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Friday, 22 November, 2024
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आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जुमे की नमाज़ के लिए बुझे मन से तैयार श्रीनगर

सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि स्थिति के मद्देनजर शुक्रवार का दिन महत्वपूर्ण होगा और अगर दिन शांति से गुजरता है तो कर्फ्यू में ढील दी जा सकती है.

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श्रीनगर : मोदी सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला करने के बाद से श्रीनगर में शुक्रवार को पहली बार जुमे की नमाज़ फीकी रह सकती है. ऐतिहासिक जामा मस्जिद और हजरतबल श्राइन में भी कम लोग पहुंच सकते हैं.

हालांकि, अधिकारियों द्वारा शुक्रवार की नमाज़ के लिए लोगों के इकट्ठा न होने का कोई निर्देश नहीं है, लेकिन स्थानीय लोग शहर में अघोषित कर्फ्यू और धारा 144 लागू होने के मद्देनजर एकत्र होने से डरे हुए हैं.

प्रमुख मस्जिदों की प्रबंध समितियां भी नमाज़ के लिए कम भीड़ जुटने के डर से सीमित व्यवस्था कर रही हैं, जबकि छोटी मस्जिदें आधिकारिक बातचीत के इंतजार में हैं.

जामा मस्जिद हैदरपोरा के इमाम अब्दुल रशीद, जो हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के आवास के करीब रहते हैं ने कहा, ‘आमतौर पर 2,000 से अधिक लोग नमाज़ अदा करते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि 50 से अधिक लोग शुक्रवार को यहां आएंगे. मैं यह आज के प्रतिबंधों के आधार पर कहता हूं.’

सुरक्षा एजेंसियां ​​इस बीच चितिंत और डरी हुई हैं कि जामा मस्जिद में नमाज़ हिंसक प्रदर्शनों में न तब्दील हो जाए, जहां अलगाववादी नेता मीरवाइज मौलवी फारूक हर शुक्रवार को उपदेश देते हैं.


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कुछ इमाम करते हैं विरोध 

दो अन्य मस्जिदों के इमाम, एक लाल चौक के पास और दूसरा बरुला इलाके में जहां तहरीक-ए-हुर्रियत नेता अशरफ सेहराई रहते हैं, हालांकि, उन्होंने कहा कि वे तय प्रार्थनाओं में बदलाव नहीं करेंगे जब तक कि अधिकारी उन्हें नहीं बताएंगे.

बरुला मस्जिद के इमाम ने कहा, ‘हम नमाज़ के साथ आगे बढ़ेंगे.’ ‘हम उम्मीद करते हैं कि कम लोग बाहर आएंगे क्योंकि पुलिस द्वारा ज्यादातर लोगों को स्थानीय मस्जिदों में जाने का निर्देश दिया जाएगा. जो भी हो, नमाज़ अदा होगी.’

एक अन्य इमाम ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘शुक्रवार की नमाज़ इस बात पर निर्भर करेगी कि खतीब (उपदेशक) यहां तक पहुंचने का प्रबंध करते हैं या नहीं. यदि वह नहीं करते, तो किसी और को नमाज़ कराने को कहा जाएगा.’

सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि हालात को देखते हुए शुक्रवार महत्वपूर्ण होगा. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दप्रिंट को बताया, ‘कल हमारे लिए महत्वपूर्ण होगा. यदि सब कुछ सुचारू रूप से चलता रहा, तो अब तक लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देना शुरू करेंगे.’

पुलिस अधिकारियों ने कुल कितने विरोध या पथराव की घटनाएं हुईं इसकी पुष्टि नहीं की. न तो उन्होंने पालपोरा में एक को छोड़कर किसी के हताहत होने की पुष्टि की है जैसा कि पहले दिप्रिंट ने बताया था. रिपोर्टरों को कश्मीर घाटी के दक्षिणी हिस्सों का दौरा करने से गुरुवार को फिर से रोक दिया गया.


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मुख्यधारा के नेता हिरासत में

इस बीच, स्थानीय राजनेता नजरबंद किए जा रहे हैं. जबकि पुलिस अधिकारियों ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं सहित कितने लोगों को हिरासत में लिया है संख्या बताने से इनकार कर दिया, दिप्रिंट तीन राजनेताओं के घरों तक पहुंचने में कामयाब रहा, जिनके आवास गुप्कर रोड पर हैं.

30 मिनट तक इंतजार करने के बाद जम्मू एंड कश्मीर के सीएम और अभी श्रीनगर से सांसद फारूख अब्दुल्ला के आवास के बाहर सुरक्षा बलों ने कहा की बड़े नेताओं को किसी से मिलने की इजाजत नहीं है, खासकर पत्रकारों से.

दिप्रिंट ने भाजपा-पीडीपी सरकार में पूर्व शिक्षा मंत्री नईम अख्तर के घर तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन उनके गेट पर तैनात पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘सर घर में नजरबंद हैं और किसी से मुलाकात नहीं कर सकते.’

माकपा नेता और कुलगाम के पूर्व विधायक एमवाई तारिगामी के निजी कर्मचारियों ने भी उसी तरह से जवाब दिया, एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘किसी को भी तारिगामी से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है. हम भी लगातार यहां तैनात रहे हैं. हम व्यावहारिक रूप से आलू खाकर जिंदा हैं.’

पुलिस ने भाजपा के पूर्व सहयोगी पीपल कॉन्फ्रेंस के चीफ सज्जाद लोन, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के सटीक ठिकानों के बारे में भी जानकारी नहीं दी.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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