नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) ऐसे समय में जब दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है, नयी प्रौद्योगिकियों को अपनाना और यह सुनिश्चित करना कि वे प्रौद्योगिकियां ‘नैतिक, समावेशी और टिकाऊ’ हों, ‘भविष्य के अभियंताओं, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और नेताओं’ के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत की मिसाइल महिला के नाम से मशहूर टेसी थॉमस ने शनिवार को यह कहा।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की पूर्व महानिदेशक (वैमानिकी प्रणाली) एवं प्रतिष्ठित वैज्ञानिक थॉमस ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के 56वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह कहा।
उन्होंने स्नातक छात्रों से कहा, ‘ऐसे समय में जब दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है, नयी तकनीकों को अपनाना और यह सुनिश्चित करना कि वे तकनीकें नैतिक, समावेशी और टिकाऊ हों, भविष्य के अभियंताओं, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है। चाहे वह डिकार्बोनाइजेशन हो, जल संरक्षण हो, डिजिटल इक्विटी हो, जैव-नवाचार हो या इंजीनियरिंग का कोई चमत्कार हो, इसे समाज के लिए अपना योगदान बनने दें’।
दीक्षांत समारोह में कुल 2,764 आईआईटी छात्रों को डिग्री और डिप्लोमा प्रदान किए गए, जिनमें 530 पीएचडी (अब तक का सर्वोच्च) छात्र शामिल हैं। कुल 2,764 स्नातक छात्रों में से 735 छात्राएं हैं।
लगभग 20 देशों के 43 छात्रों को भी डिग्री प्रदान की गई।
भाषा
शुभम माधव
माधव
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