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Friday, 22 November, 2024
होमदेशTV पर चुप्पी से वायरल होने के बाद कैसे इस IAS ने यूट्यूब को अपनी आवाज उठाने का जरिया बनाया

TV पर चुप्पी से वायरल होने के बाद कैसे इस IAS ने यूट्यूब को अपनी आवाज उठाने का जरिया बनाया

मीणा की यूट्यूब यात्रा दिसंबर 2020 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने ग्राम पंचायतों, अतिक्रमण वाली जगहों के निरीक्षण और संपत्ति विवादों के निपटारे से जुड़े वीडियो बनाने शुरू किए.

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नई दिल्ली: आईएएस अधिकारी अक्सर ही अपने कामकाज के तरीकों के कारण सुर्खियों में आते रहते हैं लेकिन पिछले साल 2018 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा के चर्चा में रहने की वजह एकदम असामान्य थी- और यह थी टीवी पर गहरी चुप्पी.

सितंबर-अक्टूबर 2020 में हाथरस प्रकरण के दौरान आज तक की पत्रकार का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उन्होंने स्थानीय ज्वाइंट मजिस्ट्रेट मीणा पर विवादास्पद बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया.

छह मिनट के इस वीडियो में पत्रकार ने मीणा पर मामले की रिपोर्टिंग करने को लेकर उन्हें धमकाने का आरोप लगाया. वह बार-बार कैमरा उनके सामने करतीं, सवाल पूछती और उनके कथित दुर्व्यवहार पर टिप्पणी करने के लिए कहती रहीं.

लेकिन मीणा ने कोई जवाब नहीं दिया. वह मास्क पहने और सिर झुकाए चुपचाप तक तक वहां खड़े रहे, जब तक कि पत्रकार उनसे दूर नहीं चली गईं.

यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जहां कुछ ने इतना ‘उकसाने’ के बाद भी कुछ न बोलने के लिए आईएएस अधिकारी के धैर्य की सराहना की, वहीं अन्य लोगों ने उनके रवैये की आलोचना भी की.

लेकिन एक साल पहले हुई इस घटना के बाद से मीणा को अपनी आवाज उठाने का एक मंच मिल गया है.

अपनी छवि बदलने की कोशिश में आईएएस अधिकारी ने सोशल मीडिया का सहारा लिया है- वह यूट्यूब पर यूपीएससी के उम्मीदवारों के लिए ट्यूटोरियल पोस्ट करते हैं और इंस्टाग्राम पर फील्ड विजिट के बारे में अपडेट देते हैं.

उनके यूट्यूब वीडियो पर आने वाले कमेंट उन्हें ‘दिन में अधिकारी, शाम को मेंटर’ के तौर पर परिचित कराते हैं. इन वीडियो में मीणा हिंदी पट्टी में सिविल सेवा के आने के इच्छुक उम्मीदवारों को करेंट अफेयर्स के बारे में बताते हैं.

मीणा ने एक इंटरव्यू में दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने देशभर में यूपीएससी के लिए लगभग 100 उम्मीदवारों की तैयारी कराई है और ये वीडियो उन लोगों के लिए हैं जिनके लिए किसी भी तरह कोचिंग सेंटर तक पहुंचना आसान नहीं है.’

उनका इंस्टाग्राम पेज, जिसमें उनके 80,000 से अधिक फॉलोअर हैं, पर उनके नियमित कामकाज से जुड़ी तमाम पोस्ट की भरमार है.

मीणा इस समय यूपी के चंदौली जिले में सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट के तौर पर कार्यरत हैं.


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160 वीडियो और 28 हजार सब्सक्राइबर

मीणा की यूट्यूब यात्रा दिसंबर 2020 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने ग्राम पंचायतों, अतिक्रमण वाली जगहों के निरीक्षण और संपत्ति विवादों के निपटारे से जुड़े वीडियो बनाने शुरू किए.

