नई दिल्ली: द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने शुक्रवार को 2022 का नोबेल शांति पुरस्कार मानवाधिकार की वकालत करने वाले बेलारूस के एलेस बिआलियात्स्की, रूस के मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन ‘सिविल लिबर्टीज़’ को दिए जाने का ऐलान किया है.
नोबेल पुरस्कार ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘नोर्वेगियन नोबेल कमिटी ने फैसला किया है कि 2022 का नोबेल शांति पुरस्कार मानवाधिकार की वकालत करने वाले एलेस बिआलियात्स्की, रूस के मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन ‘सिविल लिबर्टीज़’ को दिया जाए.’
ट्वीट में आगे लिखा है, ‘नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अपने देश में सिविल सोसाइटी का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने कई सालों तक सत्ता की आलोचना की है और नागरिकों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा की है.’
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The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2022 #NobelPeacePrize to human rights advocate Ales Bialiatski from Belarus, the Russian human rights organisation Memorial and the Ukrainian human rights organisation Center for Civil Liberties. #NobelPrize pic.twitter.com/9YBdkJpDLU— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 7, 2022
संगठनों ने युद्ध अपराध, मानवाधिकारों का उल्लंघन और सत्ता के दुरुपयोग को अच्छी तरह डॉक्युमेंट किया है. उन्होंने साथ मिलकर शांति और लोकतंत्र में सिविल सोसाइटी की महत्ता को दर्शाया है.
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के अनुसार बिआलियातस्की एक राजनीतिक बंदी हैं जिन्हें 2021 में टैक्स चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. लेकिन 2022 में इन आरोपों को खारिज कर दिया गया.
बता दें कि रूस के मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ की स्थापना 1987 में हुई थी जिसे पूर्व सोवियत संघ के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने किया था.
वहीं 2022 के नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाला यूक्रेन का मानवाधिकार संगठन ‘सिविल लिबर्टीज़’ की स्थापना यूक्रेन में मानवाधिकार और लोकतंत्र के उद्देश्य से की गई थी.
बता दें कि पिछले साल फिलिपींस और रूस की पत्रकार मारिया रेसा और दिमित्री मुरोतोव को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
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