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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशदिल्ली पुलिस ने गुरुग्राम के दो भाईयों को गिरफ्तार किया, 10 सालों से कर रहे थे बंदूकों की तस्करी

दिल्ली पुलिस ने गुरुग्राम के दो भाईयों को गिरफ्तार किया, 10 सालों से कर रहे थे बंदूकों की तस्करी

छोटे भाई जगजीत सिंह और उसकी पत्नी जसविंदर कौर को पिछले महीने दिल्ली हवाई अड्डे पर 45 पिस्टल की एक खेप के साथ पकड़ा गया था, जबकि बड़े भाई मंजीत सिंह को एक हफ्ते बाद गिरफ्तार किया गया.

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नई दिल्ली: पिछले महीने दिल्ली हवाईअड्डे पर 45 बंदूकें जब्त करने के सिलसिले में गिरफ्तार गुरुग्राम के भाई मंजीत और जगजीत सिंह कथित तौर पर एक दशक से ज्यादा समय से हवाई, समुद्री और डाक मार्गों से देश में बंदूकों की तस्करी कर रहे थे. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, 45 वर्षीय मंजीत और 41 वर्षीय जगजीत यूरोपीय देशों से पिछले 10-15 सालों से खाली ‘इम्पैक्ट गन’ का आयात कर रहे थे.

एक सूत्र ने बताया, ‘हालांकि कोविड लॉकडाउन की वजह से उनके बिजनेस पर असर पड़ा था. फिलहाल खेपों की सही संख्या अभी भी जांच के दायरे में है.’

हवाईअड्डे पर जब्त किए जाने से पहले, आरोपी ने दिसंबर में कथित तौर पर एक और खेप की तस्करी की थी. सूत्र के मुताबिक, ‘जांच से पता चला कि वे 25 दिसंबर को तुर्की से हैंडगन की एक और खेप लाए थे. पर अभी इस बात की सही जानकारी नहीं है कि उन्होंने बंदूकें किसको बेची हैं.’

18 जुलाई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मंजीत को द्वारका से गिरफ्तार किया था और एक खाली पिस्टल (जिसमें गोलियां नहीं चलती बल्कि असली गोली की आवाज होती है) जब्त की थी. जगजीत और उनकी पत्नी 31 वर्षीय जसविंदर कौर को 11 जुलाई को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क विभाग ने गिरफ्तार किया गया था. उनके दो ट्रॉली बैग में 22.5 लाख रुपए के 45 हैंडगन पाई गईं थीं. दंपति अपनी नवजात बेटी के साथ वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी से लौटे थे.

सीमा शुल्क अधिकारियों ने कहा कि दंपति को बंदूकें मंजीत से मिलीं थीं जो हवाई यात्रा करते हुए पेरिस से दिल्ली आया था. इसके बाद वह हवाई अड्डे से निकल गया. अधिकारियों ने दावा किया कि दंपति ने इससे पहले तुर्की से 12.5 लाख रुपए की 25 असोर्टिड गन की तस्करी करना स्वीकार कर लिया है.

दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता और पुलिस उपायुक्त सुमन नलवा ने पहले कहा था कि मंजीत ने दिल्ली में आईटीओ में विदेशी डाकघर (एफपीओ) के जरिए भारत में प्रतिबंधित पिस्तौल की एक खेप भी भेजी थी.

दिल्ली पुलिस के सूत्र ने कहा कि आरोपियों को एफपीओ से 30 बंदूकें मिलने वाली थीं लेकिन अब तक केवल 7 ही बरामद हुई हैं.

सूत्र के बताया कि भाइयों ने पूछताछ के दौरान अपने ग्राहकों के ठिकाने के बारे में जानकारी न होने की बात कही है. उनके मुताबिक, ‘उन्होंने इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए उनसे संपर्क किया था. उनका कोई वास्तविक विवरण उनके पास नहीं है.’


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‘जबरन वसूली के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इम्पैक्ट गन’

सूत्र ने कहा कि ‘इम्पैक्ट गन’ की मांग पिछले कुछ सालों में बढ़ी है. इनका इस्तेमाल ज्यादातर अपराधी आतंक और जबरन वसूली के लिए करते हैं.

सूत्र ने समझाया, ‘यह साफ नहीं है कि उन्होंने किसे बंदूकें बेचीं. हमें संदेह है कि ये जबरन वसूली करने वाले गिरोहों द्वारा खरीदे गई होंगी. जब फायर किया जाता है तो ये बंदूकें तेज आवाज करती हैं और सामान्य बंदूकों के समान दिखती हैं.’ दोनों भाइयों के पास इन बंदूकों को बेचने या आयात करने और निर्यात करने का कोई लाइसेंस नहीं है.

मंजीत को 2014 में स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा जांच के दौरान दक्षिण पश्चिम दिल्ली में एक वाहन से हथियारों की एक बड़ी खेप बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया गया था.

खेप के साथ दो बंदूकधारियों को गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से 146 पिस्तौल, 40 रिवाल्वर, एक 12 बोर की बंदूक और नौ खंजर बरामद किए गए थे. जांच के दौरान मनजीत का नाम सामने आने पर स्पेशल सेल ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

सूत्र ने बताया कि मंजीत और जगजीत एक कपड़ा व्यवसाय की आड़ में बंदूकों की तस्करी कर रहे थे. उनके पिता का रियल एस्टेट का कारोबार था. परिवार की गुरुग्राम और दिल्ली के कालकाजी में भी संपत्तियां हैं.

सूत्र के मुताबिक ‘उन्होंने पूरे यूरोप की यात्रा की है. 2000 के दशक की शुरुआत में, मनजीत ने अपने कपड़े के बिजनेस के सिलसिले में हांगकांग की यात्रा की और फिर ऑस्ट्रिया चले गए. उन्होंने शादी की और कुछ समय के लिए वहीं बस गए. जगजीत भी उस समय ऑस्ट्रिया में थे. भाइयों ने आर्म्स डीलर से संपर्क बनाए. जल्द ही उन्हें फ्रांस और ऑस्ट्रिया सहित अन्य देशों से बंदूकें मिलने लगीं.

सूत्र ने कहा, ‘हमें संदेह है कि डाक विभाग और हवाई अड्डे के कुछ लोगों के साथ उनकी सांठ-गांठ है. जिस कारण वो पिछले एक दशक में सैकड़ों बंदूकों की तस्करी कर पाए.’

पुलिस को संदेह है कि इन बंदूकों को मुख्य रूप से दिल्ली, हरियाणा और पड़ोसी राज्यों में आपराधिक गिरोहों को बेचा गया है.

(इस खबर को अंग्रेजा में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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