बहराइच (उप्र), 12 सितंबर (भाषा) नेपाल में व्याप्त अशांति के बीच, तमिलनाडु के तीर्थयात्रियों का एक जत्था उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के रुपईडीहा क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रवाना हुआ।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) द्वारा एक बारात के 11 लोगों को मोटरसाइकिल से नेपाल जाने की अनुमति दिए जाने के बाद सीमा पार जाकर निकाह भी संपन्न हुआ।
एसएसबी की 42वीं बटालियन के सेनानायक गंगा सिंह उदावत ने बताया कि तमिलनाडु के कांचीपुरम से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकले 23 श्रद्धालुओं का जत्था बृहस्पतिवार को नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के बहराइच में रुपईडीहा पहुंचा। इस जत्थे को नेपालगंज के रास्ते तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर जाना था।
उदावत ने बताया, ‘‘नेपाल में बिगड़े हालात और कर्फ्यू को देखते हुए तीर्थयात्रियों को रोका गया था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे भगवान शंकर के दरबार जा रहे हैं और बाबा ही उनकी रक्षा करेंगे।’’
उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं ने अपने टूर ऑपरेटर के जरिए नेपाल प्रशासन से बातचीत का हवाला दिया और नेपाल के सुरक्षाबलों ने उन्हें सुरक्षित ले जाने का आश्वासन दिया। बाद में नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल से पुष्टि के बाद तीर्थयात्रियों को नेपालगंज भेज दिया गया।
इस बीच, सीमा पर दो निकाह भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि बहराइच के खैरनिहा गांव निवासी सलाउद्दीन की बारात नेपाल के बाले गांव जानी थी, लेकिन सीमा बंद होने के कारण एसएसबी ने बारात को रुपईडीहा सीमा पर रोक दिया और आगे नहीं जाने दिया।
काफी मिन्नतों के बाद, दूल्हे को सिर्फ 11 बारातियों के साथ नेपाल जाने की अनुमति दी गई। सभी मोटरसाइकिलों से नेपाल पहुंचे और वहां निकाह की रस्में पूरी की गईं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि आमतौर पर ऐसी बारातों में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं, लेकिन इस बार परिस्थितियों के कारण परंपरा बदलनी पड़ी।
इसी तरह, अयोध्या निवासी रेशू खान का निकाह पड़ोसी देश नेपाल के बांके जिले के वार्ड-8 की निवासी शबाना से तय था। बृहस्पतिवार को अयोध्या से बारात बहराइच के रुपईडीहा सीमा पर पहुंची, लेकिन एसएसबी ने उन्हें नेपाल जाने से रोक दिया।
उधर, दुल्हन पक्ष सीमा पार इंतजार कर रहा था।
आखिरकार, दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से समाधान निकाला। दुल्हन और उसके कुछ परिजन सीमा पर आ गए, जहां एक मौलवी की मौजूदगी में निकाह की रस्म अदा की गई।
स्थानीय लोगों की मदद से समारोह की व्यवस्था की गई और सीमा पर ही निकाह संपन्न हुआ। निकाह के बाद बाराती दुआ-सलाम के साथ अयोध्या लौट गए।
भाषा सं जफर मनीषा खारी
खारी
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