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Saturday, 20 April, 2024
होमदेशकश्मीर में शांति का दावा कर रहे अफसर बोले- श्रीनगर के अस्पताल में गोली से घायल महज 8 लोग

कश्मीर में शांति का दावा कर रहे अफसर बोले- श्रीनगर के अस्पताल में गोली से घायल महज 8 लोग

कश्मीर में सोमवार से कर्फ्यू जैसी पाबंदियों से घाटी का जीवन थम गया है. सभी मुश्किलों में फंस रहे हैं.

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श्रीनगर : मोदी सरकार के अनुच्छेद 370 को सोमवार को खत्म करने के फैसले बाद से जम्मू-कश्मीर की राजधानी में मुख्य चिकित्सा सुविधा, श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में गोली लगने से आठ मरीजों को भर्ती कराया गया है.

राज्य प्रशासन के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि इन तीन दिनों में घायलों की संख्या उनकी अपेक्षा से बहुत कम है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति और राज्य विशेष राज्य का दर्ज हटाए जाने बावजूद घाटी में शांति है.

एक अधिकारी ने कहा कि यह जानने का कोई और तरीका नहीं था कि अन्य घायल लोग भी एम्बुलेंस लिए हों. अधिकारियों ने श्रीनगर के बाहरी इलाके बुचपोरा में एक मौत के बारे में बात की, लेकिन कहा कि यह वर्तमान स्थिति से जुड़ी नहीं है, जांच की जा रही है.

एसएमएचएस के एक कर्मियो ने कहा, ‘हम मौत के पीछे के कारण के बारे में नहीं जानते. कुछ लोगों का कहना है कि वह स्नान कर रहा था और वह डूब गया, जबकि दूसरों का कहना है कि क्लैश के दौरान सुरक्षा बलों ने उसका पीछा किया गया था, जिसके बाद वह नदी में कूद गया.


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जीवन रुक गया है

आवश्यक सेवाएं प्रभावित हैं, जबकि मुख्य सड़कें और राजमार्ग पर जम्मू-कश्मीर पुलिस और अर्धसैनिक बलों के हजारों कर्मियों संभाल रहे हैं. मोबाइल कनेक्टिविटी, लैंडलाइन, इंटरनेट सेवाएं और यहां तक ​​कि स्थानीय केबल टीवी भी अवरुद्ध हैं, जबकि अधिकारियों को केंद्र सरकार द्वारा उन्हें दिए गए लगभग 300 सैटेलाइट फोन के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद बनाए रखने को कहा गया है.

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अकेले श्रीनगर में, सैकड़ों चौकियों की स्थापना की गई है: जबकि कुछ स्थानों पर यातायात की इजाजत है, शहर के अधिक संवेदनशील हिस्सों में सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं.

कुछ चौकियों पर, कुछ वाहनों और व्यक्तियों को जाने की अनुमति दी जाती है, जो कि प्रभार संभाल रहे अधिकारियों के मूड के पर निर्भर करता है.

एम्बुलेंस और मरीजों को अनुमति है, लेकिन सरकारी अधिकारियों सहित अन्य नागरिकों को पूछताछ का सामना करना पड़ता है. मीडिया पेशेवर और भी अधिक जांच का सामना करते हैं. पत्रकारों को कर्फ्यू पास से वंचित किया जा रहा है.

अब्दुल्ला ब्रिज पर तैनात एक अर्धसैनिक अधिकारी, जो लाल चौक को शहर के बाकी हिस्सों से जोड़ता है ने कहा, ‘आप लाल चौक क्यों जाना चाहते हैं? आप क्या लिखेंगे? आप लोग कहर बरपाते हैं.’

एक अन्य अधिकारी ने मीडिया या आईडी कार्ड की जांच करते हुए टिप्पणी की, ‘आप लोग पत्रकार हैं? ऐसा लगता नहीं है. आप (मृत हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर) बुरहान वानी के भाइयों की तरह दिखते हैं.’ दोनों मौकों पर, इस रिपोर्टर और चार अन्य को पास दिया गया.

इस बीच, टीवी पत्रकार बाहरी प्रसारण वैन के माध्यम से सूचना भेजने में सक्षम रहे.

अन्य नागरिक को कठिनाई का समय का सामना करना पड़ता है. राजबाग की एक चौकी पर स्कूटर पर जा रहे एक युवक को रोका गया. उन्होंने कहा, ‘मैं अपने रिश्तेदारों के घर पर था और अपने घर वापस जाना चाहता था.’ वह जल्दी से पीछे मुड़ गया.

अंतहीन इंतज़ार

श्रीनगर के डिप्टी कमिश्नर शाहिद चौधरी के कार्यालय में, दिप्रिंट ने दर्जनों लोगों को कर्फ्यू पास के लिए इंतजार करते देखा. उनमें से एक एक कार्यकारी अभियंता थे, जो एक पावर स्टेशन पर अपने और अपने कर्मचारियों की एंट्री के लिए एक पास के लिए परेशान थे.

उसने अतिरिक्त उपायुक्तों में से एक से कहा, ‘सर, मुझे अपनी नौकरी से हटा दिया जाएगा.’ कमिश्नर ने जवाब दिया, ‘हम पास जारी करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, बस धैर्य रखें’. काफी देर बाद, उसी कार्यालय के बाहर एक प्रिंटआउट चिपकाया जाता है. ‘जिला मजिस्ट्रेट के आदेश से कोई कर्फ्यू जारी नहीं किया गया.’

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने कहा कि वह कर्फ्यू पास का दो दिन से इंतजार कर रहे थे. अधिकारी ने कहा, ‘हमें कुछ जरूरी काम था. लेकिन हमें पास जारी नहीं किया गया. मैं दो दिनों से इंतजार कर रहा हूं.


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अंधेरी रात जो खत्म नहीं होती

एसएमएचएस अस्पताल में, दिप्रिंट ने रोगियों से कुछ कष्टप्रद कहानियां सुनीं. श्रीनगर के एक ऑटो-चालक उमर, जो किडनी के एक मरीज को लेकर आए थे, ने याद किया कि किस तरह रिश्तेदार अस्पताल के लिए गाड़ी दरवाजे पर लेकर आए. उन्होंने बताया, ‘बुधवार सुबह, कुछ लोगों ने मेरे दरवाजे पर दस्तक दी और पूछा कि क्या मेरे पास एक ऑटो है. उन्होंने उसके घर पहुंचने से पहले अपने पिता को अस्पताल ले जाने के लिए कई इलाकों में ऑटो-ड्राइवरों की तलाश की थी.’

हनीफा नाम की एक महिला ने कहा कि वह काफी भाग्यशाली थी कि वह अपने 14 साल के बेटे को मंगलवार को लाने के लिए एक चौकियों के जरिए कैब और पास पाया.

हालांकि, वह अपने बेटे को बड़गाम जिले के बीरवाह घर ले जाने के लिए एक वाहन पाने में असमर्थ रही थीं.
उन्होंने कहा, ‘कोई नहीं जानता कि उनके आसपास क्या हो रहा है. यह एक खत्म न होने वाली अंधेरी रात की तरह है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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