नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की दख़ल से तेलंगाना के एक गांव में बस सेवाएं बहाल हो गई हैं, जिससे वहां के छात्र ज़्यादा पैसा ख़र्च किए बिना स्कूल और कालेज पहुंच सकते हैं.
लेकिन, ये किसी न्यायिक आदेश का परिणाम नहीं है, बल्कि सीजेआई ऑफिस से तेलंगाना राज्य पथ परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) के प्रबंध निदेशक को एक पत्र लिखा गया था. 2 नवंबर को लिखे गए संचार में सीजेआई ने उन्हें प्राप्त हुए एक पत्र की ओर प्रबंध निदेशक का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें रंगा रेड्डी ज़िले के गांव की 8वीं क्लास की एक बच्ची ने अपनी मुश्किलें बयान की थीं, जिनका बस सेवा बंद हो जाने की वजह से वह और उसके भाई-बहन तथा दोस्त सामना कर रहे थे.
पी वैष्णवी ने, जिसने 17 सितंबर को पत्र लिखा था, कहा कि कोविड महामारी के चलते उसके गांव की बस सेवा बंद कर दी गई थी. उसने कहा कि स्कूलों के फिर से खुलने के बाद भी बस सेवा बंद चल रही है. उसने आगे कहा कि इस वजह से उसे और उसके बहन भाई- प्रीति और प्रनीत को स्कूल जाने में परेशानी हो रही है.
उसने ये भी लिखा कि कोविड की पहली लहर के दौरान उसके पिता की मौत की वजह से परिवार को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. उसने कहा कि चूंकि उसकी मां परिवार में अकेली कमाने वाली सदस्य हैं, इसलिए उनके सामने स्कूल जाने के लिए ऑटो रिक्शा लेने का विकल्प संभव नहीं था.
तेलुगु में लिखे वैष्णवी के पत्र में, उसके दोस्तों की कठिनाइयों का भी ज़िक्र था, जिनमें से कुछ कालेज में हैं, कि किस तरह बस सेवा न होने से उन्हें ज़्यादा पैसा ख़र्च करना पड़ रहा है.
उसने कहा कि स्कूल उसके गांव से 6 किलोमीटर दूर है, जबकि कालेज की दूरी 18 किलोमीटर है.
सीजेआई के निजी सचिव एसके रखेजा ने, टीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक वीएस सज्जनार को भेजे गए संचार के साथ, वैष्णवी का पत्र भी नत्थी किया और उनसे बस सेवा बहाल करने की, लड़की की ‘पैरवी’ को देखने के लिए कहा.
पत्र में कहा गया है, ‘मुझे भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) से निर्देश मिला है कि इसे आवश्यक कार्रवाई हेतु उपयुक्त प्राधिकारी के संज्ञान में लाया जाए, जिससे कि बच्चे सार्वजनिक परिवहन के किफायती साधन से अपने गांव और शिक्षा स्थलों के बीच सुरक्षित तरीक़े से आवाजाही कर सकें’.
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रंगा रेड्डी के गांव की बस सेवा बहाल
3 नवंबर को सज्जनार ने ट्वीट करके सीजेआई रमन्ना का अभार व्यक्त किया कि उन्होंने निगम को वैष्णवी के पत्र से आगाह किया. उसी ट्वीट में उन्होंने ये भी कहा कि ‘बच्चों के शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के सम्मान के प्रतीक के तौर पर’ बस सेवा बहाल कर दी गई है. आरटीई क़ानून के तहत सरकार पर 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करना अनिवार्य है.
सज्जनार ने कहा कि उन्होंने बृहस्पतिवार को लड़की की मां से भी बात की और सीजेआई रमन्ना को लिखने की, वैष्णवी की पहल की सराहना की.
ये पहली बार नहीं है कि सीजेआई रमन्न ने किसी बच्चे के पत्र का जवाब दिया है. जून में उन्होंने केरल की एक 5वीं क्लास की बच्ची को जवाब दिया था, जिसने सीजेआई को पत्र लिखकर कोविड से जुड़े मुद्दों पर जारी आदेशों के लिए, शीर्ष अदालत का आभार व्यक्त किया था.
वर्तमान मुद्दों के प्रति बच्ची की जागरूकता और ‘महामारी के बाद लोगों की सलामती’ के प्रति चिंता के इज़हार से प्रभावित होकर, सीजेआई ने लिखा: ‘मुझे विश्वास है कि तुम बड़ी होकर एक सतर्क, जागरूक और ज़िम्मेदार नागरिक बनोगी, जिसका राष्ट्र निर्माण में भारी योगदान होगा’.
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