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सोमवार, 23 जून, 2025
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आचार्य प्रशांत ने जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता के लिए ‘ऑपरेशन 2030’ अभियान की शुरुआत की

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नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) प्रख्यात दार्शनिक और लेखक आचार्य प्रशांत ने एक आध्यात्मिक मिशन ‘ऑपरेशन 2030’ की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य युवाओं को जलवायु परिवर्तन की तात्कालिक चुनौतियों के प्रति जागरूक करना है।

‘प्रेसिडियम ग्रुप ऑफ स्कूल्स’ और पीवीआर-आईनॉक्स की साझेदारी में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित पीवीआर ईडीएम मॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में आचार्य प्रशांत की नयी पुस्तक ‘डिकोडिंग सक्सेस’ का विमोचन भी किया गया।

आचार्य प्रशांत द्वारा परिकल्पित ‘ऑपरेशन 2030’, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) और पेरिस समझौते की जलवायु समयसीमा के जवाब में शुरू किया गया दशक भर चलने वाला एक जन-जागरण अभियान है।

छात्रों से आगे बढ़कर नेतृत्व करने का आह्वान करते हुए आचार्य प्रशांत ने कहा, ‘‘यह सिर्फ ग्रह को बचाने का नहीं, बल्कि खुद को बचाने का सवाल है। जलवायु परिवर्तन कोई दूर की बात नहीं है, यह पहले से ही हमारे दरवाजे पर खड़ा है। और दुनिया के पास इस स्थिति को बदलने के लिए 2030 तक का ही समय बचा है। यह सवाल तात्कालिक भी है और व्यक्तिगत भी: इससे पहले कि बहुत देर हो जाये, क्या हममें इतना साहस है कि हम अपनी सुविधा और आराम से ऊपर उठकर कड़े कदम उठाएं।”

प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक और 160 से अधिक पुस्तकों के लेखक आचार्य प्रशांत ने आधुनिक विश्व में वेदांत की पुनर्स्थापना में अहम भूमिका निभाई है। आचार्य प्रशांत के भगवद्गीता शिक्षण कार्यक्रम में ‘‘अब तक एक लाख से अधिक प्रतिभागी जुड़ चुके हैं’’।

भगवद्गीता और जलवायु कार्रवाई के बीच संबंधों की चर्चा करते हुए आचार्य प्रशांत ने कहा, ‘‘गीता हाशिए पर बैठने वालों के लिए नहीं है। यह युद्ध में उतरने वालों के लिए शंखनाद है। जब युद्धभूमि जल रही हो, तब भागना या अवाक हो जाने की जगह, डटकर खड़े होना और लड़ना ही धर्म है। आज की युद्धभूमि हमारी धरती है, और गीता हमें इसी युद्ध में उतरने का आह्वान कर रही है।”

आचार्य प्रशांत ने कहा, “जो गीता के साथ जीता है, वह अंधाधुंध उपभोक्ता बनकर नहीं जी सकता। वो बेहोशी में लिए निर्णय बर्दाश्त नहीं करता। उसके खाने, खरीदने और जीने का तरीका बदल जाता है। यही असली बदलाव है। और मैं चाहता हूँ कि आप सभी इस बदलाव से लैस हों।”

पुस्तक विमोचन के मौके पर आचार्य प्रशांत ने छात्रों से कहा, ‘‘सच्ची सफलता ट्रॉफी या गगनचुंबी इमारतों में नहीं है। सच्ची सफलता तब है जब आप जानते हों कि जब सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब आप सही काम के लिए खड़े हुए। आपकी पीढ़ी की सफलता इस बात से नहीं मापी जाएगी कि आपने कितना कमाया या किसे हराया बल्कि इस बात से मापी जाएगी कि आपने धरती को जीवित रखने के लिए क्या योगदान किया।”

भाषा देवेन्द्र अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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