चंडीगढ़: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने पंजाब सरकार से पंजाबी फिल्म ‘दास्तान-ए-सरहिंद’ की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है. फिल्म में दसवें और अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों यानी पुत्रों के जीवन का एनिमेटेड चित्रण किया गया है.
कट्टरपंथी सिख संगत ने फिल्म पर इस आधार पर आपत्ति जताई है कि न तो सिख गुरुओं और न ही उनके परिवारों को किसी भी फिल्म या गीत में चित्रित किया जा सकता है, चाहे वह अभिनेताओं द्वारा हो या फिर एनिमेटेड रूप में. SGPC ने 2003 में इस तरह की भूमिका निभाने वाले अभिनेताओं के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसे बाद में 2019 में एक उपसमिति ने एनिमेटेड चित्रण पर भी लागू कर दिया था.
बुधवार को जारी एक प्रेस बयान में, एसजीपीसी ने दास्तान-ए-सरहिंद पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. इसमें साहिबज़ादों के कथित अवतार पर आपत्ति जताई गई थी. धामी ने अमृतसर में संवाददाताओं से कहा, ‘कई संगठन और संगत (सिख समुदाय) इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर अपना विरोध व्यक्त कर रहे हैं. संगत की भावनाओं से ऊपर कुछ भी नहीं है.’
धामी ने पंजाब सरकार से नवी सिद्धू के निर्देशन में बनी इस फिल्म के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को अपनी मंजूरी पर पुनर्विचार करने के लिए भी याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि एसजीपीसी ने फिल्म को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं दिया है. उन्होंने कहा, ‘सिखों के इतिहास से संबंधित किसी भी फिल्म के बारे में कोई भी निर्णय सिख सिद्धांतों, मर्यादा और परंपराओं को ध्यान में रखकर लिया जाता है.’
पिछले हफ्ते, सिख कट्टरपंथी समूह दल खालसा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मामले में हस्तक्षेप करने के लिए धामी से मुलाकात की थी. दल खालसा के प्रवक्ता परमजीत सिंह मंड ने कथित तौर पर एसजीपीसी को याद दिलाया था कि अपने स्वयं के प्रस्ताव 5566, दिनांक 30 मई 2003 के अनुसार, ‘गुरु साहिब और गुरु साहिब के सम्मानित पारिवारिक व्यक्तित्व और पंज प्यारे साहिब के चरित्र अभिनेताओं द्वारा फिल्मों में नहीं निभाए जा सकते हैं.’
दिप्रिंट ने निदेशक नवी सिद्धू से फोन से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन रिपोर्ट के प्रकाशित होने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने के बाद रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.
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फिल्मों पर पहले भी लगे हैं प्रतिबंध
सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने 2018 में इसी आधार पर पंजाबी फिल्म ‘नानक शाह फकीर’ पर प्रतिबंध लगा दिया था.
2019 में एक और फिल्म ‘दास्तान-ए-मिरी पीरी’ भी सिख गुरुओं के कथित चित्रण को लेकर मुश्किल में पड़ गई थी. SGPC की एक उप-समिति ने अंततः इस शर्त पर इसे रिलीज करने की अनुमति दी कि फिल्म से छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह के चरित्र के सभी संदर्भों को हटा दिया जाए.
इस उप-समिति ने उस समय सिफारिश की थी कि ये प्रतिबंध (जोकि 2003 से अस्तित्व में है) सिर्फ अभिनेताओं द्वारा सिख गुरुओं और उनके परिवार के सदस्यों के चित्रण पर लागू नहीं होना चाहिए बल्कि कंप्यूटर जेनरेटेड इमेजरी (CGI) का इस्तेमाल करने वाली एनिमेटेड फिल्मों पर भी लागू होना चाहिए.
एनिमेटेड पंजाबी फिल्म चार साहिबजादे के निर्माताओं ने 2014 में एसजीपीसी से इसे रिलीज करने की अनुमति मांगी थी. यह फिल्म गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्रों के जीवन पर आधारित थी. हालांकि एसजीपीसी ने इसकी रिलीज और उससे जुड़ी चीजों के प्रदर्शन और बिक्री की अनुमति दे दी थी. पंजाब में तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग को टैक्स फ्री कर दिया था.
उस समय, SGPC को खासतौर पर 4 करोड़ रुपये में फिल्म के अधिकार हासिल करने के अपने फैसले पर आलोचना का सामना करना पड़ा था. 2016 में संगठन ने तत्कालीन अकाली दल सरकार के प्रचार अभियान के तहत पूरे पंजाब में सरकारी वैन पर फिल्म दिखाने की अनुमति दी थी.
(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या)
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