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रविवार, 4 मई, 2025
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एम्स के शोधकर्ताओं ने दुर्लभ आनुवंशिक विकारों के लिए अग्रणी नैदानिक ​​उपकरण विकसित किया

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(पायल बनर्जी)

नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के शोधकर्ताओं ने प्राइमरी सिलिअरी डिस्किनीशिया या पीसीडी के निदान के लिए एक शक्तिशाली नयी विधि विकसित की है। यह एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है।

ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (टीईएम) पर आधारित यह नवीन तकनीक, सिलिअरी विकारों का पता लगाने और समझने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।

सिलिअरी विकार एक आनुवंशिक विकार है जो सिलिया (छोटे, बाल जैसे उपांग) के कार्य को बाधित करता है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

एनाटॉमी विभाग में इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप फैसिलिटी के डॉ. सुभाष चंद्र यादव और शिशु रोग विभाग के प्रोफेसर काना राम जाट नेतृत्व में मिली इस उपलब्धि को हाल ही में माइक्रोस्कोपी एंड माइक्रोएनालिसिस (ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय) पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

लेख का शीर्षक ‘श्वसन संबंधी सिलिअरी विकारों के निदान के लिए एक अभिनव टीईएम-आधारित अल्ट्रास्ट्रक्चरल इमेजिंग पद्धति’ था। अध्ययन में उस विधि का विस्तृत विवरण दिया गया है जो लगभग 70 प्रतिशत संदिग्ध मामलों में गतिशील सिलिया में संरचनात्मक दोषों की पहचान करके नैदानिक ​​सटीकता में नाटकीय रूप से सुधार करती है – यह एक ऐसी उपलब्धि है जो अत्याधुनिक सम्पूर्ण जीनोम अनुक्रमण से भी मेल नहीं खाती।

इस विधि का प्रयोग संदिग्ध सिलिअरी विकार वाले 200 रोगियों पर किया गया, तथा 135 मामलों में निदान की पुष्टि हुई।

शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इस तकनीक का दायरा पीसीडी से कहीं आगे तक फैला हुआ है।

यह श्वसन संबंधी विसंगतियों, गुर्दे की सिस्टिक बीमारी, नेत्रहीनता, तंत्रिका ट्यूब दोष, बौद्धिक दिव्यांगता, कंकाल संबंधी असामान्यताएं (जैसे पॉलीडेक्टली और असामान्य रूप से छोटे अंग), एक्टोडर्मल दोष, साइटस इनवर्सस (ऐसी स्थिति जहां आंतरिक अंग प्रतिबिंबित होते हैं) और बांझपन सहित दुर्लभ सिलिअरी विकारों से संबंधित स्थितियों की एक श्रृंखला का सटीक रूप से पता लगा सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस कार्यप्रणाली को जो चीज अलग बनाती है, वह इसका व्यापक और परिष्कृत कार्यप्रवाह है।

भाषा प्रशांत रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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