लखनऊ: यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश में लेवल-2 और लेवल-3 के कोविड-19 अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में मरीजों को मोबाइल फोन रखने पर शनिवार रात पाबंदी लगा दी थी. सरकार के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से जारी निर्देश के अनुसार, लेवल-2 और लेवल-3 श्रेणी के कोविड अस्पतालों में मोबाइस पर बैन रहेगा क्योंकि इससे कोरोना संक्रमण फैल सकता है. इस आदेश का जब विरोध हुआ तो सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया.
अब सरकार का कहना है कि मरीज मोबाइल और चार्जर इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उसे पहले सैनेटाइज किया जाएगा.
बता दें कि पहले ये आदेश मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के केके गुप्ता की ओर से शनिवार देर रात जारी किया गया था. इस आदेश में ये भी लिखा है कि कोविड अस्पताल के इंचार्ज को दो मोबाइल फोन उपलब्ध कराएं जाएं, ताकि मरीज अपने परिजनों से बात कर सकें. हालांकि सरकार की ओर से यह आदेश कोरोना संक्रमित मरीजों के कोविड अस्पतालों में आने के 2 महीनों के बाद जारी हुआ जिस पर तमाम सवाल उठने लगे.
केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत, लेवल-2 अस्पताल ‘क्लीनिकली मध्यम स्तर के गंभीर रोगियों’ के लिए हैं, जबकि लेवल-3 अस्पताल ‘गंभीर और गंभीर रोगियों को व्यापक देखभाल’ करते हैं.
यह भी पढ़ेंः बस कंट्रोवर्सी में नया मोड़, अब कोटा से लाए गए बच्चों के बिल को लेकर यूपी- राजस्थान सरकार आमने-सामने
अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए. यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँचे, इसीलिए ये पाबंदी है. ज़रूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनेटाइज़ करने की है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 24, 2020
यूपी के पूर्व सीएम व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए. यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुंचे, इसीलिए ये पाबंदी है. ज़रूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनेटाइज़ करने की है.’
बता दें पिछले दिनों रायबरेली, प्रयागराज समेत तमाम जगह क्वारेंटाइन सेंटर्स व आइसोलेशन वार्ड से संबंधित शिकायतें आई थीं. अधिकतर शिकायतें सुविधाओं में कमियों की थीं.
यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने भी इस मामले में सरकार पर निशाना साधा है. अंशू के मुताबिक, सरकार अपनी कमियों को छुपाने की कोशिश कर रही है ताकि अस्पतालों से संबंधित शिकायतें जनता तक न पहुंचें. वहीं जब मरीज फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो आरोग्य सेतु ऐप का क्या होगा जिसे डाउनलोड करने की बात की जा रही है.
यह भी पढे़ंः प्रियंका गांधी के निजी सचिव पर लखनऊ में मुकदमा दर्ज, बसें भेजने के मामले में आमने-सामने योगी सरकार और कांग्रेस
यूपी सरकार के पूर्व चीफ मेडिकल ऑफिसर डाॅ. अशोक मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस तरह के निर्देश का कोई लाॅजिक नहीं’ है. पूर्व सीएमओ ने कहा, ‘मोबाइल पास न होने से मरीज और भी परेशान हो सकता है, वह डिप्रेशन में भी जा सकता है. ऐसे में मोबाइल जरूरी है.’ वैसे भी ये फैसले मेडिकल एजुकेश़न डिपार्टमेंट के नहीं बल्कि एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े हैं’.
जब दिप्रिंट ने इस संबंध में मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर केके गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की तो कोई जवाब नहीं मिला. अगर उनका कोई जवाब आता है तो खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.
वहीं यूपी सरकार के आंकड़ो के मुताबिक, प्रदेश में अब कुल संक्रमितों की संख्या 6 हजार के पार हो गई है. 24 घंटे में 288 नए कोरोना पॉजिटिव मामले आने के बाद अब राज्य में कोरोना के कुल 6017 मामले हो गए हैं. एक्टिव केस की संख्या 2456 है, जबकि 3406 मरीज संक्रमण मुक्त होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किए जा चुके हैं. वहीं, इलाज के दौरान 155 मरीजों की जान जा चुकी है.