लखनऊ/पटना: सशस्त्र बलों के लिए केंद्र सरकार की भर्ती योजना अग्निपथ को लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, तेलंगाना समेत कई राज्यों के कुछ हिस्सों में पिछले हफ्ते से हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है.
इन प्रदर्शनों के दौरान जिन लोगों पर सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा, उनमें अधिकांश ऐसे युवा अभ्यर्थी हैं जो आने वाले समय में रक्षा प्रतिष्ठान का हिस्सा बनना चाहते हैं. इनमें हजारों उम्मीदवार अपनी प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों से जुड़े हुए हैं.
सुरक्षा बलों में भर्ती की तैयारी कराने वाले यही कोचिंग संस्थान देश भर में अग्निपथ योजना के विरुद्ध जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच सवालों के घेरे में आ गए हैं.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पुलिस ने रक्षा भर्ती के अभ्यर्थी युवाओं को तैयारी कराने वाले कोचिंग केंद्रों से जुड़े कम से कम नौ मालिकों/प्रबंधकों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें कथित तौर पर हिंसक विरोध को ‘उकसाने’ का जिम्मेदार माना जा रहा है.
बिहार में पटना पुलिस की तरफ से भी कोचिंग केंद्रों के खिलाफ इसी तरह के आरोप लगाए गए हैं, जहां कुछ इलाकों में इस योजना के विरोध ने हिंसक रूप ले लिया.
अग्निपथ योजना की समर्थक पटना स्थित हिंद अकादमी के निदेशक राजेश कुमार सिंह का कहना है, ‘मुझे नहीं लगता कि लिखित परीक्षा में मदद करने वाली अकादमियां छात्रों को उकसा रही हैं. फिजिकल ट्रेनिंग देने वाली एकेडमी जरूर हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने में मददगार हो सकती हैं.’
वहीं, यूपी में आगरा पुलिस ने इससे इंकार किया है कि हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कोचिंग केंद्रों के मालिकों/प्रबंधकों की कोई भूमिका थी. आगरा में अधिकांश कोचिंग केंद्रों ने—पुलिस के ‘परामर्श’ पर—स्थिति सामान्य होने तक कक्षाएं न लगाने का फैसला किया है.
अग्निपथ योजना के तहत ‘अखिल भारतीय स्तर पर, और सभी वर्ग’ के आधार पर 46,000 सैनिकों, नौसैनिकों और वायुसैनिकों की वार्षिक भर्ती की जानी है. ‘अग्निवीर’ कहे जाने वाले कर्मियों में से केवल 25 प्रतिशत को चार साल की सेवाएं पूरी करने के बाद सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा.
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आगरा में कोचिंग केंद्रों पर ‘पूर्ण पाबंदी’ नहीं
अग्निपथ योजना के खिलाफ गुरुवार को हिंसक प्रदर्शन से सबसे ज्यादा प्रभावित आगरा के न्यू आगरा और भगवान टॉकीज इलाकों में कोचिंग केंद्र अब वीरान पड़े हैं.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (आगरा) सुधीर कुमार सिंह ने शनिवार को मीडिया कर्मियों से कहा कि कोचिंग केंद्रों को सलाह दी गई है कि वे स्थिति को देखते हुए कम से कम अगले दो-तीन दिनों तक कक्षाएं न लगाएं.
एसएसपी सिंह ने कहा, ‘….चूंकि युवा वहां पढ़ने आएंगे और एक साथ जुटने की स्थिति में किसी के बहकावे में आ सकते हैं. उन्होंने हमारी सलाह मान ली है और अगले दो-तीन दिनों के लिए अपने कोचिंग सेंटर बंद कर दिए हैं और जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, वे अपने कोचिंग सेंटर फिर खोल देंगे.’
एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने युवाओं से किसी के बहकावे में न आने की अपील करते हुए कहा, ‘अगर एफआईआर दर्ज हो गई तो निश्चित तौर पर उनका भविष्य बिगड़ जाएगा. कुछ शरारती तत्व भीड़ में घुस जाते हैं और संपत्ति को क्षति पहुंचाने जैसी गतिविधियों को अंजाम देते हैं लेकिन युवकों के नाम सबसे आगे रहते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘उन्हें किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए और भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए. अगर वे कुछ कहना चाहते हैं तो हम सब अधिकारी यहां मौजूद हैं. वे अपना ज्ञापन हमें सौंप सकते हैं.’
पुलिस अधिकारी ने बताया कि शनिवार को विरोध प्रदर्शन करने वाले कुछ उम्मीदवारों को समझा-बुझाकर शांत किया गया और अपने घर लौटने को कहा गया.
आगरा के अहीर में एक कोचिंग सेंटर के प्रबंधक ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि संस्थान ने ‘एहतियाती उपाय’ के तौर पर अभी कक्षाएं न लगाने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा कि पुलिस का ‘परामर्श’ मुख्य रूप से न्यू आगरा और भगवान टॉकीज और ग्रामीण क्षेत्रों वाले संस्थानों के लिए है, जो भारतीय सेना में ‘अन्य रैंक’ की तरह रक्षा बलों में प्रवेश स्तर की भूमिका पाने के इच्छुक उम्मीदवारों को तैयार करते हैं, और ‘फिजिकल फिटनेस और जनरल ड्यूटी’ जैसे टेस्ट के लिए कोचिंग देते हैं.
प्रबंधक ने स्पष्ट किया, ‘कोचिंग केंद्रों के कामकाज पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘हम अधिकारी रैंक के लिए कोचिंग देते हैं लेकिन हमने केवल एहतियातन इसे बंद कर रखा है. कुछ छात्र घर जा रहे हैं लेकिन कोई चिंता की बात नहीं है. युवाओं में जानकारी का काफी अभाव है.’
अलीगढ़ पुलिस ने कोचिंग केंद्रों से जुड़े 9 लोगों को गिरफ्तार किया
यूपी के अलीगढ़ शहर में पिछले हफ्ते कुछ हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले में पुलिस की तरफ से दर्ज एफआईआर में कम से कम नौ कोचिंग केंद्रों के मालिकों/प्रबंधकों का नाम शामिल है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कलानिधि नैथानी ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि ऐसे केंद्रों से जुड़े नौ लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं, हिंसा के सिलसिले में अलीगढ़ पुलिस द्वारा गिरफ्तार लोगों की कुल संख्या करीब 80 है.
पुलिस ने ‘विश्वसनीय सूत्रों’ का हवाला हवाला देते हुए दावा किया है कि इन कोचिंग केंद्रों के मालिकों/प्रबंधकों ने कथित तौर पर ‘फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम आदि पर भड़काऊ मैसेज सर्कुलेट किए, जिसकी वजह से हिंसा फैल गई.’
दिप्रिंट को हासिल एक एफआईआर की प्रति में लिखा है, ‘विश्वसनीय सूत्रों ने सूचित किया है कि कोचिंग सेंटर चलाने वाले प्रबंधकों ने अराजक तत्वों के साथ मिलकर साजिश रचने के बाद उम्मीदवारों को (विरोध जताने) भेजा.’
अलीगढ़ के टप्पल पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में 66 लोगों के नाम और 400-500 अज्ञात आरोपियों का उल्लेख है, जहां शुक्रवार को कुछ प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस चौकी और कुछ पुलिस वाहनों को आग लगा दी थी.
यह एफआईआर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (दंगा करने), 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करने), 149 (गैरकानूनी तौर पर एकत्र होने), 307 (हत्या का प्रयास), 332 (लोक सेवक को जानबूझकर उसके कर्तव्यों से रोकना) और धारा 353 (हमला या लोक सेवक को उसके कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल) के तहत दर्ज की गई थी.
एफआईआर में 341 (सदोष अवरोध के लिए दंड), 427 (नुकसान पहुंचाना), 336 (जानबूझकर या लापरवाही में मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना), 436 (घर, आदि को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल), 333 (लोकसेवक के कर्तव्यों में बाधा डालने के लिए जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना) और 120-बी (आपराधिक साजिश) आदि धाराओं के अलावा आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम की धारा 7 और सार्वजनिक संपत्ति को क्षति की रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराएं को भी शामिल किया गया है.
