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Monday, 18 November, 2024
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जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करना जटिल मुद्दा, पाक से बातचीत जरूरी : पीडीपी प्रमुख

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श्रीनगर, 13 फरवरी (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा है और तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करके ‘इसे और जटिल’ बना दिया गया है।

महबूबा ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को धार्मिक रंग देने के लिए परिसीमन प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रही है।

पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक के बाद संवाददाताओं से मुखातिब महबूबा ने कहा कि केंद्र-शासित प्रदेश में स्थिति दिन-ब-दिन ‘बदतर होती जा रही है या बदतर बनाई जा रही है’ और लोगों को पांच अगस्त 2019 के बाद से कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बना दिया था।

पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों, भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त गारंटी, को रौंदने का प्रयास किया जा रहा है। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट उसी का हिस्सा है और इसमें कोई नई बात नहीं है। यह लोगों को कमजोर करने की कोशिश भी है।’’

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने ‘मुद्दे को हल करने’ के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत की मांग करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्र-विरोधी करार दिया जाएगा, ‘क्योंकि जो भी भाजपा या उसके एजेंडे और यहां तक ​​कि (नाथूराम) गोडसे के खिलाफ बोलता है, उसे भारत-विरोधी घोषित कर दिया जाता है।’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं फिर भी कहूंगी कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा एक राजनीतिक मुद्दा है और अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बनाने से यह हल नहीं हुआ है, बल्कि और जटिल बन गया है। भारत सरकार को अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से आज या कल या किसी और दिन बात करनी होगी, ताकि मामला सुलझाया जा सके और खून-खराबा रोका जा सके।’

हालांकि, महबूबा ने आरोप लगाया कि ‘‘जम्मू-कश्मीर में जितनी हिंसा या खून-खराबा होगा, भाजपा को उतना ही फायदा होगा।’’

यह पूछे जाने पर कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के बारे में पाकिस्तान से बात करने से स्पष्ट रूप से इनकार किया है और इसके बजाय पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के बारे में बात करना चाहता है, महबूबा ने कहा, ‘‘पहले, उन्हें चीन द्वारा लद्दाख में दिन-प्रतिदिन घुसपैठ किए जाने के बारे में बात करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह भी जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है, न कि पाकिस्तान का। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष-विराम बातचीत के बाद कारगर रहा। वे यह मानने से कतरा रहे हैं कि वे पाकिस्तान से बात कर रहे हैं… आखिर उनके सबसे बड़े नेता (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी) वाजपेयी पाकिस्तान गए, (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी पाकिस्तान गए, इसलिए उनसे बात करनी होगी। कोई दूसरा विकल्प नहीं है।’’

परिसीमन की कवायद के बारे में पूछे जाने पर पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘‘उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को सांप्रदायिक स्तर पर, सामाजिक स्तर पर आपस में लड़ाने की कोशिश की है। हमारा संघर्ष इसके खिलाफ रहेगा। हमारा राजनीतिक एजेंडा यह है कि जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा है, लेकिन वे इसे धार्मिक रूप देना चाहते हैं। हमने लगातार कहा है कि जम्मू-कश्मीर को एक प्रयोगशाला बना दिया गया है।’’

परिसीमन आयोग पर निशाना साधते हुए महबूबा ने आरोप लगाया कि नए निर्वाचन क्षेत्रों के निर्धारण में उसने किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने यहां परिसीमन किया है, कुछ क्षेत्र बिना किसी संख्या के दूसरे के साथ जुड़ गए हैं। कहीं ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां एक लाख वोट हैं तो कहीं ऐसा क्षेत्र है, जहां 1.75 लाख वोटर हैं। कोई तरीका नहीं है। अब वे इसे पूरे देश में दोहराएंगे।’’

महबूबा ने आरोप लगाया, ‘‘हमारा देश संविधान के अनुसार नहीं, बल्कि भाजपा के एजेंडे के हिसाब से चल रहा है। लेकिन हम इससे पूरी ताकत से लड़ने जा रहे हैं। हम उस विनाश के चक्र का विरोध करेंगे, जो उन्होंने जम्मू-कश्मीर में शुरू किया है। हम उन्हें आगे बढ़ने का आसान रास्ता नहीं देने जा रहे हैं।’’

हिजाब को लेकर चल रहे विवाद का जिक्र करते हुए महबूबा ने कहा कि इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया गया है, क्योंकि यह एक खास समुदाय का प्रतीक और पहचान है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे (हिजाब) का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए किया जा रहा है, लेकिन मुझे आशंका है कि यह हिजाब पर ही नहीं रुकने वाला है। वे हमारे अन्य प्रतीकों पर हमला करेंगे। यह काफी नहीं है कि हम भारतीय बने रहें, वे चाहते हैं कि हम भाजपा वाले बनें।’’

महबूबा ने आरोप लगाया कि गुपकर गठबंधन को तोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके तहत मुख्यधारा के कई राजनीतिक दल तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे की बहाली की मांग को लेकर साथ आए थे।

उन्होंने कहा, ‘हमने पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) बनाया है और हम पूरी ताकत से लड़ेंगे। मिलकर संघर्ष करेंगे। कुछ लोगों को ब्लैकमेल करके या लुभाकर पीएजीडी को तोड़ने की कोशिश की जा रही है, लेकिन गठबंधन लोगों की आखिरी उम्मीद है और हम इसे एकजुट रखते हुए अपना संघर्ष जारी रखेंगे।’’

भाषा पारुल दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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