आगरा: आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान केशवदेव की मूर्ति को बरामद करने के लिए श्री कृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट की याचिका स्वीकार करने के बाद एक स्थानीय अदालत ने सोमवार को यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य हितधारकों को नोटिस जारी किया.
ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज कुमार पांडेय की ओर से 11 मई को याचिका दायर की गई थी.
कोर्ट ने सोमवार को शाही मस्जिद आगरा किले की इंताजामिया कमेटी, छोटी मस्जिद दीवान-ए-खास, जहांआरा बेगम मस्जिद आगरा किले के सचिव, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव को नोटिस जारी कर उनसे मई के अंत तक जवाब मांगा.
मथुरा के एक धार्मिक उपदेशक देवकीनंदन ठाकुर ने आगरा में एक ‘भागवत कथा’ में दावा किया था कि भगवान केशवदेव की मूर्तियों को हिंदुओं को वापस कर दिया जाना चाहिए. ठाकुर श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के संरक्षक भी हैं.
पांडे ने दिप्रिंट को बताया, “मुस्लिम हर रोज नमाज के लिए मस्जिद में घुसते ही मूर्तियों को रौंद देते हैं, जो हिंदू समाज का अपमान है. चूंकि मुसलमानों ने सीढ़ियों को खोदने की और ठाकुर देवकीनंदन की मूर्ति को बाहर निकालने की अनुमति देने की अपील पर ध्यान नहीं दिया इसलिए अदालत जाना अंतिम उपाय है.”
उन्होंने आगे दावा किया कि उनके पास मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हुई मूर्तियों के पर्याप्त सबूत हैं.
उन्होंने कहा, “कई ऐतिहासिक वृत्तांत हैं जो साबित करते हैं कि औरंगज़ेब ने 1670 में केशवदेव के मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और मूर्ति को आगरा में जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे गाड़ दिया था. औरंगज़ेब के शासनकाल के इतिहासकारों सहित कई इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में इस घटना का वर्णन किया है. मूर्तियों को बरामद किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें मथुरा ले जाया जा सके और उनकी पूजा की जा सके.”
पांडे ने दावा किया कि वह अपने दावे को मजबूत करने के लिए अदालत के समक्ष मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन के दौरान लिखी गई एक किताब की सामग्री पेश करेंगे.
उन्होंने कहा, ट्रस्ट सीढ़ियों को खोदने और उन्हें उनकी प्रारंभिक स्थिति में बहाल करने के सभी खर्चों को उठाने के लिए तैयार हैं.
(संपादन: अलमिना खातून)
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