो सालों से संस्था के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और बैंक खातों की फ्रीज करना आकस्मिक नहीं है.’

एमनेस्टी के जारी बयान में कुमार ने यह भी कहा है, ‘ कई सरकारी एजेंसियां सहति प्रवर्तन निदेशालय लगातार संस्था के काम काज उत्पीड़न किया जा रहा है.’

कुमार ने कहा, ‘ हाल में हमने दिल्ली हिंसा और जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाई, जिसके बाद सरकार द्वारा कार्रवाई की गई है.’

एमनेस्टी इंडिया ने अपने जारी बयान में कहा है कि हम सभी भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन कर रहे हैं. भारत में मानव अधिकारों के काम के लिए संस्था घरेलू स्तर पर धन जुटाने के लिए देश में एक अलग मॉडल पर काम करती है. पिछले आठ सालों में 40 लाख (चार मिलियन) से अधिक भारतीयों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के काम का समर्थन किया है और करीब 100,000 भारतीयों ने वित्तीय योगदान दिया है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि इन योगदानों का विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के साथ कोई संबंध नहीं है. भारत सरकार इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बता रही है, जो इस बात का प्रमाण है कि मानव अधिकार कार्यकर्ता और संस्थाओं के प्रति कितनी दुर्भावना है.

कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के साथ साथ दूसरे मानवाधिकार संगठनों, कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार रक्षकों पर जिस तरह से हमला किया जा रहा है वह भारत सरकार की दमनकारी नीति को दर्शा रहा है. प्रवर्तन निदेशालय और भारत सरकार जानबूझकर कार्यकर्ताओं और संस्थाओं में भय की स्थिति बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि आवाज को दबाया जा सके.

अविनाश कुमार ने कहा है कि महामारी के दौरान जिस तरह की कार्रवाई हुई है जो यह दिखाता है कि लोगों के आधारभूत अधिकारों का उल्लंघन है. यही नहीं यह भारतीय संविधान और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का भी उल्लंघन है.

कब क्या हुआ

बयान में एमनेस्टी ने यह भी बताया है कि कब कब प्रवर्तन निदेशालय और भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने संस्था पर क्या कार्रवाई की है. ऐसा नहीं है कि मौजूदा केंद्र सरकार के दौरान ही संस्था पर कार्रवाई की जा रही है इससे पहले  2009 में भी भारत में अपना काम बंद कर दिया था. तब संस्था ने कहा था कि विदेशों से चंदे लेने के लिए उसका लाइसेंस बार-बार रद्द किया जा रहा था.

इस बयान के साथ एमनेस्टी ने उनके साथ कब कब क्या क्या हुआ की एक लिस्ट भी लगाई है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि 25 अक्टूबर 2018 में उनके ऑफिस में 10 घंटों तक प्रवर्तन निदेशालय वित्तीय जांच की थी. विभाग ने संस्था से जो सूचना और कागजात मांगा था वह सभी पब्लिक डोमेन में पहले से मौजूद था या फिर सरकारी डोमेन में था..इस दौरान एमनेस्टी इंडिया के निदेशक के घर पर भी छापेमारी की गई थी.

इस छापेमारी के बाद इडी ने संस्था के बैंक अकाउंट भी बंद कर दिए थे. जिसका नतीजा ये हुआ कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया को अपने कई स्टाफ को निकालना पड़ा था.जिसका असर हासिये पर रह रहे लोगों पर भी पड़ा था. इसके बाद संस्था पर सरकारी एजेंसियों ने 2019 में अलग अलग समय पर चार बार छापेमारी की है. संस्था का दावा है कि 2020 में विभिन्न राज्यों की सरकारों के द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ संस्था ने आवाज उठाई जिसके बाद उनपर कार्रवाई की गई.

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1 टिप्पणी

  1. Good. The amnesty has web of spies all over the world. Rascals did not see human rights violations by organized kasmiri criminals against army but reported against Indian State. It promoted Christian organizations involved in anti india activities and conversions. It’s functionaries should be tried and executed.

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