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Thursday, 31 October, 2024
होमएजुकेशनसरकार क्षेत्रीय भाषाओं में मैनेजमेंट और गैर-तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी में जुटी: AICTE प्रमुख

सरकार क्षेत्रीय भाषाओं में मैनेजमेंट और गैर-तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी में जुटी: AICTE प्रमुख

एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे ने दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार बताया कि यद्यपि 13 कॉलेजों में 2021-22 के सत्र से पांच क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू हो जाएंगे लेकिन इनमें वैज्ञानिक शब्दों का अनुवाद नहीं किया जाएगा.

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नई दिल्ली: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में बताया है कि देश के कुछ कालेजों में क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग कोर्स शुरू करने के बाद केंद्र सरकार गैर-तकनीकी पाठ्यक्रमों के साथ-साथ प्रबंधन जैसे टेक्निकल कोर्स भी क्षेत्रीय भाषाओं में शुरू करने की तैयारी कर रही है.

2021-22 के शैक्षणिक सत्र से एआईसीटीई की तरफ से मान्यता प्राप्त देशभर के 13 कालेज पांच क्षेत्रीय भाषाओं—बांग्ला, तमिल, तेलुगु, मराठी और हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू करेंगे. मैकेनिकल, सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस और सूचना प्रौद्योगिकी आदि के पाठ्यक्रम इन भाषाओं में उपलब्ध होंगे.

मातृभाषा में शिक्षा की वकालत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी की गई है. नरेंद्र मोदी सरकार प्राइमरी स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी स्तर तक यह व्यवस्था लागू करने की इच्छुक है.

एआईसीटीई ने अपने दायरे में आने वाले कालेजों में इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

सहस्रबुद्धे ने बताया, ‘हम पिछले तीन वर्षों से क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम डिजाइन करने पर काम कर रहे हैं, लेकिन जब एनईपी ने भी इसकी वकालत की तो हमने किसी भाषा विशेष में चुनिंदा माड्यूल डिजाइन करने के बजाय पूरे पाठ्यक्रम को ही क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाए जाने की संभावनाओं को खंगाला.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ समय बाद हमारे पास मौजूद अन्य टेक्निकल कोर्स और यहां तक कि नॉन-टेक्निकल कोर्स भी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होंगे. सरकार इस पर सक्रिय है, उच्च शिक्षा सचिव की भी मौजूदगी वाली एक केंद्रीय समिति इस दिशा में काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रमों के शिक्षण के लिए केवल नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) की तरफ से मान्यता प्राप्त कालेजों का ही चयन करके शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखा जाए और जो छात्र इन पाठ्यक्रमों में शामिल होना चाहते हैं, उनका चयन भी अन्य छात्रों की तरह ही कड़ी प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया के जरिये ही हो.

सहस्रबुद्धे ने कहा, ‘लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि हम इन पाठ्यक्रमों के लिए निम्न स्तर के कालेजों को चुनेंगे क्योंकि वे क्षेत्रीय भाषाओं में हैं. यहां तक कि छात्रों को प्रवेश के लिए सामान्य तौर पर अपनाई जाने वाली जेईई और स्टेट सेलेक्शन एग्जाम जैसी प्रक्रिया से ही गुजरना होगा.


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मातृभाषाओं पर जोर

संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई), जो देश के विभिन्न इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश का रास्ता है, भी इस साल से 13 क्षेत्रीय भाषाओं में होगी, इससे तमाम छात्रों को मातृभाषा में पढ़ाई की सुविधा मिलेगी. सरकार ने इस साल चार चरणों में जेईई मेन्स कराने का फैसला किया है, पहले तीन चरण पूरे हो चुके हैं और चौथा चरण अगस्त के अंत में आयोजित किए जाने की संभावना है.

इन कोर्सों के सिलेबस के संदर्भ में बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसी वैज्ञानिक शब्द का किसी भी क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद नहीं किया जाएगा. उदाहरण के तौर पर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ‘रेजिस्टेंस’ शब्द ‘रेजिस्टेंस’ ही रहेगा और इसका किसी अन्य भाषा में अनुवाद नहीं किया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘वैज्ञानिक शब्दों का किसी अन्य भाषा में अनुवाद नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे वैज्ञानिक शब्द हैं और अंग्रेजी के शब्द नहीं हैं.’

परिषद ने पांच भाषाओं में टीचिंग मैटेरियल तैयार किया है जिसका इस्तेमाल मौजूदा पाठ्यक्रमों की पढ़ाई में किया जाएगा.

पिछले वर्ष परिषद ने क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग में रुचि का स्तर मापने के लिए मौजूदा इंजीनियरिंग छात्रों के बीच एक सर्वेक्षण किया था. सर्वेक्षण में पाया गया कि 44 प्रतिशत इंजीनियरिंग छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ाना चाहते थे और तमिल पसंदीदा भाषा सूची में सबसे ऊपर रही.

उक्त सर्वेक्षण के संदर्भ में सहस्रबुद्धे ने कहा, ‘सर्वेक्षण से हमें इसका अंदाजा लगा कि छात्र अपनी मातृभाषा में सीखने में रुचि रखते हैं. हालांकि इस पर वास्तविक प्रतिक्रिया क्या है, इसका पता तो इस साल छात्रों के नामांकन के बाद ही लग सकेगा.’

अब तक एआईसीटीई ने यही बताया है कि तकनीकी कालेजों में नया सत्र अक्टूबर में शुरू होगा.

‘मातृभाषा में स्नातक इंजीनियरिंग शिक्षा’ सर्वेक्षण पिछले वर्ष फरवरी में एआईसीटीई से संबद्ध कालेजों के 83,000 छात्रों के बीच किया गया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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