प्रेम प्रकाश मीणा, आईएएस’ नाम वाले उनके चैनल में अब 29,000 के करीब सब्सक्राइबर हो चुके हैं और इस पर 160 वीडियो हैं. इनमें से लगभग दो दर्जन उनके कामकाज से जुड़े हैं और बाकी सब सिविल सेवा उम्मीदवारों के लिए हैं.

मीणा ने कहा, ‘ऐसे उम्मीदवार हैं जो दो लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक की महंगी कोचिंग क्लास नहीं ले सकते हैं. मैंने बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी क्रैक किया. दूसरे भी कर सकते हैं. उन तक पहुंचने के लिए ही मैंने वीडियो बनाना शुरू किया.’

वीडियो बनाने संबंधी लॉजिस्टिक्स के बारे में पूछे जाने पर मीणा ने कहा कि उनकी एक टीम है जो एडिट और शूट करती है.


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राजस्थान के एक केमिकल इंजीनियर

प्रेम प्रकाश मीणा अनुसूचित जनजाति मीणा समुदाय से आते हैं. वह मूलत: राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले हैं.

मीणा जयपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं. उन्होंने 2006 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे से एम.टेक भी किया है. मीणा ने दिप्रिंट को बताया कि अपना रास्ता बदलने और सिविल सेवा में आने से पहले लगभग एक दशक तक उन्होंने अंतरराष्ट्रीय तेल और गैस कंपनियों में भी काम किया.

उन्होंने कहा, ‘2014 में मैं यह तय करने के लिए बैठ गया कि यह नौकरी जीवनभर जारी रखना चाहता हूं या नहीं. बहुत सोच-विचार करने के बाद मैं 2015 में भारत लौटा और यूपीएससी की तैयारी करने लगा. अगले साल मैंने अपना पहला प्रयास किया और 900वीं रैंक प्राप्त की. मैं एक आईआरएस अधिकारी के रूप में शामिल हो सकता था. लेकिन तीन महीने के भीतर मैंने दूसरा प्रयास किया और 102 रैंक हासिल की.’

भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी के तौर पर मीणा को उत्तर प्रदेश कैडर आवंटित किया गया था. उन्होंने बस्ती में एक प्रोबेशनर के तौर पर अपनी ट्रेनिंग पूरी की, जिसके बाद उन्हें हाथरस में सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किया गया.


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‘न्याय आपके द्वार’ पहल

मीणा अपने जिले के लोगों के साथ संवाद करने और उनकी शिकायतों को हल करने के लिए भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और फेसबुक का उपयोग करते हैं.

मीणा ने कहा, ‘लोग लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय होने के लिए नौकरशाहों की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन यह आपको अपना काम बेहदर ढंग से करने देने में मददगार भी हो सकता है. कोई मेरे कार्यालय तक आने के लिए 50 किलोमीटर की यात्रा क्यों करे, जब वह सोशल मीडिया के जरिये मुझ तक पहुंच सकता है और अपने मुद्दे उठा सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने यही बात अपने दिमाग में रखकर ‘न्याय आपके द्वार’ पहल की शुरुआत की, जिससे मुझे उन लोगों के दरवाजे तक जाने का मौका मिला जिन्हें न्याय की जरूरत थी.’

‘न्याय आपके द्वार’ मीणा की तरफ से शुरू की गई विवाद निपटारे की एक पहल है जिसे उन्होंने बस्ती से शुरू किया. हाथरस और चंदौली में भी उन्होंने इसे जारी रखा है.

उन्होंने बताया, ‘जब मैंने देखा कि कुछ मामले पिछले 15-20 वर्षों से लंबित हैं, क्योंकि प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए किसी अधिकारी की यात्रा की जरूरत थी, तो मैंने संपत्ति विवाद, अतिक्रमण और सार्वजनिक उपद्रव वाली जगहों पर खुद जाने का फैसला किया.’

उन्होंने कहा, ‘एक बार जब आप सभी पक्षों को एक साथ ले आएंगे तो विवाद को सुलझाया जा सकता है. अब तक हमने 800 से अधिक ऐसे मामलों में समाधान निकाला है जो वर्षों से लंबित पड़े थे.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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