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Friday, 29 March, 2024
होमदेशअमित शाह ने आरसीईपी से भारत के बाहर निकलने को साहसिक कदम बताया, दरवाजे खुले होने के दिए संकेत

अमित शाह ने आरसीईपी से भारत के बाहर निकलने को साहसिक कदम बताया, दरवाजे खुले होने के दिए संकेत

इकोनॉमिक टाइम्स और दैनिक जागरण के अपने लेख में गृह मंत्री ने आरसीईपी में शामिल होने की सहमति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया है और इसे कांग्रेस की दूरदर्शिता में कमी करार दिया.

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नई दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह ने आसियान के नेतृत्व वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी या आरसीईपी से बाहर निकलने के भारत के फैसले का बचाव किया है, इसे ‘साहसिक निर्णय’ बताया है.

उन्होंने संकेत दिया कि नई दिल्ली ने मेगा ट्रेड पैक्ट के लिए अपने दरवाजे खुले रखे थे. आरसीईपी के सदस्य लंबे समय तक भारत की उपेक्षा नहीं कर सकते और आने वाले समय में मोदी सरकार की शर्तों पर सहमत हो जाएंगे.

शाह ने ये बातें दि इकोनॉमिक टाइम्स और जागरण के अपने लेख में कही है.

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) 10 आसियान देशों, जैसे- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, लाओस और वियतनाम साथ ही उनके छह एफटीए साझेदार देशों चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का समूह है. इस समूह के सदस्य देशों के बीच एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है.


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4 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में आयोजित एक शिखर सम्मेलन की बैठक में आरसीईपी में शामिल नहीं होने का फैसला लिया था, जहां शेष 15 सदस्य देशों के नेताओं ने 2020 तक औपचारिक रूप से समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए अपनी सहमति दी थी.

अमित शाह ने कहा कि इस निर्णय से मोदी ने देश के किसानों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों, कपड़ा व्यापार, डेयरी और विनिर्माण क्षेत्र, दवा, इस्पात और रासायनिक उद्योगों के हितों की रक्षा की है.

शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया

अमित शाह ने पिछली संप्रग सरकार को ‘भारत के हितों की रक्षा करने’ में विफल बताया. वास्तव में यह कांग्रेस की दूरदर्शिता की कमी थी, जिसके कारण भारत इस समझौते का हिस्सा बनने के लिए सहमत हो गया था. उन्होंने लिखा मूलरूप से 10 आसियान देशों के अलावा केवल चीन, जापान और दक्षिण कोरिया को आरसीईपी में शामिल होना था.

शाह ने कहा कि कांग्रेस आरसीईपी में शामिल होने के लिए ‘इतनी उत्सुक’ थी कि ‘उसने स्वीकार किया कि 1 जनवरी 2014 को लागू आयात शुल्क को आधार दर के रूप में लिया जाएगा, यह मानते हुए कि यह समझौता 2016 तक शुरू होगा.’

उन्होंने कहा कि 2014 में बेस रेट रखने से आयात में उछाल आया होगा. भारत ने अब मांग है कि 2019 को आधार दर के रूप में लिया जाना चाहिए.

‘आरसीईपी के सदस्य लंबे समय तक भारत की उपेक्षा नहीं कर सकते’

आरसीईपी के सदस्य देशों को चेतावनी देते हुए शाह ने कहा, ‘भारत के बढ़ते कद को देखते हुए आरसीईपी के सदस्य लंबे समय तक भारत को अनदेखा नहीं कर सकते और भारत सरकार की शर्तों से सहमत होने के लिए आएंगे. इस बीच, भारत ने एफटीए के माध्यम से आसियान के साथ सफल आर्थिक संबंधों को बनाए रखा है.

गृहमंत्री अमित शाह ने बीजिंग के साथ व्यापार वार्ता शुरू करने के लिए भी कांग्रेस की आलोचना की.

उन्होंने लिखा है कि इसने 2007 में चीन के साथ एक क्षेत्रीय व्यापार समझौते (आरटीए) में शामिल होने की शुरुआत की. चीन के साथ भारत का व्यापार कैसे प्रभावित हुआ, यह इस तथ्य से पता चलता है कि यूपीए के कार्यकाल में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 23 गुना बढ़ गया- 2005 में 1.9 बिलियन डॉलर से 2014 में 44.8 बिलियन डॉलर हो गया. इसने स्वदेशी उद्योगों को बहुत नुकसान पहुंचाया था.

हालांकि, नई दिल्ली और बीजिंग ने अब व्यापार और निवेश पर एक उच्चस्तरीय संवाद स्थापित करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ममल्लापुरम में हालिया अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया.


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‘पीस क्लॉज’ पर अमित शाह का रुख

गृहमंत्री अमित शाह ने 2013 के डब्ल्यूटीओ मिनिस्ट्रियल का जिक्र किया, जो कि इंडोनेशिया में आयोजित किया गया था, जहां भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ कठिन सौदेबाजी के बाद पीस क्लॉज़ करने में सक्षम हुआ था.

शाह ने कहा, डब्लूटीओ सम्मेलन में भाग लेते समय तत्कालीन वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने किसानों को कृषि सब्सिडी और समर्थन मूल्य के लिए इसके प्रावधानों को लेकर भारत के रुख को कमजोर किया था. यह किसानों के लिए समस्या पैदा कर सकता था लेकिन 2014 में पीएम के समय पर हस्तक्षेप के चलते तत्कालीन वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.

शाह का लेख उस समीक्षा का संदर्भ देता है जिसे मोदी सरकार ने 2014 से शुरू की है, जब जापान, कोरिया, मलेशिया और सिंगापुर के साथ सभी मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों को खोलने का फैसला किया था.

उन्होंने लिखा है, ‘यह जापान, अमेरिका, यूरोपीय संघ के देशों और अन्य विकसित देशों के साथ व्यापार संबंधों पर काम कर रहा है जो भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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