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Friday, 17 May, 2024
होमदेशबस कंट्रोवर्सी में नया मोड़, अब कोटा से लाए गए बच्चों के बिल को लेकर यूपी- राजस्थान सरकार आमने-सामने

बस कंट्रोवर्सी में नया मोड़, अब कोटा से लाए गए बच्चों के बिल को लेकर यूपी- राजस्थान सरकार आमने-सामने

यूपी सरकार के डिप्टी सीएम डा.दिनेश शर्मा ने कहा, 'एक तरफ राजस्थान सरकार बिल भेजती है. दूसरी तरफ कांग्रेस कहती है कि श्रमिकों को मुफ्त में लाने के लिए बसें देनी है. ये कांग्रेस का दोहरा मापदंड है.'

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लखनऊ : योगी सरकार और कांग्रेस के बीच श्रमिकों को ले जाने के लिए हुई ‘बस कंट्रोवर्सी’ में नया मोड़ आया है. यूपी सरकार की ओर से राजस्थान सरकार द्वारा कोटा से बच्चों को यूपी लाने में की गई मदद के बदले भेजे गए बिल को सार्वजनिक किया गया है. शुक्रवार को इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर कहा कि कोटा से बच्चों को घर पंहुचाने के लिए राजस्थान सरकार ने पैसे वसूल लिये और फिर कांग्रेस की ओर से यूपी में श्रमिकों के लिए मुफ्त वाहन का प्रस्ताव भेज दिया गया.

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि एक तरफ राजस्थान सरकार बिल भेजती है. दूसरी तरफ कांग्रेस कहती है कि श्रमिकों को मुफ्त लाने के लिए बसें देनी है. ये कांग्रेस का दोहरा मापदंड है. यूपी सरकार के डिप्टी सीएम डा.दिनेश शर्मा ने कहा, ‘जब कोटा से बच्चों को यूपी लाने के लिए कुछ बसें कम पड़ी तो हमने बसें मांगी तो राजस्थान परिवहन अफसरों ने डीजल और बसों के किराये के भुगतान की मांग की. इस पर तत्काल 19 लाख रुपये यूपी सरकार ने राजस्थान परिवहन विभाग को भेजा. जिससे बसों में डीजल भराया गया. हमें बिल भरने से आपत्ति नहीं बस कांग्रेस की मंशा पर संदेह है.’


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दरअसल, बीती शुक्रवार रात यूपी सरकार से जुड़े सूत्रों की ओर से राजस्थान परिवहन निगम का यूपी परिवहन को भेजा गया 36 लाख रुपए के बिल का पत्र लीक किया गया. इसके बाद बीजेपी के नेता सोशल सोशल मीडिया पर इस पत्र को साझा करते हुए इसे कांग्रेस का दोहरा मापदंड बताने लगे.

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इस बिल पर छिड़े विवाद पर यूपीएसआरटीसी के एमडी राजशेखर ने मीडिया से बातचीत में स्वीकारा कि कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए राजस्थान रोडवेज की 94 बसों का भी प्रयोग किया गया था. इसके लिए उनकी ओर से 36 लाख रुपये का बिल भेजा गया, जिसका भुगतान कर दिया गया है.

दरअसल 17 से 19 अप्रैल के बीच यूपी सरकार ने बसों को भेजकर कोटा में पढ़े रहे, लगभग 12 हजार छात्रों को वापस यूपी बुलाया था, जिसमें सरकार की ओर से यूपी की 500 से अधिक बसें प्रयोग में लाई गई थीं. कुछ बसें कम पड़ने पर राजस्थान सरकार से मदद ली गई थी, जिसमें दो राज्यों के परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा आपसी संवाद किया गया था. हालांकि, राजस्थान परिवहन से लिए गए इस फेवर का जिक्र योगी सरकार ने तब नहीं किया था.

बिल यूपी ने खुद मांगा इसलिए भेजा: राजस्थान सरकार

राजस्थान सरकार का कहना है कि बिल यूपी के परिवहन निगम ने खुद मांगा था. इसी कारण हमने भेजा. सरकार ने वो पत्र भी सार्वजनिक किया, जिसमें यूपी के परिवहन निगम ने बिल भेजने की बात कही है.

राजस्थान परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के निवेदन पर कोटा में फंसे छात्रों को घर जाने के लिए अनुमति राजस्थान सरकार द्वारा दी गई थी. उन्होंने कहा कि यूपी रोड़वेज के एमडी द्वारा बसों में डीजल डलवाने का निवेदन किया गया था, जिसे अब यूपी की सरकार राजनीतिक रूप दे रही है. इसके बारे में दोनों राज्यों के अधिकारियों में बात हुई थी.


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राजस्थान के परिवहन मंत्री के मुताबिक यूपी की सरकार ने कांग्रेस द्वारा सौंपी 1051 वाहनों की सूची में से 859 बसें को सही माना है, जबकि परिवहन विभाग राजस्थान ने पता लगाया कि 1051 वाहनों की सूची में से 1032 वाहन बसें वैलिड थीं. इससे योगी सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं. इस दौरान राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी योगी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘हम लोगों ने एक पहल करके संकट के समय में मदद का हाथ बढ़ाया. ऐसे में मदद स्वीकार करके कोई छोटा नहीं बन जाता. ऐसे में यूपी सरकार का जो रवैया रहा है वो पूरे देश ने देखा और हम इसकी भर्त्सना करते हैं.’

बता दें है कि 16 मई को कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की ओर से श्रमिकों के लिए नोएडा-गाजियाबाद से 1000 बसें कांग्रेस के खर्च पर यूपी में चलाने का प्रस्ताव दिया गया था. इस प्रस्ताव को स्वीकारते हुए 18 मई यूपी सरकार की ओर से बस से संबंधित तमाम डिटेल्स व फिटनेस सर्टिफिकेट मांगे गए. सभी डिटेल्स देने के बाद यूपी सरकार की ओर से 463 बसों को फर्जी बताया गया. कांग्रेस की ओर से 500 से अधिक बसें राजस्थान-आगरा बॉर्डर व 300 बसेंं दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर खड़ी कर दी गईं. लेकिन प्रशासन ने आगे-जाने की इजाजत नहीं दी.

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