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Saturday, 21 December, 2024
होमदेश'कोई हमारी रत्तीभर भी जमीन नहीं कब्जा सकता', अरुणाचल प्रदेश में बोले अमित शाह

‘कोई हमारी रत्तीभर भी जमीन नहीं कब्जा सकता’, अरुणाचल प्रदेश में बोले अमित शाह

गृहमंत्री ने कहा, '2014 के पहले, पूरा नॉर्थईस्ट अशांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता था लेकिन पिछले 9 साल में पीएम मोदी की 'लुक ईस्ट' नीति के कारण नॉर्थईस्ट क्षेत्र अब देश के विकास में योगदान देने वाला माना जाता है.'

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किबिथू (अरुणाचल प्रदेश) : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को अरुणाचल प्रदेश के किबिथू में ‘वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम’ (वीवीपी) को लांच किया और कहा कि कोई भी हमारी रत्तीभर जमीन पर अतिक्रमण नहीं कर सकता व ‘किसी में इतनी ताकत नहीं कि हम पर बुरी नजर डाले.’

इस दौरान शाह ने कहा, ‘इंडो-तिब्बत बॉर्डर पर पुलिस और भारतीय सेना की निगरानी के दौरान किसी में भारत पर इस समय ‘बुरी नजर’ डालने की ताकत नहीं है. उन्होंने कहा कि, ‘पूरा देश आज अपने घरों में शांति से सो रहा है क्योंकि हमारे आईटीबीपी के जवान और सेना हमारी सीमाओं पर दिन-रात काम कर रहे हैं. आज, हम गर्व से कह सकते हैं कि हम पर बुरी नजर डालने की किसी में ताकत नहीं है.’

शाह ने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सभी उपाय कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘आज, हम गर्व से कहते हैं कि वो दिन चले गए जब कोई भारत की जमीन पर अतिक्रमण कर सकता था. आज, कोई भी हमारी जमीन पर रत्तीभर अतिक्रमण नहीं कर सकता क्योंकि आईटीबीपी और भारतीय सेना हमारी सीमाओं पर मौजूद हैं. मैं सभी जवानों की बालिदान को सलाम करता हूं. 1962 में जो भी यहां की जमीन पर कब्जा करने आया, उसे आपकी देशभक्ति के कारण वापस लौटना पड़ा.’

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की ‘लुक ईस्ट’ नीति ने प्रगति को गति दी है और क्षेत्र देश के विकास में योगदान दे रहा है.

उन्होंने कहा, ‘2014 के पहले, पूरा नॉर्थईस्ट अशांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता था लेकिन पिछले 9 साल में पीएम मोदी की ‘लुक ईस्ट’ नीति के कारण नॉर्थईस्ट क्षेत्र अब देश के विकास में योगदान देने वाला माना जाता है.’

गृहमंत्री ने किबिथू को भारत का आखिरी नहीं, बल्कि पहला गांव बताया. उन्होंने कहा, ‘किबिथू भारत का पहला गांव है, न कि आखिरी. इससे पहले जब लोग यहां आते थे तो वे कहा करते थे, ‘मैं देश के आखिरी गांव गया था, लेकिन आज, मैं कहूंगा कि मैंने देश के पहले गांव का दौरा किया.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए विशेष रूप से सड़क संपर्क को लेकर 2,500 करोड़ रुपये समेत 4,800 करोड़ रुपये के केंद्रीय कंपोनेंट्स के साथ वीवीपी को मंजूरी दी है.

वीवीपी एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके तहत 19 जिलों के 46 ब्लॉकों के 2,967 गांव हैं जो कि उत्तरी सीमा से सटे हुए हैं. इसमें अरुणचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश व केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के गांव हैं जो व्यापक विकास के लिए चिन्हित किए गए हैं.

पहले चरण में प्राथमिकता के तौर पर 662 गांवों की पहचान की गई है, जिसमें 455 गांव अरुणाचल प्रदेश के हैं.

वीवीपी बॉर्डर के चिन्हित गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारेगा और उन्हें अपने मूल स्थानों में रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे इन गांवों से होने वाले पलायन को रोका जा सके व सीमा सुरक्षा को शामिल करेगा.


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