सुकमा, 19 अप्रैल (भाषा) छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के बड़ेसट्टी गांव को नक्सलवाद से मुक्त गांव घोषित किया गया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों के मुताबिक बडेसट्टी गांव राज्य का पहला गांव है जिसे नयी छत्तीसगढ़ नक्सल आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति-2025 लागू होने के बाद नक्सल मुक्त घोषित किया गया।
नयी पुनर्वास नीति के तहत राज्य सरकार ने ‘इलवद पंचायत योजना’ शुरू की है, जिसमें उन ग्राम पंचायतों को एक करोड़ रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी देने का प्रावधान है जो अपने क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों के आत्मसमर्पण में मदद करते हैं और खुद को माओवादी ग्राम मुक्त घोषित करने का प्रस्ताव पारित करते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को बड़ेसट्टी पंचायत के सभी 11 नक्सलियों ने सुकमा शहर में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके साथ ही यह एक नक्सल-मुक्त ग्राम पंचायत बन गया।
ग्राम पंचायत नयी योजना के अनुसार एक करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं के लिए पात्र है।
बड़ेसट्टी ग्राम पंचायत के सरपंच (ग्राम प्रधान) कलमू जोगा (33) ने बताया, ”पुलिस के सहयोग से स्थानीय पंचायत ने क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठन से जुड़े लोगों को हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। शुक्रवार को हमारी पंचायत के 11 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अब हमारे गांव का कोई भी व्यक्ति (नक्सली) संगठन से जुड़ा नहीं है और हमारा गांव नक्सल मुक्त हो गया है।”
जब जोगा से पूछा गया कि गांव में विकास कार्य के लिए मिलने वाली राशि का किस तरह इस्तेमाल किया जाएगा, तब जोगा ने कहा, ”गांव में कोई पंचायत भवन और अस्पताल नहीं है, जबकि स्कूल केवल कक्षा आठवीं तक है। सरकार से मिलने वाला पैसा सड़क, पानी की आपूर्ति और अन्य बुनियादी ढांचे से जुड़े कामों पर खर्च किया जाएगा।”
सुकमा जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित फुलबगड़ी थाना क्षेत्र का बड़ेसट्टी गांव नक्सल गतिविधियों के लिए कुख्यात था। 2021 में यहां छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के शिविर की स्थापना की गई थी। इसके बाद से यहां माओवादी हिंसा में कमी देखी गई है।
बड़ेसट्टी में तैनात सीएएफ की पहली बटालियन के कंपनी कमांडर जमुना कुमार रजक ने कहा कि शिविर स्थापित होने के बाद इलाके में सड़क का निर्माण हुआ और विकास होने लगा तथा नक्सल गतिविधियां कम होने लगीं।
उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत की आबादी लगभग 1700 है और उनमें से 1400 मतदाता हैं। बड़ेसट्टी पंचायत के आठ गांवों में से छह में बिजली की आपूर्ति है जबकि दो अन्य जगहों पर बिजली आपूर्ति शुरू करने का काम जारी है।
रजक ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत पानी की पाइपलाइन बिछाने का काम जारी है, जबकि एक ओवरहेड पानी की टंकी बनाई गई है तथा ओवरहेड टैंक में पानी की आपूर्ति के लिए एक बोरवेल किया गया है।
उन्होंने बताया कि बड़ेसट्टी में आठवीं कक्षा तक आवासीय विद्यालय है और एक अन्य आश्रम (छात्रावास) का निर्माण किया जा रहा है।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बड़ेसट्टी में कोई बड़ी माओवादी घटना नहीं हुई, लेकिन क्षेत्र में माओवादियों की आवाजाही देखी गई है। सितंबर, 2023 में नक्सलियों ने पुलिस के दल पर हमला किया था, लेकिन सुरक्षाबलों को कोई नुकसान नहीं हुआ था।
सुंदरराज ने कहा कि इससे पहले 2020 में नक्सलियों ने अलग-अलग घटनाओं में बड़ेसट्टी के सिंगनपारा इलाके के तीन लोगों पर पुलिस का मुखबिर होने का आरोप लगाया था तथा उनकी हत्या कर दी थी।
उन्होंने बताया कि उसी वर्ष नवंबर में नक्सलियों ने गांव में नवनिर्मित स्वास्थ्य केंद्र को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि गांव के सभी 11 नक्सली सदस्यों के आत्मसमर्पण के साथ ही यह गांव नक्सल समस्या से मुक्त हो गया है और नयी योजना का लाभ पाने के लिए पात्र हो गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस पिछले कुछ दिनों से बड़ेसट्टी के स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के संपर्क में थी जिससे प्रतिबंधित संगठन के मिलिशिया और क्रांतिकारी पार्टी समिति जैसे गांव-स्तरीय सदस्यों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित किया जा सके, जिसमें सफलता मिली है।
सुंदरराज ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को 50 हजार रुपये की सहायता प्रदान की गई है और सरकार की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘हमारा लक्ष्य पूरे बस्तर क्षेत्र को इस समस्या से मुक्त करना है। भविष्य में ऐसे अन्य प्रभावित गांवों से भी संपर्क किया जाएगा।’
उन्होंने बताया कि बस्तर क्षेत्र के सात जिलों – बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के वे गांव, जहां नक्सलियों की मौजूदगी नहीं है या जो पहले ही इस समस्या से मुक्त हो चुके हैं, इलवद पंचायत योजना के तहत लाभ पाने के हकदार नहीं होंगे।
इस महीने की शुरुआत में दंतेवाड़ा की अपनी यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस योजना की सराहना की थी और लोगों से बस्तर क्षेत्र के हर गांव को नक्सल मुक्त बनाने के लिए अभियान शुरू करने का अनुरोध किया था।
उन्होंने उम्मीद जताई थी कि हर गांव को एक करोड़ रुपये के काम मिलेंगे।
शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भाषा संजीव जोहेब
जोहेब
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