नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पास होने के बाद गुरुवार को उच्च सदन राज्यसभा में पेश किया गया. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में बिल पेश करते हुए कहा इससे देश के अल्पसंख्यकों को घबराने की जरूरत नहीं है. वे देश के नागरिक हैं. उन्हें किसी भी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है. वहीं विपक्षी पार्टियों समेत पूर्वोत्तर के कई राज्य इस बिल का लगातार विरोध कर रहे हैं.
ऊपरी सदन राज्यसभा में बिल रखने के बाद गृहमंत्री शाह ने कहा कि ‘मैं एक ऐतिहासिक बिल लेकर आया हूं. इस बिल के जो प्रावधान हैं उससे करोड़ों लोगों को उम्मीद है. अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यक रहते थे, उनके अधिकारों की सुरक्षा नहीं होती थी उन्हें वहां पर समानता का अधिकार नहीं मिला था. जो अल्पसंख्यक धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत में आए, उन्हें यहां पर सुविधा नहीं मिली. पाकिस्तान में पहले 20 फीसदी अल्पसंख्यक थे, लेकिन आज 3 फीसदी ही बचे हैं. इस बिल के जरिए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को रियातत मिलेगी.’
सदन में बिल प्रस्तुत करने के दौरान प्रारंभिक भाषण में गृहमंत्री ने कहा इस बिल में जो प्रावधान है उसके अनुसार करोड़ों लोग जो यातना में जी रहे हैं उनके लिए यह उम्मीद की किरण है. अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं हुई है. इन देशों में अल्पसंख्यकों में कमी आई है. वे अपने ही देश में प्रताड़ना को झेल रहे हैं. इस विधेयक में पूर्वोत्तर के राज्यों का भी विशेष खयल रखा है. केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्यों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसे में पूर्वोत्तर के राज्य परेशान न हों.
गृहमंत्री ने कहा कि इस बिल से देश के अल्पसंख्यकों को घबराने की जरूरत नहीं है. वे देश के नागरिक हैं. उन्हें किसी भी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है.
गृहमंत्री ने कहा, ‘2019 के आम चुनावों में भाजपा समेत हमारी गठबंधन की पार्टियों ने जब घोषणा पत्र तैयार किया था. उसमें भी इस बिल को लेकर उल्लेख किया था. जो लोग आज हम पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं उनसे ये कहना चाहता हूं जिसे कि चुनाव से पहले ही कह चुका हूं इस बिल को लागू करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं.’