ठाणे, 13 जुलाई (भाषा) ठाणे की एक अदालत ने 2020 में एक नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार झारखंड निवासी युवक को बरी कर दिया है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता ने संबंधों को सहमति पर आधारित बताया है और उसके पिता ने भी आरोपी से कोई शिकायत नहीं होने की बात कही है।
विशेष पॉक्सो अदालत के न्यायाधीश डी एस देशमुख ने नौ जुलाई को पारित आदेश में कहा कि पीड़िता ने आरोपी से विवाह किया था और उनके दो बच्चे हैं। इस फैसले की प्रति शनिवार को उपलब्ध कराई गई।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष को पीड़िता और उसके पिता से कोई सहयोग नहीं मिला।
व्यक्ति पर आरोप था कि उसने दो जनवरी 2020 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के भायंदर क्षेत्र की 15 वर्षीय लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया। लड़की के पिता ने चार जनवरी को उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इसके बाद आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
हालांकि, मुकदमे की सुनवाई के दौरान पीड़िता और उसके पिता ने प्रारंभिक पुलिस रिपोर्ट से अलग बयान दिए।
अदालत ने पीड़िता की जन्मतिथि 15 जून 2004 और जेजे अस्पताल, मुंबई की आयु निर्धारण रिपोर्ट के आधार पर यह माना कि घटना के समय उसकी उम्र 16 से 17 वर्ष के बीच थी और वह पॉक्सो अधिनियम के तहत ‘बालिका’ की श्रेणी में आती है।
अदालत ने कहा कि पीड़िता के पिता ने माना कि उसकी बेटी अपनी इच्छा से आरोपी के साथ घर से चली गई थी। दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और आरोपी ने जबरदस्ती शारीरिक संबंध नहीं बनाए।
अदालत ने अपने आदेश में लिखा, “गवाह ने यह भी स्वीकार किया कि आरोपी और पीड़िता पति-पत्नी हैं, उनके दो बच्चे हैं और वे साथ रह रहे हैं। उसे आरोपी से कोई शिकायत नहीं है।”
पीड़िता ने भी अपने बयान में संबंधों को सहमति पर आधारित बताया। उसने कहा कि दोनों के बीच प्रेम संबंध था और मोबाइल पर बातचीत होती थी। जब उसकी मां को यह पता चला तो उसने स्कूल जाना बंद करवा दिया। इसके बाद वह दो जनवरी 2020 को बाथरूम जाने का बहाना बनाकर घर से निकली और आरोपी के साथ पटना चली गई, जहां दोनों ने विवाह कर लिया और आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए।
अदालत ने कहा कि पीड़िता ने जिरह के दौरान भी स्वीकार किया कि “आरोपी उसका पति है, उनके दो बच्चे हैं और उसे उससे कोई शिकायत नहीं है।”
अदालत ने टिप्पणी की, “पीड़िता का पूरा साक्ष्य अभियोजन के बजाय आरोपी के समर्थन में रहा। इसलिए उसकी गवाही अभियोजन पक्ष के मामले को सिद्ध करने के लिए उपयोगी नहीं है।”
फैसले में कहा गया, “ पीड़िता की गवाही और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि घटना के समय उसकी उम्र 17 वर्ष थी, जिससे वह अपने कार्य की प्रकृति और परिणामों को समझने में सक्षम थी। इसके बाद भी आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।”
अदालत ने यह भी कहा, “दोनों प्रमुख गवाहों ने अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया। पीड़िता ने आरोपी से विवाह किया, उनके दो बच्चे हैं और उसे उससे कोई शिकायत नहीं है। ऐसे में रिकॉर्ड पर आरोपी को दोषी ठहराने के लिए कुछ नहीं है।”
भाषा
राखी नोमान
नोमान
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