संभल (उप्र), 19 मई (भाषा) मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए दिये गये आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के बाद पुलिस ने सोमवार को जिले की प्रमुख सड़कों पर ‘फ्लैग मार्च’ किया।
पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने ‘फ्लैग मार्च’ का नेतृत्व किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई गैरकानूनी तरीके से विरोध प्रदर्शन करने या भड़काऊ संदेश प्रसारित करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बिश्नोई ने संवाददाताओं से कहा कि ‘फ्लैग मार्च’ पुलिस की दैनिक गश्त का हिस्सा है लेकिन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर इसे और बढ़ाया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस सड़कों पर है और साइबरस्पेस पर नजर रख रही है ताकि कोई भी कानून को अपने हाथ में न ले सके। जो कोई भी अदालत के आदेश से सहमत या असहमत है तो वह अपील दायर करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन अगर कोई गैरकानूनी तरीके से विरोध करने या भड़काऊ संदेश प्रसारित करने की कोशिश करता है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। अदालती लड़ाई सड़कों पर नहीं, बल्कि अदालत में लड़ी जानी चाहिए।’’
बिश्नोई ने कहा, ‘‘हमारे साइबर कमांडो सोशल मीडिया गतिविधि पर नजर रख रहे हैं ताकि कोई भी गैर-जिम्मेदाराना पोस्ट न की जाए। ’’
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक दिवानी न्यायाधीश के 19 नवंबर 2024 के उस आदेश को बरकरार रखा जिसके तहत शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया गया था।
मस्जिद समिति ने तर्क दिया था कि मुगलकालीन मस्जिद का सर्वेक्षण अवैध था। उसने कहा कि खासतौर से 24 नवंबर को किया गया दूसरा सर्वेक्षण नाजायज था जिसे लेकर मस्जिद के पास हिंसक झड़पें हुई थीं और उसमें चार लोग मारे गए थे।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि यह मामला प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 के तहत संरक्षित स्मारक तक पहुंच से संबंधित है और इसमें “पूजा स्थल का रूपांतरण” शामिल नहीं है।
भाषा सं सलीम
राजकुमार
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