अलीगढ़ रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक दीपक कुमार ने शनिवार को मीडिया कर्मियों को बताया कि युवा उम्मीदवारों के पीछे छिपकर ‘कुछ अराजक तत्वों ने हिंसा भड़काने की कोशिश की.’
उन्होंने बताया, ‘अब तक चार एफआईआर दर्ज की गई हैं, और जो लोग माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों को भड़का रहे थे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है. चूंकि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कोचिंग केंद्रों में जाते हैं, हम कोचिंग केंद्रों और सैनिक कल्याण बोर्ड के साथ नियमित संपर्क में हैं और कोचिंग संस्थान से जुड़े जो लोग उन्हें उकसा रहे थे, उन्हें हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ भी की जा रही है.
डीआईजी कुमार ने कहा, ‘एक एफआईआर यूपीएसआरटीसी (उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम) की शिकायत पर और एक नगर पालिका के अध्यक्ष की शिकायत पर दर्ज की गई है. जबकि दो एफआईआर पुलिस कर्मियों की शिकायतों के आधार पर दर्ज की गईं.’
इस बीच, सशस्त्र बलों के पूर्व कर्मियों ने शनिवार को अलीगढ़ के सैनिक बोर्ड क्षेत्र में एक बैठक की, जिसमें ताजा घटनाक्रम पर विचार-विमर्श किया गया.
अब अलीगढ़ में रक्षा भर्ती के उम्मीदवारों के लिए एक कोचिंग सेंटर चला रहे भारतीय सेना के कैप्टन आशिन खान (सेवानिवृत्त) ने कहा, ‘हमने सेना में सेवाएं दी हैं और हम अनुशासित हैं. हम सरकार के खिलाफ नहीं जा सकते. सैनिक बोर्ड क्षेत्र में हुई बैठक हुई इस मसले पर चर्चा हुई और तय किया गया कि हम कानून-व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन की सहायता करेंगे.’
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पटना पुलिस का आरोप—’कोचिंग संस्थानों ने छात्रों को भड़काया’
बिहार के पटना में पुलिस और प्रशासन ने आरोप लगाया है कि कोचिंग संस्थानों ने आंदोलनकारियों को रक्षा मंत्रालय की अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ‘उकसाया’ है.
तीन अनुमंडलों (पटना शहर, पटना सदर और मसौढ़ी) की जिम्मेदारी संभाल रहे पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार यादव ने दिप्रिंट को बताया, ‘मसौढ़ी को छोड़कर दो अनुमंडलों में कोई हिंसा नहीं हुई. यहां कोचिंग केंद्रों ने छात्रों को हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए उकसाया.’
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लों ने दिप्रिंट को बताया कि जहां शुरुआती प्रदर्शन अचानक भड़के लग रहे थे, वहीं अब विरोध करने वाली भीड़ पूरी तरह ‘संगठित’ नजर आ रही है.
एसएसपी ढिल्लों ने कहा, ‘हमने पटना में अब तक 11 एफआईआर दर्ज की हैं. 145 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. क्रांतिवीर और अग्निवेश जैसे व्हाट्सएप ग्रुप चला रहे चार ग्रुप एडमिन को भी गिरफ्तार किया गया है.’
पुलिस अधिकारी ने आगे दावा किया कि अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने के लिए अनुमंडलीय कस्बों से बेरोजगार युवा पटना पहुंच रहे हैं.
चूंकि प्रदर्शनकारी मुख्यत: रेलवे की संपत्ति को निशाना बना रहे हैं, इसलिए पूरे बिहार के रेलवे स्टेशनों में सुरक्षात्मक उपाय के तौर पर स्थानीय पुलिस के साथ-साथ रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) और गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) को तैनात किया गया है. दानापुर रेलवे स्टेशन, राजेंद्र नगर रेलवे टर्मिनल और पटना जंक्शन पर भी सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं.
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